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July 30, 2025

गैरसैंण को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम को दे डाली ये सलाह, आप भी पढ़िए

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने गैरसैंण को लेकर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सलाह दे डाली।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने गैरसैंण को लेकर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सलाह दे डाली। साथ ही ये भी कहा कि मेरी इच्छा तो कांग्रेस के सीएम के कार्यकाल में इस काम को करने की थी, लेकिन शुभ कार्य जितना जल्द हो, अच्छा है। सोशल मीडिया में उन्होंने गैरसैंण में आयोजित होने वाले बजट सत्र को लेकर भी पोस्ट डाली। हरीश रावत ने लिखा कि-
त्रिवेंद्र सिंह जी। अब के विधानसभा बजट सत्र के बाद हिम्मत करिये। एक-डेढ़ माह मंत्रियों और सचिवों सहित भराड़ीसैंण में प्रवास करिये। पूरे राज्य को समझने और काम करने का तरीका ही बदल जायेगा।
उन्होंने आगे लिखा कि- एक अद्भुत बदलाव जिसकी प्रतीक्षा उत्तराखंड बहुत दिनों से कर रहा है, वो सरकार के नजरिये में आ जायेगा। खैर मेरी तो यह कामना रहेगी कि यह शुभ काम कांग्रेस के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हो। मगर राज्य के हित में जितना शुभ, जितना शीघ्र, उतना ही शुभ है।
बजट सत्र का अर्थ लीपापोती न हो
हरीश रावत ने एक पोस्ट गैरसैंण में बजट सत्र को लेकर डाली। इसमें उन्होंने लिखा कि-
सरकार बड़ी जोर से नगाड़ा बजा रही है कि हम गैरसैंण में बजट सत्र आहूत कर रहे हैं। अच्छी बात है। हम पहले ही यह कर चुके हैं, लेकिन बजट सत्र का अर्थ केवल कुछ दिन की लीपापोती नहीं होना चाहिये। सत्र, सत्र होना चाहिये और फिर यदि सरकार कम-से-कम ट्रायल बेसेस पर डेढ़ महीने ही सही। यदि सरकार का संचालन गैरसैंण से करती है तो मैं कहूंगा कि यह सही दिशा में एक छोटा कदम है। और यदि बजट सत्र के साथ सरकार भाग आती है, तो फिर ये गैरसैंण और गैरसैंणियत के साथ खड़ी उत्तराखंडियत का अपमान है।
आउटसोर्स कर्मियों को हटाना अन्याय
हरीश रावत ने पंचायतों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा कि-पंचायतों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों को हटाना, न केवल वर्षों से कार्यरत लोगों के प्रति अन्याय है, बल्कि यह पंचायतों के प्रति अन्याय है। तकनीकी परामर्श के अभाव में पंचायतें धन खर्च नहीं कर पाएंगी। यदि केंद्र सरकार व राज्य सरकार की मंशा यह है कि पैसा खर्च न हो, तो यह दुर्भाग्य जनक है। यदि वो चाहते हैं पैसा खर्च हो, तो फिर आउटसोर्स कर्मियों को आपको रखना ही पड़ेगा। इसलिये पंचायतों के ही स्थापना मद से पैसा निकाला जा सकता है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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