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February 24, 2025

देश के मैदानी क्षेत्र में गर्मी के थपेड़े, उत्तराखंड के पहाड़ों में बारिश से राहत, जानिए मौसम का हाल, तीन मई को रहें सतर्क

इन दिनों दिल्ली एनसीआर सहित देशभर के मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है। अप्रैल माह में गर्मी ने कई रिकॉर्ड बना डाले। मैदानी राज्यों में फिलहाल राहत की उम्मीद कम है। वहीं, उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बारिश का दौर शुरू होने से प्रदेश में भीषण गर्मी से राहत जरूर मिली है।

इन दिनों दिल्ली एनसीआर सहित देशभर के मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है। अप्रैल माह में गर्मी ने कई रिकॉर्ड बना डाले। मैदानी राज्यों में फिलहाल राहत की उम्मीद कम है। वहीं, उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बारिश का दौर शुरू होने से प्रदेश में भीषण गर्मी से राहत जरूर मिली है। कई जिलों में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से घटकर 38 डिग्री तक पहुंच गया है। वहीं, पर्वतीय जिलों में मौसम खुशगवार बना हुआ है। मौसम विभाग ने तीन मई का बारिश का ओरेंज अलर्ट भी जारी किया है। वहीं रविवार को तड़के राज्‍य के पहाड़ी इलाकों में बारिश हुई है। राजधानी देहरादून में भी कभी कभार हल्‍के बादल के दर्शन हो रहे हैं। कोटद्वार में बादलों की तेज गड़गड़ाहट के साथ सुबह बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, आज भी पर्वतीय जिलों में हल्की बारिश हो सकती है। कहीं-कहीं गरज के साथ ओलावृष्टि और झोंकेदार हवाओं को लेकर यलो अलर्ट भी जारी किया गया है।
उत्तराखंड में तापमान की स्थिति
उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी जारी है। मैदानी क्षेत्र में बारिश न होने से प्रदेशभर में भीषण गर्मी बेहाल कर रही है। मार्च के बाद अप्रैल में भी पारा रिकार्ड स्तर पर बना रहा। यह सीजन अब तक पिछले 30 साल में सबसे गर्म है। अप्रैल में बारिश की बात करें तो नौ साल में इस बार सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। मार्च में बारिश की कमी ने 38 साल का रिकार्ड तोड़ा था। इसके अलावा अधिकतम तापमान ने भी अप्रैल में 12 साल और मार्च में 13 साल में सर्वाधिक का रिकार्ड बनाया।
अप्रैल में सामान्यत: प्रदेश में 35 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इस बार यह 7.7 मिमी रही। जो कि पिछले नौ वर्षों में सबसे कम है। इससे पहले वर्ष 2013 के अप्रैल में सबसे कम 7.8 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी। पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती प्रवाह के कमजोर पड़ने से मार्च महीना सूखा बीता। इस दौरान प्रदेश के छह जिलों में बारिश नहीं हुई। सात जिलों में भी नाम मात्र की बारिश हुई। दून में 38 साल बाद यह पहला मौका है जब मार्च बिना बारिश के गुजर गया। ऐसे में ज्यादातर जिलों में पारा भी सामान्य से कई डिग्री सेल्सियस तक अधिक बना रहा। जिससे मार्च मध्य से ही भीषण गर्मी का एहसास हो रहा है। 12 साल बाद उत्तराखंड के ज्यादातर इलाकों में पारा औसत से चार से सात डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा।
मार्च और अप्रैल में उत्तराखंड में सामान्य से करीब 90 प्रतिशत कम बारिश हुई। आमतौर पर एक मार्च से 30 अप्रैल तक प्रदेश में 90 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इस बार यह महज 10 मिलीमीटर रही। ऐसे में औसत तापमान में भी सामान्य से लगातार अधिक बना रहा। इन दोनों महीनों में अधिकतम तापमान में औसत वृद्धि चार डिग्री सेल्सियस रही। इससे पहले 1992 में ही ऐसी स्थिति बनी थी।
उत्तराखंड में बारिश का पूर्वानुमान
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, आज यानी कि एक मई को राज्य के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों में अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश गर्जन से साथ हो सकतीहै। शेष इलाकों में बहुत हल्की से हल्की बारिश का अनुमान है। दिन के समय तेज झोंकेदार सतही हवा चलने की भी संभावना है। दो मई को भी राज्य के सभी जिलों में कहीं कहीं बहुत हल्की से हल्की बारिश हो सकती है। तीन मई को उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में अधिकाश स्थानों पर और शेष जिलों के पर्वतीय क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। मैदानी इलाकों में भी बहुत हल्की से हल्की बारिश गर्जन के साथ हो सकती है। चार और पांच मई को भी मौसम का हाल इसी तरह रहने की संभावना है।
एक दिन यलो और एक दिन ओरेंज अलर्ट
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक, उत्तराखंड में आज एक मई को पर्वतीय जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान गर्जन के साथ बारिश होगी और आकाशीय बिजली भी चमकेगी। ओलावृष्टि के साथ ही झोंकेदार हवाएं 30 से 40 किलोमीटर की रफ्तार से चल सकती हैं। तीन मई को राज्य के सभी जिलों में बारिश के साथ ही आकाशीय बिजली चमकने, ओलावृष्टि की संभावना है। 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। हवा की रफ्तार बढ़कर 80 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है।
