ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने पूछे कड़े सवाल, दिलाई मतपत्र के दौर की याद
चुनाव में ईवीएम की जगह मतपत्रों के उपयोग को लेकर जारी चर्चाओं के बीच मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। पहले दिन करीब दो घंटे की सुनवाई हुई और अगली सुनवाई की तिथि 18 अप्रैल तय कर दी गई है। बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने ईवीएम को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं? प्रशांत भूषण ने कहा कि पहला बैलेट पेपर पर वापस जाएं। दूसरा फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं। आप चाहते हैं कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो। प्रशांत भूषण ने कहा कि बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है, या वीवीपैट मे जो पर्ची है, उसे मतदाताओं को दिया जाए। एक वकील ने आरोप लगाया कि ईवीएम को पब्लिक सेक्टर यूनिट की कंपनियां बनाती हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या प्राइवेट कंपनी ईवीएम बनाएगी तो आप खुश होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सामान्यतः मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं उत्पन्न होती हैं। समस्या तब पैदा होती हैं, जब मानवीय हस्तक्षेप होता है या जब वे सॉफ्टवेयर या मशीन मे अनधिकृत परिवर्तन करते हैं। यदि आपके पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव है, तो आप हमें दे सकते हैं। प्रशांत भूषण ने वीवीपैट की पर्ची मतदाताओं को देने की मांग के साथ कहा कि मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दें। अभी जो वीवीपैट है उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है। सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वकील संजय हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए। इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे। एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव दिया। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है। बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए और यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से पूछा कि आपने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते? आपको यह डेटा कैसे मिला? प्रशांत भूषण ने कहा कि एक सर्वेक्षण हुआ था। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि हम निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि EVM सही काम कर रहीं है या नहीं। ये जानने के लिए हमें डेटा चाहिए होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से डेटा मांगा है। कुछ मिसमैच ह्यूमन एरर की वजह से है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जर्मनी के सिस्टम के उदाहरण देने पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है। हमें किसी पर भरोसा और विश्वास जताना होगा। इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करिए। इस तरह के उदाहरण मत दीजिए। यह एक बहुत बड़ा काम है और यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं आते। जस्टिस खन्ना ने कहा कि देश में कुल रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ है। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर से वोटिंग होती थी तब क्या हुआ था।
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