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February 4, 2025

फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की बैठक में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट को बताया अव्यवहारिक, सीएम से करेंगे मुलाकात

फूड फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के तत्वाधान में समस्त उद्योग संघो की एक संयुक्त बैठक में सरकार की ओर से लागू प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट एक्ट के विभिन्न अव्यवहारिक नियमों व प्राविधानों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही इस एक्ट को अव्यवहारिक बताया।

फूड फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के तत्वाधान में समस्त उद्योग संघो की एक संयुक्त बैठक देहरादून में सहारनपुर रोड पर एक स्थानीय होटल में आयोजित की गई। इस बैठक में पूरे प्रदेश से उद्यमी व इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित वेस्ट मैनेजमेन्ट के विशेषज्ञों ने भाग लिया। बैठक में सरकार की ओर से लागू प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट एक्ट के विभिन्न अव्यवहारिक नियमों व प्राविधानों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही इस एक्ट को अव्यवहारिक बताया। तय किया गया कि इस संबंध में एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिलेगा। साथ ही उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आइआइए के अध्यक्ष राकेश भाटिया ने एक्ट की विभिन्न नियमों व प्राविधानों की सबको जानकारी दी। सिडकुल मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन हरिद्वार के अध्यक्ष हरेन्द्र गर्ग ने एक्ट के बारे में विस्तार से बताया। उत्तराखण्ड इंडस्ट्रियल वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील उनियाल ने कहा कि यह नियम एमएसएमई सेक्टर के लिये अव्यवहारिक हैं। दून उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी दीपक गुप्ता ने कहा कि इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। पर्यावरण औद्योगिक विशेषज्ञ वीके सिंह ने कहा कि एक्ट में संशोधन किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक अनिल मारवाह ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर पहले से ही कोविड व मंदी की मार से उभर नहीं पा रहा है। बड़ी मुश्किल में अपने आपको किसी तरीक से चला पा रहा है। इसी बीच सरकार का एक और एक्ट व उसके अव्यवहारिक प्राविधान चिन्ता का विषय है। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट के लगभग सभी प्राविधान अव्यवहारिक हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर के पास अत्यन्त सीमित संसाधन होते हैं इसलिए इन प्राविधानों की compliance करना अत्यन्त कठिन है। इन प्राविधानों को मल्टीनेशनल व बड़ी कम्पनियां ही compliance करने में सक्षम हैं। अगर एमएसएमई सेक्टर पर इन प्रावधानों को लागू किया गया तो एमएसएमई सेक्टर टूटकर बिखर जायेगा। जबकि सबसे ज्यादा राजस्व व रोजगार एमएसएमई सेक्टर से ही आता है। अतः सरकार एमएसएमई सेक्टर का ध्यान रखते हुए एक्ट में संशोधन कर एमएसएमई सेक्टर को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट के अव्यवहारिक प्राविधानों से राहत दिलाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में कहा गया कि इस मामले में एक पीआइएल नैनीताल हाई कोर्ट में भी विचाराधीन है। लिहाजा सरकार को हाई कोर्ट में एमएसएमई सेक्टर के सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए मजबूती से पैरवी करनी होगी। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड से मुख्यमंत्री से समय लिया जाये व इन अव्यवहारिक नियमों व प्राविधानों से उन्हें अवगत कराया जाये। साथ ही उनसे एमएसएमई सेक्टर को इनसे राहत दिलाने की गुहार लगाई जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अन्त में फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के प्रदेश सहसंयोजक पवन अग्रवाल ने बैठक का संचालन करते हुए कहा कि वह सदस्यों की ओर से लिये गये निर्णय अनुसार मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेंगे। बैठके में उपस्थित सदस्यों में विजय सभरवाल, केके अग्रवाल, विक्की बारी, तरूण सभरवाल, दमनजीत सिंह गुलाटी, मुकेश मित्तल, जलज भाटिया, तुषार अग्रवाल तथा ऋषभ अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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