चुनाव जरूर हारे हैं, मगर हिम्मत नहीं हारे: धीरेंद्र प्रताप
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि कांग्रेस ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव जरूर हारा है, लेकिन पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं ने हिम्मत नहीं हारी है।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि गणेश गोदियाल को किसी भी हालत में श्रीनगर से हराया नहीं जा सकता था, परंतु राज्य कांग्रेस की कमान उनके हाथ में होने की वजह से उन्हें राज्य के दौरे करने पड़े। इसकी वजह से वह अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास हासिल करने में असफल हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष के दायित्व की वजह से बार-बार वे अपने लोगों से मिल नहीं पाए और इसी का नतीजा है कि उन्हें श्रीनगर में चुनावी हार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने गणेश गोदियाल को हरीश रावत, प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य की परंपरा में पार्टी का एक योग्य और सफल अध्यक्ष बताया। जिन्होंने पार्टी की 11 सीटों को बढ़ाकर 19 सीटों तक ले जाने तक का सफर को अंजाम दिया।
उन्होंने कहा कि यह बात और है पार्टी जब चुनाव हारती है तो राज्य पार्टी के अध्यक्ष इस्तीफा देते हैं। ऐसी परंपरा रही है, परंतु गोदियाल का फैसला उनके 6 महीने के कार्यकाल को देखते हुए सही फैसला दिखता है।
धीरेंद्र नै कहा कि पार्टी जल्द ही बैठक बुलाएगी, जिसमें पार्टी की हार के कारणों की बड़े पैमाने पर समीक्षा होगी।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि देश हिंदू और मुस्लिम में बांटने में भाजपा को सफलता मिली है।उत्तराखंड में भी हिंदू समुदाय की ज्यादा उपस्थिति के कारण अधिकांश लोग आने वाले दिनों में घातक परिणामों की अनदेखी कर जो निर्णय ले रहे हैं, वह देर सवेर देश के लिए घातक होने वाला है।
उन्होंने कहा कि मुफ्त राशन की नीति कोविड-19 में अच्छी थी, परंतु देर सवेर देश के नेताओं को देश की जनता को यह प्रेरणा देनी होगी कि देश के निर्माण और देश के विकास के लिए अगर हम काम करके अपने लिए भोजन एकत्र करेंगे तो उसी से देश चलेगा। उन्होंने कहा यद्यपि कांग्रेस ने भी कई ऐसे वायदे किए, लेकिन मनरेगा नीति जब कांग्रेस लाई थी तो उन्होंने काम के बदले अनाज और धन देने की व्यवस्था की थी।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि हम फिर परिश्रम करेंगे और फिर कांग्रेस को 2024 के लोकसभा के चुनाव में जन समर्थन के साथ सार्थक विजय की ओर ले जाएंगे । उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की हार को खासतौर पर बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण ठहराया। उन्होंने कहा कि हरीश रावत के कद का राज्य में एक भी नेता नहीं। ऐसी स्थिति में लालकुआं के मतदाताओं के फैसले से उन्हें सदमा पहुंचा है। उन्होंने कहा नारायण दत्त तिवारी, हरीश रावत जैसे नेता किसी भी समाज में वर्षों में पैदा होते हैं और जब उनको हराया जाता है, राज्य के करोड़ों लोगों का नुकसान होता है। देश का नुकसान होता है। उन्होंने कहा नैनीताल के लोगों ने जब नारायण दत्त तिवारी को हराया था तो देश में विकास की धारा को क्षति पहुंची थी। आज गांव, गाढ़ गधेरा, खेत खलियान, मंडवा, झंगोरा की आवाज उठाने वाले हरीश रावत की हार से उत्तराखंड के गांव की मुखर आवाज की हार हुई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।