कल फिर एक घंटे के मौन उपवास पर बैठेंगे हरीश रावत, इसके बाद करेंगे हल्द्वानी प्रस्थान, जानिए कारण
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इन दिनों बेजोगारों का मुद्दा उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जब चार साल से नई नौकरियों की भर्तियां नहीं निकली तो नौकरी की आयु सीमा कम की जाए। इस मुद्दे को लेकर वह सोशल मीडिया में निरंतर पोस्ट डाल रहे हैं। कल उन्होंने एलटी भर्ती प्रक्रिया की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक घंटे के मौन व्रत का निर्णय किया है। इसके बाद वह हल्द्वानी के लिए प्रस्थान करेंगे।
रोजगार के मुद्दे को लेकर हरीश रावत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के बीच जंग भी छिड़ी। हरीश रावत ने दावा किया कि भाजपा के शासनकाल में नौकरियां नहीं हैं। वहीं भगत ने सात लाख रोजगार देने का दावा किया। इस मुद्दे पर भगत के दावे के बाद भी हरीश रावत निरंतर लिख रहे हैं। अब उन्होंने एलटी की भर्ती प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट डाली। साथ ही सरकार से एक आग्रह भी किया। उनकी पोस्ट इस प्रकार है-
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एलटी की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने जा रहा है। इस भर्ती प्रक्रिया में फाइन आर्ट से और MA चित्रकला से जो छात्र उत्तीर्ण हैं, उन्हें पात्र माना जाता था। और पहले जितने भी परीक्षाएं हुई, इनको पात्र माना गया है। इस समय हो रही भर्ती में इन नौजवानों को पात्रता से बाहर कर दिया गया। क्योंकि ये बीएड उत्तीर्ण नहीं हैं।
उन्होंने आगे लिका कि- मैंने दो बार ऐसे बच्चों की बात उठाई है, जो ओवर ऐज हो चुके हैं। मगर एलटी या दूसरी टीईटी की परीक्षा में आयु सीमा रोकने के कारण वो बैठ नहीं पा रहे हैं। ऐसे बच्चों का कोई दोष नहीं है। क्योंकि 2016-17 में जो भर्तियां निकली थी, तब से कोई भर्ती निकली नहीं हैं। यदि उनकी उम्र आज ज्यादा हो गई है तो उसमें उनका दोष नहीं है।
उन्होंने सरकार को कहा कि- जब आपने भर्तियां नहीं निकाली, तो उनको अवसर ही नहीं मिल पाया। इसलिए मैंने सरकार से आग्रह किया था कि इनके लिए उम्र की अहर्ता को शिथिल किया जाय और 4-5 साल बढ़ा दिये जाएं। यही बात जो कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राएं हैं, उनके लिये भी लागू होती है। मगर सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। कल मैं ऐसे बच्चों के लिये प्रातः 8 बजे अपने देहरादून स्थित आवास पर 1 घंटे का मौन उपवास रखूंगा और उसके बाद हल्द्वानी को प्रस्थान करुंगा।
एक दिन पहले ये डाली थी पोस्ट
राज्य सरकार ने पिछले 4 साल से, चाहे शिक्षा विभाग हो, चाहे कोई और विभाग हों, किसी भी पद पर कोई नियुक्ति की नहीं। बीएड, टीईटी प्रशिक्षार्थी इंतजार करते रह गये। जिन लोगों की उस समय उम्र थी 2016 में, जब हमने अध्याचन जारी किया था, आज उनकी उम्र निकल गई है।
उन्होंने लिखा कि- उनमें बहुत सारे छात्र-छात्राएं कमजोर वर्ग के हैं, कम से कम 4 साल जब उत्तराखंड के अन्दर नियुक्ति शून्य वर्ष रहा है, तो उतनी अवधि और बढ़ाई जानी चाहिये। इन परीक्षाओं के लिये या इन जो भी नियुक्तियां विभागों में हो रही हैं उनमें। पूरे देश में भर्तियों के लिये, कमजोर वर्ग के लिये उम्र बढ़ाई जाती है। उत्तराखंड में उसका भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। कुछ सामान्य आवश्यकताएं हैं, जिसको अधिकारियों को समझना चाहिये। मुझे तकलीफ है कि राज्य सरकार उन सामान्य आवश्यकताओं की अनदेखी कर रही है जो अभ्यार्थियों के लिये अन्याय है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।