किया गया सचेत
उत्तराखंड में तीन मई को राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने सचेत रहने की सलाह दी। ओलावृष्टि से फसल को नुकसान पहुंच सकता है। आकाशीय बिजली के खतरे को देखते हुए बिजली के उपकरण आंधी के दौरान बंद रखने की सलाह दी गई है। मवेशियों को खुले में ना रखने के साथ ही पेड़ों से दूर रहने को कहा गया है। साथ ही तेज आंधी के दौरान घरों की खिड़की और दरवाजे बंद रखने की सलाह दी गई है।
रिकॉर्ड बना रही है गर्मी
इस साल देश के ज्यादातर हिस्सों में खतरनाक गर्मी पड़ रही है। अबकी बार अप्रैल ने गर्मी का रिकॉर्ड कायम कर दिया। 1901 के बाद यह पहला अप्रैल था, जब अप्रैल महीने का औसत तापमान इतने ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। इसी वजह से पूरा उत्तर भारत हीट वेव की चपेट में है। दिल्ली, यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में तापमान सामान्य से 4 डिग्री ऊपर है। उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में तापमान अभी और बढ़ने वाला है।
मई का तीसरा सप्ताह देगा गर्मी से राहत
मौसम विभाग की जानकारी के मुताबिक 5 मई के बाद बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बनने के आसार हैं. इसके असर से देश के कुछ हिस्सों में बारिश के आसार जताए जा रहे हैंय़ इससे मई का तीसरा हफ्ता गर्मी से थोड़ी राहत दे सकता है। हालांकि इस चक्रवात का असर गुजरात, राजस्थान और पंजाब में नहीं होगा। कल यानी 2 मई से कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है, यानी कुछ हिस्सों में गर्मी से थोड़ी-बहुत राहत की उम्मीद जरूर है।
दिल्ली में तापमान
दिल्ली में रविवार को अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान क्रमश: 43 और 25 डिग्री सेल्सियस के नजदीक रह सकता है। उत्तर भारत के कई राज्यों में तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में 2 मई तक लू चलेगी। फिलहाल तो गर्मी से राहत मिलने की कोई खास उम्मीद नहीं है, लेकिन कुछ जगहों पर बारिश का अनुमान जताया गया है।
मई में रात को भी सताएगी गर्मी
मौसम विभाग ने कहा है कि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में 1990 के बाद से अप्रैल महीने में इस साल सर्वाधिक औसत अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। साथ ही, क्षेत्र में मई में भी गर्मी से राहत नहीं मिलेगी। मई के लिए तापमान और बारिश से जुड़े पूर्वानुमान जारी करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकतर हिस्सों में मई के महीने में रात में भी गर्मी महसूस होगी।
122 साल में अप्रैल सबसे ज्यादा गर्म
उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में इस साल अप्रैल पिछले 122 वर्षों में सबसे अधिक गर्म रहा। जहां औसत अधिकतम तापमान क्रमश: 35.9 डिग्री सेल्सियस और 37.78 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। इससे पहले उत्तर-पश्चिम भारत में अप्रैल 2010 में औसत अधिकतम तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस, जबकि मध्य भारत में अप्रैल 1973 के दौरान औसत अधिकतम तापमान 37.75 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
उत्तर भारत में राहत के आसार नहीं
महापात्रा ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश भागों में जम्म कश्मीर, हिमाचल, गुजरात, राजस्थान, पजांब और हरियाणा को मई में भी सामान्य से अधिक तापमान का सामना करना होगा। उन्होंने कहा कि अप्रैल के दौरान देशभर में औसत तापमान 35.05 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो 122 वर्षों में चौथी बार सबसे अधिक रहा है। उन्होंने कहा कि देश में इस साल मई के दौरान औसत बारिश सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। साथ ही कहा कि मई में उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीप में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
पश्चिमी राजस्थान में तापमान पहुंच सकता है 50 के पार
महापात्रा ने पश्चिमी राजस्थान के कुछ भागों में तापमान 50 डिग्री के पार चले जाने की संभावना को खारिज नहीं किया। इस बार गर्मी के मौसम में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से जुड़े सवाल पर महापात्रा ने कहा कि मैं इस तरह का पूर्वानुमान नहीं जता सकता। हालांकि, यह जलवायु के अनुसार संभव है। क्योंकि मई सबसे गर्म महीना है। उत्तर प्रदेश के बांदा में शनिवार को तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जोकि देश में सर्वाधिक रहा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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