हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने चलाया स्तनपान जागरुकता अभियान, चिकित्सकों ने बताया क्यों जरूरी है स्तानपान

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट देहरादून की ओर से विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान चलाया गया। चिकित्सकों व मेडिकल के छात्र-छात्राओ ने कार्यक्रम आयोजित कर माताओं को शिशुओं को स्तनपान कराने के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही स्तनपान से मां व नवजात को होने वाले लाभ के विषय में जानकारी भी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (एचआईएमएस) में सामुदायिक चिकित्सा विभाग व हिमालयन अस्पताल की ओर से डोईवाला के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताह भर जागरुकता अभियान आयोजित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके तहत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में नवजात शिशुओं की माताओं को स्तनपान के विषय में जानकारी दी गयी। विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पहला स्तनपान मां और नवजात दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे का पहला टीकाकरण है, इससे बच्चे को आवश्यक खनिज व रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि स्तनापान सप्ताह मनाने का उद्देश्य मातृशक्ति को इसके प्रति जागरूक करना है। स्तनपान से 19 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर व कुपोषण को कम किया जा सकता है। मां के पहला दूध विटामिन युक्त होता है। यह शिशुओं की आंतों की सफाई व शिशु को पीलिया से बचाने में सहायता करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुरभि मिश्रा ने बताया कि जागरुकता के अभाव में लोगों में यह भ्रांति हैं कि पहला दूध घातक हो सकता है। इसको दूर करने के लिए यह साप्ताहिक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जन्म के करीब आधे घंटे बाद मां अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है। वहीं सिजेरियन से हुए शिशु की मां करीब चार घंटे बाद या एनिस्थिसिया के प्रभाव से बाहर आने के बाद स्तनपान करा सकती है। ऐसा करने से शिशु और मां दोनों ही स्वस्थ रहते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जागरुकता अभियान के संचालन में डॉ. अवनि गुप्ता, डॉ. चिराग जोशी, डॉ. सुदीक्षा शर्मा, स्वस्ति गर्ग, स्वाति बिष्ट, वैभव गुप्ता, वामिका शर्मा, सक्षम श्रीवास्तव, वैभव राणा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता फरजाना ने सहयोग दिया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।