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February 6, 2025

सिडकुल घोटाले के आरोपी आइएएस को भी बना दिया डीएम, अब एसआइटी जांच की सार्थकता पर सवाल

उत्तराखंड में पिछले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान जिन आइएएस और पीसीएस पर सिडकुल में अवैध नियुक्तियों और निर्माण कार्यों को लेकर घोटाले के आरोप लगे थे, वे अब उच्च पदों से नवाज दिए गए हैं।

उत्तराखंड में पिछले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान जिन आइएएस और पीसीएस पर सिडकुल में अवैध नियुक्तियों और निर्माण कार्यों को लेकर घोटाले के आरोप लगे थे, वे अब उच्च पदों से नवाज दिए गए हैं। इनमें एक को देहरादून का जिलाधिकारी भी बनाया गया है। कल ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दो दर्जन आइएएस के तबादले किए या उनके कार्यक्षेत्र बदले। ऐसे में जिन अधिकारी के समय में सबसे ज्यादा घोटाले का आरोप लगा, उन्हें भी महत्वपूर्ण कुर्सी से नवाज दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब एसआइटी ईमानदारी से जांच कर पाएगी। या फिर ये मामला ठंडे बस्ते पर चला जाएगा। क्योंकि आइएएस लाबी पहले से ही इस जांच के पक्ष में नहीं थी और जांच किस हालत में है, ये भी कुछ पता नहीं। फिलहाल मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।
उत्तराखंड के सिडकुल में अवैध नियुक्तियों और निर्माण कार्यों की में घोटाले के आरोप लगे थे। इसकी जांच के लिए एसआइटी गठित होने के बाद आइएएस और पीसीएस अफसरों का जांच के दायरे में आना तय माना गया था। माना जा रहा था कि इस घपले में भी एनएच 74 जमीन मुआवजा घपले की तरह एक्शन हो सकता है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस कार्यकाल के समय वर्ष 2012 से लेकर मार्च 17 तक हुई बड़ी अनियमितताओं के जांच के लिए एसआइटी गठित की थी।
सूत्रों की माने तो पहले आइएएस अफसरों की एक खास लॉबी एसआइटी जांच के पक्ष में नहीं था, लेकिन कुछ अफसरों के इसमें रूचि लेने के बाद ही यह जांच भी एसआइटी को देने का रास्ता साफ हो पाया था। दरअसल, आइएएस अफसरों की यह लॉबी इस पक्ष में नहीं थी कि किसी आइएएस अफसर से आइपीएस अफसर पूछताछ करें।
राज्य गठन के बाद सबसे बड़ा घपला
सूत्रों ने बताया कि सिडकुल में निर्माण, अवैध नियुक्तियों और प्लाटों के आंवटन में लगभग 800 करोड़ का घपला हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड गठन के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा घपला हो सकता है। लिहाजा कई अफसरों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है।
बिल्डरों को रियायती दरों पर जमीनें लुटाई
अफसरों ने इस दौरान सिडकुल क्षेत्रों में बिल्डरों पर जमकर जमीन लुटाई। उन्हें बाजारी मूल्य से भी कम रियायती दरों पर जमीनों का आवंटन किया गया। कांग्रेस सरकार में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट और किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने विधान सभा के सदन में इस मुद्दे को उठाया भी था, लेकिन तब भी सरकार ने कोई गौर नहीं किया।
प्रबंध निदेशक तैनाती पीरियड
राकेश शर्मा 16-9-11 से 2-5-13
आर मीनाक्षी सुंदरम 13-11-13 से 6-2-14
शैलेश बगोली 6-2-14 से 16-7-14
आर राजेश कुमार 16-7-14 से 1-11-17
सौजन्या 1-11-17 से दिसंबर, 18
सी रवि शंकर 29-12-18 से अब तक
विस में भी ऐसी मनमाफिक भर्तियां हुईं
कांग्रेस कार्यकाल में बेरोजगारों के साथ विधानसभा सचिवालय में भी नियुक्तियों में छल किया गया। तब तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने आचार संहिता लागू होने से ऐनवक्त पहले डेढ़ सौ से ज्यादा अपने चहेतों को वहां फिट कर दिया। भर्ती की कोई विज्ञप्ति जारी किए बगैर बैकडोर से मोटी तनख्वाह पर इन्हें रखा गया। यह मसला हाईकोर्ट भी पहुंचा, लेकिन अवैध भर्तियों पर अब तक कोई आंच नहीं आई है।
त्रिवेंद्र ने उठाए थे अहम सवाल
उच्चस्तरीय सूत्रों ने बताया कि पूर्व त्रिवेंद्र रावत ने जब सिडकुल में हुई अवैधानिक नियुक्तियों और उनके वेतन निर्धारण की फाइल तलब कर परीक्षण किया तो एक बार तो वे भी भौचक्के रह गए और कुछ देर तक अपना माथा पकड़ लिया। उन्होंने इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में मानते हुए बाकायदा एसआइटी जांच की सिफारिश की। फाइल में नियुक्तियों और वेतन निर्धारण पर सवाल उठाए थे।
एनएच घपले में नप चुके हैं आइएएस
त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में ऊधमसिंहनगर के चर्चिच एनएच 74 जमीन मुआवजा घपले में दो आइएएसऔर छह पीसीएस अफसर सस्पेंड हो चुके हैं। इनमें अब कुछ बहाल भी हो चुके हैं, जबकि कई गिरफ्तार भी हुए और कुछ पर यह तलवार लटकी है। माना जा रहा है कि सिडकुल के इस घपले की तरह सिडकुल घपले में भी आइएएसऔर पीसीएस अफसरों पर भी तलवार लटक सकती है। फिलहाल ये मामला अब ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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