उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर हाईकोर्ट नैनीताल सख्त, प्रमुख वन संरक्षक को किया तलब
उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग से उपजे हालात को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल भी चिंतित है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया और आज सुनवाई की गई।
उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग से उपजे हालात को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल भी चिंतित है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया और आज सुनवाई की गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जंगलों में लगी आग को लेकर सरकार को कड़ी फटकार लगाने के साथ ही प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को बुधवार को सुबह सवा दस बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब किया है।
कोर्ट ने पूछा कि 2016 के कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने तब आधुनिक उपकरण क्रय करने समेत दावानल नियंत्रण को जरूरी कदम उठाने के आदेश पारित किए थे। कोविड काल मे लोग परेशान हैं, ऊपर से दावानल की घटनाओं ने पब्लिक को मुश्किल में डाल दिया है। जंगलों में आग लगने के कारण पर्यावरण पर भी संकट आ गया है। 2016 में भी कोर्ट ने जंगल में आग के मामले को स्वतः संज्ञान लिया था और जनहित याचिका सरकार को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी होने के बाद निस्तारित हो गई थी।
24 घंटे में 85 घटनाएं दर्ज
उत्तराखंड में विकराल हो रही जंगल की आग चुनौती बनती जा रही है। बीते 24 घंटे में आग से 165 हेक्टेयर वन क्षेत्र झुलस गया। इस दौरान 85 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें सर्वाधिक 74 गढ़वाल मंडल, नौ कुमाऊं और दो मामले संरक्षित वन क्षेत्र में सामने आए। इस बीच अक्टूबर से अब तक प्रदेश में 1538.28 हेक्टेयर वन क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो चुका है। बस्तियों के पास सुलग रहे जंगल मवेशियों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे हैं। जंगलों के पास बनी गोशालाएं लपटों की चपेट में आ रही हैं। इस बीच पारा बढ़ने के साथ ही लपटें भी तेज हो रही हैं। वन विभाग के अनुसार अप्रैल माह में इन पांच दिनों में ही आग की 261 घटनाएं दर्ज की गईं और इससे 413 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।