मधुमक्खियां खत्म तो चार दिन में इंसान खत्म, वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के कथन का सच, सैक्स के बाद क्यों मर जाता है नर
इस धरती में लोगों के जिंदा रहने के लिए पारिस्थितिक संतुलन सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें मनुष्यों, पौधों और जानवरों, पशु पक्षी, कीट, पतंगों आदि का पर्यावरण के बीच संतुलन रहना जरूरी है। क्योंकि यदि ये संतुलन बिगड़ेगा तो आने वाले दिनों में धरती के लिए हर जीव जंतु के जीवन को ढोना संभव नहीं होगा। इस बीच सोशल मीडिया में अक्सर मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के कथन शेयर किए जाते हैं और मोटिवेट किया जाता है। साथ ही विज्ञान को लेकर भी कई बातें आइंस्टीन की शेयर की जाती हैं। इसमें एक बात ये है कि अगर दुनिया से मधुमक्खियां खत्म हो जाए तो इंसानी जीवन भी कुछ ही दिन संभव है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा मधुमक्खी से हम किस तरह निर्भर करते हैं कि उसके खत्म हो जाने पर हमारा अस्तित्व भी कुछ ही दिन का रह जाएगा। यहां हम आइंस्टीन के बयान के सच को बताने का प्रयास करेंगे। साथ ही मधुमक्खियों की महत्ता पर भी प्रकाश डालेंगे। ऐसे में आप समझ पाओगे कि आखिर मधुमक्खी इंसानी जीवन के लिए किस तरह अहम साबित होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसलिए है इंसान के लिए जरूरी
कई रिसर्च में सामने आ चुका है कि मधुमक्खी इस पृथ्वी का अहम जीव है और पर्यावरण को बचाए रखने में इसका अहम योगदान है। दरअसल, मधुमक्खियां ही एक मात्र ऐसे जीव हैं जो किसी भी प्रकार के रोगजनकों के वाहक नही हैं। कृषि क्षेत्र का कुछ हिस्सा भी मधुमक्खी पर निर्भर करता है। इसके अलावा, मधुमक्खियों के परागकण पौधों के प्रजनन करने में मदद करते हैं। इन्हीं पौधों को लाखों जानवर खाते हैं। अगर ऐसा नहीं होगा तो इन पौधों पर निर्भर रहने वाले जीव जल्द ही गायब होने लगेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मधुमक्खियों की संख्या कम होना चिंताजनक
कई अध्ययन में ये भी सामने आया है कि मधुमक्खियां पर्यावरण के लिए आवश्यक तो है, लेकिन अब इनकी संख्या काफी कम हो रही है। यहां तक कि कहा जाता है कि 90 फीसदी मधुमक्खियां खत्म होने की कगार पर हैं। अगर इसके गायब होने के कारणों की बात करें तो इसके कई कारण हैं। बताया जाता है कि मधुमक्खियों की घटती संख्या के लिए वनों की कटाई, मधुमक्खी के छत्ते के लिए सुरक्षित जगह की कमी। फूलों की कमी, फसलों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक का उपयोग, मिट्टी में होने वाला बदलाव आदि जिम्मेदार है। साथ ही फोन से निकलने वाली तंरगों को मधुमक्खियों के लिए भी खतरनाक माना जाता है। मधुमक्खी अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोती। ये इतनी मेहनती होती है कि पूछो मत, एक बूंद शहद के लिए दूर-दूर तक उड़ती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आइंस्टीन के कथन का सच
अब सवाल ये है कि क्या मधुमक्खियों पर इंसान इतने निर्भर हैं कि अगर मधुमक्खियां खत्म हो जाए तो 4-5 दिन में सबकुछ खत्म हो जाएगा। इसका जवाब ये है कि ऐसी कोई रिसर्च सामने नहीं है। वहीं, जहां तक बात रही आइंस्टीन के कथन की तो इस पर कई तरह के फैक्ट चेक किए जा चुके हैं। कई विदेशी वेबसाइटों पर किए गए फैक्ट चेक में सामने आया है कि कोई भी किताब, लाइब्रेरी में इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि आइंस्टीन ने ऐसा कहा था। इन वेबसाइट्स पर दावा किया है कि इंटरनेट पर गलत कहा जा रहा है कि आइंस्टीन ने मधुमक्खियों के अभाव में 3-4 दिन जीवित रहने की बात कही थी। ये सिर्फ एक कहावत है। ये कहावत भी ठीक उसी तरह है जैसे कहा जाता है कि- चार दिन की जिंदगी। मधुमक्खियों से संबंधित इस कहावत का अभिप्राय सिर्फ प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक रहना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मधुमक्खियों की विशेषता
