जनसुनवाई में एलिवेटेड रोड परियोजना को बंद करने के साथ ही बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक देने की उठी मांग

देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर जनसुनवाई आरंभ हो चुकी है। पटेलनगर क्षेत्र में आयोजित जनसुनवाई में प्रभावितों ने एलिवेटेड रोड के नाम पर लोगों को घरों को ढहाने का विरोध किया। साथ ही इस परियोजना को बंद करने की मांग की। लोगों ने कहा कि अच्छा ये होता कि यदि मलिन बस्तियों में रहने वालों को मालिकाना हक दिया जाता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एलिवेटेड रोड भूमि अधिग्रहण के अध्यक्ष एवं उपजिलाधिकारी (सदर) हरि गिरी एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी जन सुनवाई कर रहे थे। लोगों का कहना था कि एलिवेटेड रोड बनाने की बजाय शहर की सड़कों का रखरखाव किया जाए। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठीक की जाए। बस्तीवासियों ने कहा कि एलिवेटेड रोड के नाम पर बड़े एवं प्रभावशाली लोगों को छोड़कर केवल गरीबों को ही टारगेट किया गया है। प्रशासन केवल 2600 सौ प्रभावित कह रहा है, वहीं, बड़ी संख्या में परिवारों को सर्वे सूची से वंचित रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर प्रख्यात पर्यावरणविद् डाक्टर रवि चौपड़ा ने एलिवेटेड रोड के निर्माण से पर्यावरणीय क्षति के सन्दर्भ में अपनी बात रखी। बस्ती बचाओ आन्दोलन के संयोजक अनन्त आकाश ने कहा कि सरकार को एलिवेटेड रोड के बजाय सड़कों को ठीक ठाक करने तथा परिवहन व्यवस्था ठीक करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एलिवेटेड रोड मामले में सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का सीधे तौर पर उल्लंघन कर रही है। इस अवसर कई पार्षद, विभिन्न विभागों के अधिकारी आदि मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिकायतों के बिंदु
-बस्तीवासियों की ओर से लगभग 300 से भी अधिक आपत्तियां दर्ज की गई।
-एक नागरिक होने के नाते हम एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए हुए भूमि अधिग्रहण के संदर्भ में गंभीर शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं।
-एलिवेटेड रोड परियोजना से आम आदमी को कोई लाभ नहीं है।
-इस परियोजना के नाम पर हज़ारों पेड़ों को काटा जा रहा है, जिससे देहरादून के पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने से आक्सीजन घट रहा है, जिससे लोगों का स्वास्थ प्रभावित हो रहा है।
-इस परियोजना के तहत जहां पेड़ काटे जा रहे हैं, वहां भयंकर भूस्खलन की भी आशंका है।
-अपनी पूरी कमाई लगा कर घर बना कर दशकों से रह रहे बस्तियों के निवासियों को उनके घर से बेघर करना गैर कानूनी व अमानवीय कार्य है, जो तुरंत निरस्त किया जाए।
-तथाकथित सुनवाई में सभी प्रभावितों (गरीब एवं धनी) के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित किया जाए तथा न्यायसंगत तरीके से मुख्यमंत्री की नगर निगम चुनाव के दौरान की गई घोषणा के अनुसार घर का मालिकाना हक दिया जाए।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।