दून के ऐतिहासिक झंडे के मेले में इस बार भी कोरोना का साया, नहीं सजेंगी दुकानें, झूले भी प्रतिबंधित, जानिए नियम और ऐतिहासिकता

देहरादून में होली के पांचवें दिन आयोजित होने वाले प्रसिद्ध झंडे के मेले में इस बार भी कोरोना का साया पड़ गया है। पिछले साल आरोहण के दौरान ध्वज दंड खंडित होने से अफरा तफरी मच गई थी। यह घटना 13 मार्च की थी। इसके बाद ध्वज दंड बदला गया और फिर झंडे का आरोहण किया गया। इसके बाद कोरोना का कहर बरपना शुरू हुआ तो समय से पहले झंडे का मेला समाप्त करना पड़ा। वैसे झंडे का मेला रामनवमी के दिन समाप्त होता है।
इस साल फिर से मार्च माह में कोरोना का हमला होने पर जिला प्रशासन को भी झंडे के मेले के लिए गाइडलाइन जारी करनी पड़ी। जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इस बार झंडेजी का आरोहण दो अप्रैल को होना है।
ये है गाइडलाइन
-झंडा साहिब के आरोहण व मेले के आयोजन के लिए जितने व्यक्तियों की आवश्यकता हो केवल उतने ही व्यक्तियों को एकत्रित किया जाए। अनावश्यक भीड़ एकत्र न की जाए।
– मेले के आयोजन में विगत वर्षों में जो दुकानें व झूला इत्यादि लगाये जाते थे इस वर्ष पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे।
– झंडा साहिब के आरोहण व मेले के आयोजन में अन्य राज्य से प्रतिभाग करने वाले
व्यक्तियों को RT-PCR टेस्ट कराने के उपरान्त रिपोर्ट निगेटिव होना अनिवार्य (आगमन की तिथि से 72 घंटे पूर्व) है। बिना निगेटिव रपोर्ट के किसी भी व्यक्ति का मेला स्थल पर प्रवेश वर्जित होगा।
-मेले के परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रवेश से पूर्व मास्क पहनना अनिवार्य होगा। बिना मास्क आने वाले यात्रियों को मास्क के बाद ही प्रवेश करने की अनुमति दी जायेगी।
– मेला में आने वाले सभी श्रद्वालुओ को शारीरिक दूरी के दृष्टिगत गोल घेरे बनाये जायें। उक्त का पालन कराये जाने का उत्तरदायित्व आयोजकों का होगा।
– मेला स्थल में प्रतिभाग करने वाले समस्त व्यक्ति मास्क एवं सामाजिक दूरी का पालन करेंगे।
-60 साल से ऊपर की महिला व पुरुष, दस साल से कम उम्र के बच्चे तथा गम्भीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति उक्त कार्यक्रम में प्रतिभाग करने से बचें।
-मेला आयोजको द्वारा झण्डा साहिब के आरोहण से श्रद्वालुओं/संगतों को जोड़ने
इलैक्ट्रॉनिक मीडिया (सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट) जैसे Facebook, Twitter का उपयोग करने की कोशिश की जाए। जिससे अनावश्यक भीड़भाड न हो।
-कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुये मेले का स्वरूप एवं अवधि सिमित किया जाए।
-मेले स्थल पर जगह-जगह कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए आवश्यक जानकारियां, गाइडलाइन, कन्ट्रोल रूम नं0 तथा जागरूकता के पोस्टर, बैनर इत्यादि लगाये जाएं।
– मेले के आयोजकों द्वारा स्थल के प्रवेश स्थान पर थर्मल स्कैनिंग, सैनिटाइजर आदि
व्यवस्थायें सुनिश्चित की जायेंगी। बुखार जुखाम आदि से पीड़ित व्यक्तियों तथा बिना
मास्क पहने व्यक्तियों को शालीनता के साथ स्थल पर प्रवेश न करने की सलाह दी जायेगी।
– मेले में यथासंभव खाद्य सामग्री आदि का वितरण से परहेज किया जायेगा तथा यदि अति आवश्यक हो तो खाद्य पदार्थ एवं पेयजल वितरण हेतु डिस्पोजेबल गिलास तथा बर्तनों का प्रयोग किया जायेगा।
– मेला स्थल पर आयोजको द्वारा सभी श्रद्धालुओं/पर्यटको/ग्राहको के स्मार्ट फोन में आरोग्य सेतू एप डाउनलोड करने के लिए प्रोतसाहित किया जायेगा।