1. मधुमक्खियों की 20,000 से ज्यादा प्रजातियाँ है लेकिन इनमें से सिर्फ 5 ही शहद बना सकती है।
2. एक छत्ते में 20 से 60 हजार मादा मधुमक्खियाँ, कुछ सौ नर मधुमक्खियाँ और 1 रानी मधुमक्खी होती है। इनका छत्ता मोम से बना होता है जो इनके पेट की ग्रंथियों से निकलता है।
3. मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी कीट (insects) है, जिसके द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है।
4. केवल मादा ( यानि वर्कर मधुमक्खियां ) मधुमक्खी ही शहद बना सकती है और डंक मार सकती है। नर मधुमक्खी (drones) तो केवल रानी के साथ सेक्स करने के लिए पैदा होते है।
5. किसी आदमी को मारने के लिए मधुमक्खी के 100 डंक काफी है।
6. मधुमक्खी, शहद को पहले ही पचा देती है, इसलिए इसे हमारे खून तक पहुंचने में केवल 20 मिनट लगते है।
7. मधुमक्खी 24 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ती है और एक सेकंड में 200 बार पंख हिलाती है। मतलब, हर मिनट 12,000 बार।
8. कुत्तों की तरह मधुमक्खियों को भी बम ढूंढना सिखाया जा सकता है। इनमें 170 तरह के सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते है, जबकि मच्छरों में सिर्फ 79 रिसेप्टर्स होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फूलों की तलाश में भरती हैं लंबी उड़ान
मधुमक्खी फूलों की तलाश में छत्ते से 10 किलोमीटर दूर तक चली जाती है। यह एक बार में 50 से 100 फूलों का रस अपने अंदर इकट्ठा कर सकती है। इनके पास एक एंटिना टाइप छड़ी होती है। इसके जरिए ये फूलों से ‘nectar’ चूस लेती है। इनके पास दो पेट होते हैं। कुछ nectar तो एनर्जी देने के लिए इनके मेन पेट में चला जाता है। बाकी इनके दूसरे पेट में स्टोर हो जाता है। फिर आधे घंटे बाद ये इसका शहद बनाकर मुंह के रास्ते बाहर निकाल देती है। इसे कुछ लोग उल्टी भी कहते है। nectar में 80% पानी होता है मगर शहद में केवल 18-20% पानी होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक किलो शहद के लिए धरती के तीन चक्कर के बराबर उड़ान
एक किलो शहद बनाने के लिए पूरी मधुमक्खियों को लगभग 40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और 90,000 मील उड़ना पड़ता है। यह धरती के तीन चक्कर लगाने के बराबर है। पूरे साल मधुमक्खियों के छत्ते के आसपास का तापमान 33°C रहता है। सर्दियों में जब तापमान गिरने लगता है तो ये सभी आपस में बहुत नजदीक हो जाती है, ताकि गर्मी बनाई जा सके। गर्मियों में ये अपने पंखों से छत्ते को हवा देती हैं। आप कुछ दूरी पर खड़े होकर इनके पंखो की ‘हम्म’ जैसी आवाज सुन सकते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सैक्स के बाद नर मधुमक्खी की हो जाती है मौत
क्या आप जानते हैं कि एक मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में चम्मच के 12वें हिस्से जितना ही शहद बना पाती है। इनकी जिंदगी 45-120 दिन की होती है। नर मधुमक्खी, सेक्स करने के बाद मर जाती है। क्योंकि सेक्स के आखिर में इनके अंडकोष फट जाते है। नर मधुमक्खी यानि Drones का कोई पिता नही होता। क्योंकि ये unfertilized eggs से पैदा होते है। ये वो अंडे होते है जो रानी मधुमक्खी बिना किसी नर की सहायता के स्वयं अकेले पैदा करती है। इसलिए इनका पिता नही होता, केवल माता होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शहद की विशेषता, हजारों साल तक नहीं होता खराब
शहद में ‘Fructose’ की मात्रा ज्यादा होने की वजह से यह चीनी से भी 25% ज्यादा मीठा होता है। शहद, हजारों साल तक भी खराब नही होता। यह एकमात्र ऐसा फूड है जिसके अंदर जिंदगी जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें पाई जाती है। क्योंकि, हमें जीने के लिए 84 पोशाक तत्वों की जरूरत होती है। शहद में 83 तत्व पायें जाते हैं। बस एक तत्व नही मिलता और वो है वसा। Enzymes के बिना हम सांस ली गई ऑक्सीजन का भी प्रयोग नही कर सकते। Vitamins पोषक तत्व हैं। Minerals खनिज पदार्थ, Water पानी आदि सब इसके शहद में होते हैं। यह अकेला ऐसा भोजन भी है जिसके अंदर ‘pinocembrin’ नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो दिमाग की गतिविधियाँ बढ़ाने में सहायक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पैदा नहीं होती रानी मधुमक्खी, बनाई जाती है
