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November 21, 2024

चांद में मिला इंसानों का ठिकाना, वैज्ञानिकों ने खोजी 80 मीटर लंबी सुरंग, इंसान के जिंदा रहने को लेकर दिया ये तर्क

क्या चांद पर इंसान जिंदा रह सकता है। क्या चांद पर ऐसा स्थान भी है, जो इंसान के रहने के लिए अनुकूल हो। क्या चांद पर जीवन की संभावनाएं हैं। यदि वहां इंसान को बसाया गया तो किन किन उपकरणों की जरूरत पड़ेगी। ऐसी ही खोज में दुनिया भर के वैज्ञानिक लगे हैं। इस बीच वैज्ञानकों को चांद में करीब 80 मीटर लंबी सुरंग (गुफा) मिली है। अब अध्ययन किया जा रहा है कि क्या इसमें इंसान जिंदा रह सकता है। क्या से गुफा इंसानों का ठिकाना बन सकती है। इस लेख में हम इसी तरह की जानकारी आपको साझा कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए शेल्टर होम हो सकती है गुफा
आए दिन चांद और दूसरे ग्रहों को लेकर कुछ न कुछ खबरें आती रहती हैं। अब इसी कड़ी में एक और खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों ने चांद पर एक गुफा होने की बात कही है। ये उस जगह से ज्यादा दूर नहीं है, जहां 55 साल पहले पहली बार चंद्रमा पर लैंडिंग हुई थी। यह खोज कहीं न कहीं भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर एक सुरक्षित जगह देगी। यानी भविष्य में ये इंसानों का शेल्टर होम हो सकती है, जहां लोग जाकर रुक सकते हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक रिपोर्ट भी पब्लिश हुई है। इस जगह को लूनर मेर (lunar mare) के नाम से जाना जाता है।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चांद पर गुफा के एंट्री प्वाइंट की पहचान
बता दें, यह गुफा उस जगह से लगभग 400 किलोमीटर दूर है, जहां अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने 1969 में चंद्रमा परलैंडिंग की थी। यह लगभग 45 मीटर चौड़ी और 80 मीटर तक लंबी है। ये 14 टेनिस कोर्ट के बराबर जगह को कवर करती है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग 50 साल से ज्यादा समय से चांद पर गुफाओं की जानकारी थी, लेकिन यह पहली बार है कि जब किसी गुफा के एंट्री पॉइंट की पहचान की गई है। 2010 में लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने उन गड्ढों की तस्वीरें ली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चांद पर जीवन की संभावना
चांद पर पहुंचने के बाद भी अभी तक चांद पर जीवन की संभावना नहीं दिख रही थी, लेकिन अब पहली बार गुफा दिखने के बाद फिर से वैज्ञानिक खोज कर रहे है कि वहां पर जीवन जीने की संभावना मिल सके। बीबीसी से बातचीत में अंतरिक्ष यात्री हेलेन शर्मन ने कहा कि यह गुफा देखने में तो काफी शानदार लगती है। मुझे लगता है क‍ि अगले 20-30 वर्षों में इंसान इन गड्ढों में आसानी से रह सकेंगे। यह गुफा इतनी गहरी है क‍ि अंतरिक्ष यात्रियों को इसमें उतरने के लिए जेट पैक या लिफ्ट का उपयोग करना पड़ सकता है। हालांकि अभी वैज्ञानिक ये पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि इन गुफाओं में इंसानी जीवन संभव है या नहीं। इसके लिए रिसर्च जारी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे हुई गुफा की खोज
इस रिसर्च को लिखने वाले लियोनार्डो कैरर, लोरेंजो ब्रुजोन और उनके साथ कुछ और लोग भी हैं। इन वैज्ञानिकों ने नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) स्पेसक्राफ्टद्वारा 2010 में ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया। इन तस्वीरों से चांद पर सबसे गहरे गड्ढे का पता चला है। उनका कहना है कि यह लावा ट्यूब के ढहने से बनी गुफा है। बता दें कि लावा ट्यूब सुरंगें हैं, जो तब बनती हैं, जब पिघला हुआ लावा ठंडे लावा के क्षेत्र के नीचे बहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुफा के भीतर का नजारा
अब सवाल ये है कि आखिर गुफा के अंदर क्या है। इटली की ट्रेंटो यूनिवर्सिटी के लोरेंजो ब्रुजोन और लियोनार्डो कैरर ने मैरे ट्रांक्विलिटिस नाम के चट्टानी मैदान से इस गड्ढे को देखा और रडार की मदद से इसके अंदर का नजारा भी देखा। उनके मुताबिक इसे धरती से नंगी आंखों से देखा जा सकता है। यहीं पर 1969 में अपोलो 11 उतरा था। यह गुफा चांद की सतह पर एक रोशनदान की तरह नजर आती है। इसका निर्माण लाखों या अरबों वर्ष पहले हुआ था, जब चंद्रमा पर लावा बहकर आया था। इस कारण तब चट्टान के बीच एक सुरंग बन गई थी। प्रोफेसर कैरर ने बताया क‍ि धरती पर इसी तरह की सुरंग स्‍पेन के लांजारोटे की ज्वालामुखीय गुफाएं होंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

धरती पर भी गुफाओं से हुई थी जीवन की शुरुआत
वैज्ञानिकों का कहना है कि गुफा काफी बड़ी है। यह इंसानों के रहने लायक सबसे अच्‍छी जगह हो सकती है। आख‍िरकार धरती पर भी तो जीवन गुफाओं से ही शुरू हुआ था। तब इंसान और जानवर रहने के लिए गुफाओं उपयुक्त मानते थे। इंसान ने तो अपने नए ठिकाने बना लिए, लेकिन कई जानवर आज भी गुफाओं में रहना पसंद करते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों को लगता है क‍ि चंद्रमा पर भी मनुष्‍य इन गुफाओं के अंदर रह सकते हैं। हालांकि अभी इसके अंदर जाना बाकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चांद पर गड्ढों और गुफाओं का तापमान
चांद पर गड्ढे बड़े और खड़ी दीवारों वाले होते हैं। ये गुफाएं कटोरे के आकार की होती हैं। ये किसी कॉमेट के गिरने से बनते हैं। चांद पर कम से कम 200 गड्ढे खोजे गए हैं। माना जा रहा कि 16 गड्ढे एक अरब साल पहले हुई ज्वालामुखी से बने थे।  चांद पर तापमान और सोलर रेडिएशन का असर धरती से ज्यादा होता है। दिन के दौरान सतह लगभग 127 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकती है। रात में यह लगभग -173 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकती है। इसके अलावा, चांद पर गुफाओं का औसत तापमान लगभग 17 डिग्री सेल्सियस है, जो इंसानों के रहने के लिए उन्हें सही बनाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुफाओं में रहना बड़ी चुनौती
हालांकि, चांद पर गुफाओं में रहने की अपनी चुनौतियां भी हैं। इन गुफाओं की गहराई के कारण उन तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। हिमस्खलन के साथ ही गुफाओं के ढहने का खतरा हो सकता है। ऐसे में इसमें जमीन में घुसने वाले रडार, रोबोट या कैमरे का उपयोग शामिल हो सकता है। जैसे-जैसे वैज्ञानिक इन गुफाओं पर स्टडी जारी रखते हैं, उम्मीद की जा रही है कि इनके बारे में और जानकारी मिल सकती है। ये चांद पर भविष्य के मिशनों में भूमिका निभा सकते हैं।
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