उत्तराखंड में छह विपक्षी दलों ने सीएम के नाम जारी किया पत्र, मजदूर योजना में विलंब पर जताई चिंता, भ्रष्टाचार पर रोक की मांग
उत्तराखंड के छह विपक्षी दलों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के नाम एक पत्र जारी किया। इसमें मजदूर योजना में विलंब पर जताई चिंता जताई गई। साथ ही भ्रष्टाचार पर रोक की मांग की गई। इन दलों में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम), समाजवादी पार्टी, सीपीआई (एमएल) एवं उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के नेताओं ने हस्ताक्षर किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्र में चिंता व्यक्त की कि निर्माण मज़दूर योजना पर अमल में लगातार विलम्ब हो रहा है। वर्त्तमान स्थिति में जब निकाय चुनाव एवं लोक सभा चुनाव पास आ गए हैं, इन योजनाओं का दुरूपयोग की सम्भावना फिर बढ़ रही है। साथ ही पहले हुए घोटालों की जांच पर आज तक सरकार खामोश है। बतौर विपक्षी दल अधिकांश मज़दूरों को इन योजनाओं के तहत 2020 के बाद कोई लाभ नहीं मिला है। अपने बच्चों की छात्रवृत्ति हो या औजार वितरण हो, सारी योजनाओं में रूकावट आयी है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय में तय किये गए लाभों में से ढेर सारे कटौती की गयी है, जबकि महामारी से इन तबकों पर गंभीर असर पड़ा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्र में कहा गया है कि कुछ साल पहले इन योजनाओं में करोड़ों के घोटालों की आशंकाएं जताई गयी थी, जिसकी वजह से सरकार ने अलग अलग स्तर पर जांच करने का आदेश दिए थे। आज तक उन जांचों की रिपोर्ट सार्वजानिक नहीं है। बतौर पत्र दैनिक दिहाड़ी निर्माण मज़दूरों की मेहनत से राज्य और देश का विकास हो पाता है, तो इस समय उनको राहत न देना और उनके लिए आवंटित निधि के साथ ऐसे खिलवाड़ करना अन्याय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मांग की गई है कि हर मज़दूर का पंजीकरण हो, योजनाओं द्वारा सरकार मज़दूरों तक राहत युद्धस्तर पर पहुंचवा दें, किसी भी लाभ का वितरण सरकारी अधिकारी द्वारा ही हो और उनकी निगरानी रहे, पूर्व जांच रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट और कारवाई का रिकॉर्ड को सार्वजनिक कर दे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्र के बिंदु
पत्र में कहा गया है कि दैनिक दिहाड़ी निर्माण मज़दूर हमारे समाज के सबसे गरीब तबकों में से एक है। इन लोगों की मेहनत से हमारे राज्य और देश का विकास हो पाता है, लेकिन ये लोग आज तक अधिकांश सुविधाएँ से वंचित है। कोरोना महामारी की वजह से उनपर सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस सन्दर्भ में भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम 1996 के अंतर्गत चलाये जा रहे कल्याणकारी योजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि इन योजनाओं द्वारा देर सारे दैनिक मज़दूरों तक राहत पहुंचवाया जा सकता है। उत्तराखंड राज्य में इन योजनाओं के अमल में कुछ गंभीर कमियां हैं, जिनको हम आपके संज्ञान में लाना चाह रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– अधिकांश मज़दूरों को इन योजनाओं के तहत 2020 के बाद कोई लाभ नहीं मिला है। हाल में एक सर्वेक्षण के अनुसार देहरादून में रहने वाले सैकड़ों मज़दूर परिवारों का कहना था कि उनके बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है जबकि इस योजना के अंतर्गत हर निर्माण मज़दूर को यह सुविधा मिलना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– इस योजना के अंतर्गत औजार, साइकिल और अन्य सामान को भी पंजीकृत मज़दूरों को मिलना चाहिए। इन सामान का वितरण 2021 के बाद हुआ ही नहीं है। इसके अतिरिक्त कल्याण बोर्ड का गठन में ही डेढ़ साल से ज्यादा विलम्ब करने के बाद बोर्ड में पंजीकृत सक्रिय निर्माण मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– 2019 और 2021 के बीच इन सामान के वितरण में करोड़ों का घोटाले होने की आशंकाएं जताई गई थी। अलग अलग स्तर पर सरकार ने कम से कम तीन जांचों की घोषणा की थी, लेकिन आज तक एक भी जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। आज तक ऑडिट रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसी सम्भावना आगे न रहे, इसके लिए भी कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– लॉक डाउन के समय से विपक्षी दल एवं मज़दूर यूनियन इस बात को उठा रहे हैं कि हज़ारों मज़दूर इस योजना से वंचित हो गए हैं क्योंकि उनके पंजीकरण 2015 और 2016 में हुए थे और कुछ गैर ज़रूरत शर्तों की वजह से उनको अपना पंजीकरण के नवीनीकरण नहीं करने दिया जा रहा है। आज तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– पिछली कांग्रेस सरकार के समय में तय किये गए लाभों में से ढेर सारे कटौती की गयी है। मालिकों के हित में संशोधन कर श्रम कानूनों को लगातार कमज़ोर किया गया है, हमारे राज्य में भी और केंद्र स्तर पर भी। इस रूप में लोगों के हक़ों पर हनन करना और इतने समय से राहत न देना राज्य के मज़दूरों के साथ अन्याय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अतिरिक्त वर्त्तमान स्थिति में जब निकाय और लोक सभा चुनाव पास आ रहे हैं, इन योजनाओं का दुरूपयोग की सम्भावना फिर बढ़ रही है। अगर इस बार फिर आपात्र लोगों को फायदा पहुंचवाया जायेगा और कर्मकार कल्याण निधि का उपयोग में घोटाले होंगे। इसका मतलब यह भी होगा कि असली मज़दूरों को अपना हक़ दिलाने के लिए सरकार के पास संसाधन नहीं बचेगा। लाभों में कटौती करने के पीछे शायद अभी भी यही कारण रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई है मांग
– तकनिकी और नीतिगत समस्याओं को सुधार कर सर्कार सरकार हर निर्माण मज़दूर का पंजीकरण करे।
– हर मज़दूर परिवार को इन योजनाओं द्वारा उनके हक़ों को दिलाने का कदम सरकार युद्धस्तर पर उठा दे। ख़ास तौर पर छात्रवृत्ति, औजार और अन्य लाभ को दिलाने का काम हो, जिससे अधिकांश मज़दूरों को राहत मिल सके।
– किसी भी प्रकार के लाभ वितरण कल्याण बोर्ड के कर्मचारियों की उपस्थिति और निगरानी में ही हो। वितरण के लिए सरकार के कर्मचारी ही ज़िम्मेदार रहे। अभी तक हुए जांचों एवं ऑडिटों के रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाये और उनके आधार पर क्या क्या कार्रवाई की गयी है, सरकार इसपर भी श्वेत पत्र जारी कर दे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इनके हैं हस्ताक्षर
पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नेशनल कौंसिल के सदस्य समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एसएन सचान, भारत की कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, सीपीआई (एमएल) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल आदि शामिल हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।