रानी मधुमक्खी पैदा नही होती बल्कि यह बनाई जाती है। यह 3-4 दिन की होते ही सेक्स करने के लायक हो जाती है। ये नर मधुमक्खी को आकर्षित करने के लिए हवा में ‘pheromone’ नाम का केमिकल छोड़ती है। इससे नर भागा चला आता है फिर ये दोनों हवा में सेक्स करते हैं। रानी मधुमक्खी की उम्र 3 साल तक हो सकती है। यह छत्ते की अकेली ऐसी मेम्बर है जो अंडे पैदा करती है। यह शर्दियों में बहुत व्यस्त हो जाती है। क्योंकि इस समय छत्ते में मधुमक्खियों की जनसंख्या अधिक हो जाती है। ये जिंदगी में एक ही बार सेक्स करती है और अपने अंदर इतने स्पर्म इकट्ठा कर लेती है कि फिर उसी से पूरी जिंदगी अंडे देती है। यह एक दिन में 2000 अंडे दे सकती है। मतलब, हर 45 सेकंड में एक। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भाषा को समझने के लिए नोबल पुरस्कार
28 ग्राम शहद से मधुमक्खी को इतनी शक्ति मिल जाती है कि वो पूरी धरती का चक्कर लगा देगी। धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में से, मधुमक्खियों की भाषा सबसे कठिन है। 1973 में ‘Karl von Frisch’ को इनकी भाषा “The Waggle Dance” को समझने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक छत्ते में नहीं रह सकती दो रानी मधुमक्खी
एक छत्ते में 2 रानी मधुमक्खी नही रह सकती, अगर रहेगी भी तो केवल थोड़े समय के लिए। क्योंकि जब दो Queen Bee आपस में मिलती है तो वे दोस्ती करने की बजाय एक दूसरे पर हमला करना पसंद करती है। ये तब तक जारी रहता है जब तक एक की मौत न हो जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यों बनाी जाती हैं रानी मधुमक्खी
वर्कर मधुमक्खियाँ मौजूदा क्वीन के अंडे को फर्टीलाइज़ करके मोम की 20 कोशिकाएँ तैयार करती है। फिर युवा नर्स मधुमक्खियाँ, Queen के लार्वा से तैयार एक विशेष भोजन जिसे ‘Royal Jelly’ कहा जाता है इसकी मदद से मोम के अंदर कोशिकाएँ निर्मित करती है। ये प्रकिया तब तक जारी रहती है जब तक कोशिकाओं की लंबाई 25mm तक न हो जाए। निर्माण की प्रकिया के 9 दिन बाद ये कोशिकाएँ मोम की परत से पूरी तरह ढक दी जाती है। आगे चलकर इसी से रानी मधुमक्खी तैयार होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रानी मधुमक्खी की मौत पर
रानी मधुमक्खी लगातार एक खास़ तरह का केमिकल ‘फेरोमोन्स’ निकालती रहती है। जब यह मर जाती है तो काम करने वाली मधुमक्खियों को इसकी महक मिलनी बंद हो जाती है। इससे उन्हें पता चल छाता है कि रानी या तो मर गई या फिर छत्ता छोड़कर चली गई। रानी मधुमक्खी के मरने से पूरे छत्ते का विनाश हो सकता है, क्योंकि यदि ये मर गई तो फिर नए अंडे कौन पैदा करेगा। इसकी मौत के बाद काम करने वाली मधुमक्खियों को सिर्फ 3 दिन के अंदर-अंदर कोशिका निर्माण कर नई Queen Bee बनानी पड़ती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यदि धरती की सारी मधुमक्खी खत्म हो जाए तो क्या होगा
अगर ऐसा हुआ तो मानव जीवन भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। क्योंकि धरती पर मौजूद 90% खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है। बादाम, काजू, संतरा, पपीता, कपास, सेब, काफी, खीरे, बैंगन, अंगूर, कीवी, आम, भिंडी, आड़ू, नाश्पाती, मिर्च, स्ट्राबेरी, किन्नू, अखरोट, तरबूज आदि का परागन मधुमक्खी द्वारा होता है। गेहूं, मक्कें और चावल का परागण हवा द्वारा होता है। इनके मरने से 100 में 70 फीसद फसल तो सीधे तौर पर नष्ट हो जाएगी। यहाँ तक कि घास भी नहीं उगेगा।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।