Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 23, 2025

हर चुनावी साल में सरकार सब्सिडी के रूप में खोल देती है खजाना, फिर वही ढाक के तीन पात, इन आंकड़ों से समझिए

अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी के रूप में पिटारा खुलने लगा है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। हर चुनावी साल में सरकारें सब्सिडी के रूप में खजाना खोल देती है।

अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी के रूप में पिटारा खुलने लगा है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। हर चुनावी साल में सरकारें सब्सिडी के रूप में खजाना खोल देती है। रसोई गैस के सिलेंडरों में तो यही देखा गया है। साथ ही पेट्रोल और डीजल के दामों में हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के चुनावों में भी देखा गया। तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें ज्यादा थी, लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए। चुनाव निपटने के बाद फिर इनके दामों में आग लगी और महंगाई चरम पर पहुंच गई।
अब बात की जाए रसोई गैस सिलेंडर में मिलने वाली सब्सिडी की। पहले छह सौ रुपये के सिलेंडर में लोगों को करीब दो सौ रुपये की सब्सिडी खाते में आती थी। फिर सिलेंडर के रेट बढ़ते चले गए और सब्सिडी कम होती गई। पिछले साल तक कभी कभार मात्र 16 रुपये उपभोक्ताओं के खाते में सब्सिडी आई, लेकिन इसे बगैर किसी घोषणा के बाद में बंद कर दिया गया।
फिर रसोई गैस सिलेंडर में सब्सिडी
अब केंद्र सरकार ने गैस सिलेंडर पर 200 रुपये सब्सिडी का ऐलान किया है। यह सब्सिडी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मिलेगी। सब्सिडी सालाना 12 सिलेंडर पर दी जाएगी। सरकार ने ये भी बता दिया कि इससे सालाना करीब 6100 करोड़ रुपये का राजस्व प्रभावित होगा। वैसे पांच साल के आंकड़े देखें तो चुनाव के आसपास सरकारी तिजोरी खुल जाती है। खासकर रसोई गैस पर तो इसका उदाहरण आंकड़ों से समझा जा सकता है।
इस तरह से साफ होती है स्थिति
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव थे, तो सरकार ने चुनाव से पहले ही पिटारा खोलना शुरू कर दिया था। अगर एचपीसीएल, यानी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के आंकड़े देखें तो 2017-18 में उसने सब्सिडी पर 5963.13 करोड़ खर्च किए। 2018-19 में यही आंकड़ा सीधे 9337.50 करोड़ पर पहुंच गया। चुनाव निपटे और फिर सरकार पुराने ढर्रे पर लौटने लगी। चुनाव के बाद 2019-20 में 6571.58 करोड़, 2020-21 में 1725.54 करोड़ रुपये सब्सिडी पर खर्च किए गए। वर्ष 21-22 में स्थिति और गंभीर है। एक तरफ महंगाई बढ़ती गई। कोरोनाकाल में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी, लेकिन रसोई गैस की सब्सिडी में महज़ 849.28 करोड़ रुपये खर्च हुए।
इसी तरह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 2017-18 में 12,318.20 करोड़ रुपये सब्सिडी पर खर्च किए। 2018-19 में 18,706.37 करोड़ खर्च किए। 2019-20 में ये आंकड़ा घटकर 12,842.78 करोड़ रुपये हो गया। 2020-21 में 457.69 ही खर्च किए गए, जबकि 21-22 में दिसंबर तक गैस सब्सिडी पर 1528.37 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं भारत पेट्रोलियम लिमिटेड, यानी बीपीसीएल ने 2017-18 में 6,068.16 करोड़ रुपये, 2018-19 में 9584.76 करोड़, 2019-20 में 6588.07 करोड़, 2020-21 में 1567.77 करोड़, तो 2021-22 में दिसंबर तक गैस सब्सिडी में 621.05 करोड़ रुपये खर्च किए।
नहीं मिला उज्जवला योजना का लाभ
एक मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी। इसका मकसद था देश के उन सभी परिवारों को सुरक्षित स्वच्छ रसोई ईंधन आवंटित करना जो आज भी पुराने, असुरक्षित व प्रदूषित ईंधन का प्रयोग खाना बनाने के लिए करते हैं। महंगाई ने वापस हितग्राहियों को चूल्हा फूंकने पर मजबूर कर दिया है।
बीते वित्त वर्ष में उज्जवला के लगभग एक करोड़ लाभार्थियों ने अपने सिलेंडर सिर्फ़ एक बार ही भरवाए थे।
सरकार का राजस्व बढ़ा, लेकिन नहीं दी राहत
वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार का राजस्व बढ़ता चला गया और उपभोक्ताओं को राहत में कटौती झेलनी पड़ी। महंगाई बढ़ती चली गई और रसोई गैस में सब्सिडी गायब हो गई। अब तो घरेलू रसोई गैस का 14.2 किग्रा का सिलेंडर एक हजार रुपये पार कर गया है। यह हालात तब हैं जब वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़ गया। पेट्रोलियम उत्पादों पर 4.51 लाख करोड़ के टैक्स रेवेन्यू की कमाई हुई। ये बात भी गौर करने वाली है कि ये कमाई कोविड-19 के भीषण प्रकोप वाले वित्तीय वर्ष में हुई। वहीं, राहत के नाम पर लोगों को महंगाई का दंश झेलना पड़ रहा है।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *