शासन की कोताही से और कितने मासूमों की जाएगी जानः गरिमा माहरा दसौनी

दसौनी ने कहा कि विगत 6 वर्षो से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। पिछली प्रचंड बहुमत वाली भाजपा की सरकार में भी और नई सरकार गठन के बाद भी विपक्ष लगातार प्रदेश में गिरते शिक्षा के स्तर पर के साथ ही हजार से भी ज्यादा जर्जर विद्यालयी भवनों की ओर सत्ता पक्ष का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करता आ रहा है। इसके बावजूद चाहे पहले के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय हों या वर्तमान शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, ये प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि उत्तराखंड को सिर्फ बयानवीर शिक्षा मंत्री ही मिल पाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने शिक्षा मंत्री को नसीहत देते हुए कहा कि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए मंत्री अपने बड़बोलेपन से बाज आएं और कुछ ही क्षण के लिए सही उस मॉ के दर्द को महसूस करने की कोशिश करें, जिसकी गोद उजड़ी है। दसौनी ने कहा कि पिछले छः सालों में दर्जन भर बयान तो उनके स्वयं के हैं, जिसमें हर बार प्रदेश के शिक्षा मंत्री से जर्जर भवनों की मरम्मत की गुहार की गई है। इसके बावजूद चंपावत की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर के रख दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि आज एक घर का चिराग बुझ गया और मॉं की गोद उजड गई। ये सब कुछ हुआ शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण। उन्होंने राज्य सरकार को चेताते हुए कहा कि अभी भी देर नही हुई है। राज्यभर में बेसिक शिक्षा अधिकारी से सर्वे कराएं और रिपोर्ट मंगवाएं कि और प्रदेश में कितने विद्यालय भवन जर्जर अवस्था में हैं। ताकि जहां नौनिहालों की जान को खतरा है, वहां तत्काल प्रभाव से सभी भवनों की मरम्मत करायी जाए।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।