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June 17, 2025

हरीश रावत ने गुरुद्वारे में जूते किए साफ, लगाई झाड़ू, विरोधियों को दिया जवाब, सीएम धामी से लेकर अकाली दल पर बरसे

पंजाब में पंच प्यारे संबंधी दिए गए बयान पर माफी मांगने के बाद आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहिब में जाकर प्रायश्चित के तौर पर जूतों की सफाई की।

पंजाब में पंच प्यारे संबंधी दिए गए बयान पर माफी मांगने के बाद आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहिब में जाकर प्रायश्चित के तौर पर जूतों की सफाई की। साथ ही गुरुद्वारा परिसर में झाड़ू लगाई। इस संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट डालकर इसकी जानकारी दी। बताया कि नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहब में मैंने प्रायश्चित स्वरूप कुछ देर जूते साफ किये। मैं, सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ। नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहब में मैंने प्रायश्चित स्वरूप कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई की। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ। सतनाम वाहेगुरु।
विरोधियों के हमलों पर किया था पलटवार
पंजाब में दिए गए पंच प्यारे से संबंधित बयान पर माफी मांगने के बाद भी जब भाजपा और दूसरे दलों के राजनीतिक हमले बंद नहीं हुए तो उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने विरोधियों पर करारा हमला किया था। उन्होंने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा में चांदी के मुकुट पहनने का उदाहरण दिया। साथ ही पूछा कि उन्होंने प्रकरण पर माफी मांगी या नहीं। साथ ही उन्होंने अकाली दल पर भी प्रहार किए।
सोशल मीडिया में हरीश रावत ने पोस्ट डाली और विरोधियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिन की अति व्यस्तता के बीच मैं उत्तराखंड के समाचारों की जानकारी नहीं ले पाया। पंच प्यारे शब्द के उद्बोधन के लिए मेरी माफी के बावजूद भाजपा और भाजपा के कुछ नेताओं के बयानों को देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। पंज प्यारे शब्द अति पवित्र, आदरणीय है और मैंने आदरयुक्त भाव से ही इस शब्द का उपयोग किया। अनादर शो करने के लिए इस शब्द का उपयोग मैंने कहीं भी नहीं किया।

पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आगे लिखा कि इस तथ्य को भी भाजपा व अकाली दल के लोग जानते हैं कि गुरु साहिबान के जो नाम हैं, उन नामों के साथ कई नामों का संबोधन है। बहुत सारे लोग नानक चंद, नानक, श्री गोविंद, श्री हरगोविंद आदि शब्दों का उपयोग करते हैं। और भी दूसरे गुरुओं के नाम वाले शब्दों का उपयोग करते हैं। वो उनके आदर भाव का सूचक है। लोग अपने व्यवसायों के नाम भी कभी महापुरुषों के नाम पर रखते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वो अनादर करते हैं। मेरे लिए पंज प्यारा शब्द अत्यधिक आदर युक्त शब्द है। चुनाव के वर्ष में कोई अनावश्यक राजनैतिक विवाद खड़ा न करे, इसलिए मैंने अपने उद्बोधन के लिए न केवल क्षमा मांगी, बल्कि इस शब्द के प्रयोग के लिए मैंने प्रायश्चित स्वरूप गुरु स्थान में झाड़ू लगाकर, कार सेवा करने का संकल्प भी व्यक्त किया।
हरीश रावत ने कहा कि- मैं, भाजपा के दोस्तों से पूछना चाहता हूं नानकमत्ता साहब में जहां कोई नंगे सर नहीं जाता है, गुरु ग्रंथ साहब के सामने किसने माथे पर मुकुट धारण किया? उस पवित्र स्थल में जहां गुरुवाणी गूंजती है, वहां गीत-संगीत, नाटक आदि के मनोरंजन, जिसका सिख्खी से कोई वास्ता नहीं है, उसके आयोजक कौन थे? क्या जिस व्यक्ति ने मुकुट धारण किया था, उन्होंने सिख संगतों से माफी मांगी? किसी गुरु स्थान पर जाकर झाड़ू लगाकर, जूते साफ कर प्रायश्चित किया?
उन्होंने आगे कहा कि-पंजाब में अकाली दल और भाजपा की मिली जुली सरकार थी, जब गुरु ग्रंथ साहब का अपमान हुआ था और उस अपमान के विरोध में आवाज उठाने वाले लोगों को गोली मारी गई थी। उस समय भी भाजपा-अकाली गठबंधन की सरकार थी। क्या प्रकाश सिंह बादल जी ने, सुखबीर सिंह बादल जी ने या भाजपा के श्री श्री किसी नेता ने उसके लिए सार्वजनिक माफी मांगी है? ये कांग्रेस है, जो कांग्रेस किसी का अनादर न करते हुए भी अनजाने में भी अनादर हो रहा है तो उसके लिए क्षमा मांगने का बड़ा दिल रखती है। यदि भाजपा के दोस्तों हिम्मत है तो जिस व्यक्ति ने गुरु ग्रंथ साहब के सामने मुकुट धारण किया, जरा उनसे कहो कि वो माफी मांगे। हरीश रावत के तरीके से, किसी गुरु स्थान में जाकर के झाड़ू लगाएं। गुरु ग्रंथ साहब के अपमान और उस अपमान के विरोध में आवाज उठा रहे लोगों को गोली मारने के कृत्य के लिए अपने नेताओं से कहें कि सार्वजनिक माफी मांगे।
हरीश रावत ने कहा कि- मेरी विनम्रता को मेरी कमजोरी न समझा जाए। यह मेरी शक्ति है। याद रखना और मैं बहुत विनम्रता से कह रहा हूं कि यह वही हरीश रावत है, जिसने नानकमत्ता साहब और रीठा साहब की, दोनों पवित्र स्थलों की सेवा की है। जिसने श्री हेमकुंड साहब हजारों लाखों तीर्थयात्री पहुंच सकें, उसके लिये उसी प्राथमिकता पर मार्ग/सड़क निर्माण, सुविधाएं विस्तार का काम किया। जिस तर्ज पर श्री केदारनाथ जी की यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए किया गया। यदि मुझे कुछ वक्त और मिल गया होता, घंघरिया से हेमकुंड साहब तक मैंने रोपवे लगाने के पवित्र कार्य को भी प्रारंभ कर दिया होता है।
उन्होंने कहा कि-खैर यह मेरा मुख्यमंत्री के रूप में कर्तव्य था। मैंने अपना कर्तव्य निभाया है। मैंने कभी उसके लिए कुछ चाहत नहीं रखी है। जब आज मुझ पर अकारण प्रहार किया जा रहा है तो फिर मेरा दिल भी कुछ कहने को व्याकुल है। इसलिये आज मैं सिख संगत व समाज के सामने इस बात को रख रहा हूं कि क्या मैंने उनके गुरु स्थानों की खिदमत में जब भी अवसर मिला कुछ कमी रखी है? और यदि नहीं रखी है तो जो लोग सिख के बाने में अपने राजनैतिक कर्तव्य के लिए पंज प्यारे शब्द के उद्बोधन के लिए मेरी निंदा करने में तुले हुए हैं। सिख समाज को आगे आना चाहिए और उन लोगों के इस राजनैतिक कुप्रयास की निंदा करनी चाहिये।
हरीश रावत का बयान
पंजाब में कांग्रेस की कलह को सुलझाते सुलझाते उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी ऐसा बोल गए, जिसे सिख समुदायक धार्मिक भावनाओं पर ठेस पहुंचाने वाला बता रहा है। अकाली दल हरीश रावत की तुलनात्मक टिप्पणी से नाराज हो गया। दल की ओर से सिख संगत से माफी मांगने की मांग की जा रही है।
पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह के बीच पार्टी प्रभारी हरीश रावत मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और उनके अधीन चार कार्यकारी अध्यक्ष ‘पंज प्यारे’ की तरह हैं। इस टिप्पणी से रावत विवादों में आ गए हैं। अकाली दल ने इसे धार्मिक अपमान कहा है और आरोप लगाया है कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनके कार्यकारी अध्यक्षों की तुलना गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा में शामिल किए गए “पंज प्यारों” से की है।
हरीश रावत ने मांगी थी माफी
इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक ही दिन बाद माफी मांग ली थी। सोशल मीडिया में पोस्ट के जरिये उन्होंने कहा कि वह सिख धर्म के प्रति आदर का भाव रखते हैं। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि- कभी आप आदर व्यक्त करते हुये, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। हरीश रावत ने कहा कि मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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