पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के बागी तेवर के बीच हरीश रावत का एलान, अमरिंदर के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
पंजाब में कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के बगावती तेवर के बीच कांग्रेस प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बयान आया कि पंजाब में कांग्रेस आगामी चुनाव कैप्टन अररिंदर सिंह के ही नेतृत्व में पड़ेगी। हरीश रावत का बयान उस समय आया जब पंजाब सरकार के चार कैबिनेट मंत्रियों समेत सात कांग्रेस विधायक उत्तराखंड पहुंच गए और उनकी हरीश रावत से मीटिंग भी हुई। ये विधायक उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से कराने की मांग कर रहे हैं।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत एक बार फिर पंजाब कांग्रेस के संकट को लेकर सक्रिय हो गए हैं। रावत पंजाब के प्रभारी हैं, लिहाजा इस राजनीतिक घटनाक्रम में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। इस सिलसिले में रावत से मिलने पंजाब के सात विधायक उत्तराखंड पहुंचे हैं। आपको बता दें कि पंजाब में मंगलवार को 30 कांग्रेस विधायकों के मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल देने के बाद देहरादून में कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के आवास पर हलचल बढ़ गई।
इस बीच हरीश रावत का बयान अमरिंदर सिंह का समर्थन करते हुए आया। उन्होंने कहा है कि पार्टी अगला चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ेगी। राज्य में पार्टी प्रभारी रावत ने कहा कि हम कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2022 का पंजाब चुनाव लड़ेंगे। पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने पंजाब के कैबिनेट मंत्री व विधायकों की शिकायत सुन ली हैं और पार्टी की मजबूती के बारे में अपनी राय भी उनके सामने रख दी है। मंत्री व विधायकों की नाराजगी दूर कर दी जाएगी। न कांग्रेस पार्टी को कोई नुकसान होगा न सरकार को कोई खतरा है और न आने वाले 2022 के चुनाव की तैयारियों को नुकसान होगा।
पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत का कहना है कि ऐसा नहीं है कि पार्टी ने पूरी कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी है। पार्टी के भीतर वरिष्ठ जनों में अम्बिका सोनी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया, चरनजीत सिंह चन्नी लंबे समय से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं। मैं उनकी बातें सुनकर समाधान का रास्ता निकालूंगा।
पंजाब कांग्रेस में इनदिनों मची उथल-पुथल को प्रदेश प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गंभीर नहीं माना है। उनका कहना है कि पार्टी के भीतर अपनी बात रखना और नाराजगी जाहिर करना बगावत की श्रेणी में नहीं आता है। रावत ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है कि पार्टी ने पूरी कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी है।
हरीश रावत ने बताया कि नाराज मंत्री और विधायक बीते मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मिले थे। उसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने के लिए समय मांगा। आज मैं उनकी बातें सुनकर उसके समाधान का रास्ता तलाशने का प्रयास कर रहा हूं। वहीं, पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2016 में मेरे खिलाफ जिन विधायकों ने विरोध का बिगुल बजाया उनके पीछे एक सशक्त पार्टी का हाथ था। पंजाब में स्थिति ऐसी नहीं है, वहां पार्टी के भीतर ही कुछ बातों को लेकर विधायक और मंत्रियों में मनमुटाव है। इसका बातचीत से बाद समाधान निकाल लिया जाएगा। हरीश रावत ने कहा कि पार्टी के भीतर अपनी बात रखना व नाराजगी जाहिर करना बगावत की श्रेणी में नहीं आता है।
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान मंगलवार को उस वक्त तेज हो गई, जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री सिंह को हटाने की खुले तौर पर वकालत कर दी। उन्होंने कहा कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं। सिद्धू को भी मुख्यमंत्री सिंह के करीबी माने जाने वाले पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के एक समूह द्वारा निशाना बनाया गया। उन्होंने सिद्धू के दो सलाहकारों की कथित राष्ट्र विरोधी एवं पाकिस्तान समर्थक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और चेतावनी दी कि लगभग छह महीने में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले यह कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग कश्मीर और पाकिस्तान पर अपनी हालिया विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर विपक्ष और पार्टी के निशाने पर आ गए हैं। इससे पहले अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को अपने सलाहकारों पर लगाम लगाने के लिए कहा था और उनकी टिप्पणी को गलत बताया था, जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को पार्टी में रखा जाना चाहिए.
पंजाब के मुख्यमंत्री को मंगलवार को प्रतिद्वंद्वी खेमे से खुले विद्रोह का सामना करना पड़ा। चार मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और लगभग 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बाजवा के आवास पर मुलाकात की। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, बाजवा ने कहा कि यह प्रयास नहीं, बल्कि लोगों की मांग है। मुख्यमंत्री के नए चेहरे पर एक सवाल के जवाब में बाजवा ने कहा कि फैसला पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा।
बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और राज्य की राजनीतिक स्थिति से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि-कड़े कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है, तो यह किया जाना चाहिए।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।