-मेला स्थल पर आयोजकों द्वारा कूड़ेदान आदि की समुचित व्यवस्था की जायेगी तथा कूड़े आदि को इधर-उधर न बिखराकर कूड़ेदान का प्रयोग किया जायेगा।
-मेला स्थल पर कोविड के मानकों एवं दिशानिर्देशों का समुचित अनुपालन कराने का दायित्व आयोजकों का होगा तथा निश्चित समयान्तराल पर सेनेटाइजेशन भी किया जाये।
-समय-समय पर भारत सरकार, राज्य सरकार, एवं जिला प्रशासन द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशो का पालन करना अनिवार्य होगा। जिसमें सोशल डिस्टेसिंग, सेनेटाइजेशन और मास्क का प्रयोग इत्यादि शामिल है।
जुटने लगी हैं संगतें
झंडे के मेले के लिए पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों से संगतें आनी शुरू हो गई हैं। इसके तहत अब ये कार्यक्रम हैं-
30 मार्च: दरबार साहिब में सेवादार गिलाफ सिलवाई का कार्य करेंगे।
एक अप्रैल: दरबार साहिब में संगत माथा टेकेंगे और दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज संगत को पगड़ी, प्रसाद देकर पूर्वी संगत को विदा करेंगे।
दो अप्रैल: सुबह आठ बजे से नौ बजे तक झंडे जी को विधि विधान के साथ उतारने का कार्य होगा। दोपहर एक बजे सनील गिलाफ व दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाएगा। शाम तकरीबन पांच बजे श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज के सानिध्य में झंडे जी का आरोहण होगा।
तीन अप्रैल: विभिन्न राज्यों से आने वाली संगत दरबार साहिब में माथा टेकेगी।
चार अप्रैल: सुबह नौ बजे से दरबार साहिब से विभिन्न क्षेत्र होकर नगर परिक्रमा होगी।
21 अप्रैलः यानी रामनवमी के दिन झंडे जी के मेले का समापन होगा।
हर साल श्री दरबार साहिब में होता है आयोजन
उल्लेखनीय है कि श्री गुरु राम राय महाराज की जयंती पर हर साल श्री दरबार साहिब देहरादून में श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है। श्री गुरु राम राय महाराज का जन्म पंजाब के कीरतपुर (जिला होशियारपुर) में वर्ष 1646 में होली के पांचवें दिन चैत्रवदी पंचमी पर हुआ था। तब से हर साल संगतों द्वारा देहरादून में होली के पांचवें दिन (चैत्रवदी पंचमी) ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है।
इन्हें मिला दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य
इस साल जसवीर सिंह पुत्र सुरजीत सिंह निवासी जैलसिंह नगर, रोपड़, पंजाब को श्री झंडे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। श्री दरबार साहिब में आयोजित होने वाले देश विदेश से लाखों की संख्या में संगतें देहरादून पहुंचती हैं। श्री झंडे जी के आरोहण और मेले के आयोजन को लेकर मेला प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। मेला अधिकारी केसी जुयाल ने बताया कि मेला आयोजन को लेकर संगतों व दूनवासियों में हर वर्ष की भांति हर्षाल्लास का माहौल है।
देहरादून में स्थापित है दरबार साहिब
झंडे जी देहरादून के दरबार साहिब में स्थापित हैं। यहां हर साल आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि देखने वालों को भी आंखों पर यकीन नहीं होता। इस दरबार साहिब की स्थापना श्री गुरु राम राय जी ने की थी। औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे। औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी। गुरू राम राय जी ने देहरादून में आकर डेरा डाला था। तब इसे डेरा दून कहा जाता था। लेकिन बाद मे अब यह देहरादून के नाम से विश्व विख्यात हुआ। इसी जगह पर यहां दरबार साहिब बनाया गया और यहां झंडे की स्थापना की की गई।
पढ़ेंः श्री गुरु रामराय दरबारः देहरादून के जन्म और विकास की कहानी का गवाह
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।