अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों में आधे लोगों को ठीक होने के दो साल बाद भी कोरोना का असर, स्टडी में हुआ खुलासा
कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में ऐसे मरीज भी काफी हैं, जिन्हें स्वस्थ होने के दो साल बाद भी कोरोना का असर है। अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में से आधे मरीज संक्रमण के दो साल बाद भी कोरोनावायरस के एक या दो लक्षणों से जूझ रहे हैं।
कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में ऐसे मरीज भी काफी हैं, जिन्हें स्वस्थ होने के दो साल बाद भी कोरोना का असर है। अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में से आधे मरीज संक्रमण के दो साल बाद भी कोरोनावायरस के एक या दो लक्षणों से जूझ रहे हैं। द लैंसेट रिस्पिरेटरी मेडिसिन ने एक स्टडी में इसका खुलासा किया। इस स्टडी के जरिये लॉंग्स कोविड के असर के सबूत मिले हैं। लॉंग्स कोविड उस अवस्था को कहते हैं, जहां मरीज कोरोनावायरस से उबरने के बाद भी कई तरह की समस्याओं से लंबे समय तक जूझता है। इस स्टडी को चीन के मरीजों के आधार पर तय किया गया है। चीन के बुहान प्रांत में दिसंबर 2019 में कोरोना का पहले मरीज सामने आया था। इसके बाद दुनियाभर में ये महामारी फैली और भारी तबाही मची।स्टडी के प्रमुख लेखक एवं चीन में चाइना जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल के प्रोफेसर बिन काओ के मुताबिक, हमारे नतीजों से पता चलता है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले कुछ लोगों को पूरी तरह से ठीक होने में दो साल से ज्यादा समय की जरूरत है। बीमारी के लंबे वक्त तक होने वाले प्रभाव को समझने के लिए संक्रमित लोगों का लगातार फॉलोअप करने की जरूरत है। साथ ही हमें ये भी समझने की जरूरत है कि वैक्सीन से इलाज का और वैरिएंट का लंबे समय तक क्या प्रभाव होता है।
इस तरह की हो रही हैं समस्याएं
स्टडी में कहा गया है कि संक्रमण से स्वस्थ होने वाला मरीज शारीरिक और मानसिक रूप से भले ही ठीक हो जाता है, लेकिन रिकवर होने पर कई मरीजों को आम लोगों की तुलना में खराब स्वास्थ्य और जीवनस्तर से जूझ़ना पड़ता है। ऐसे में लोगों को आमतौर पर थकान, सांस लेने में दिक्कत, सोने में कठिनाई जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। स्टडी में लेखकों ने अस्पताल में भर्ती हुए कोविड-19 मरीजों के ठीक होने पर उनके लॉंग्स टर्म स्वास्थ परीणामों का विश्लेषण किया।
कुछ इस तरह के मिले नतीजे
वुहान के जिन यिन तान अस्पताल में सात जनवरी 2020 से लेकर 29 मई 2020 तक भर्ती 1192 लोगों को स्टडी में शामिल किया गया। ऐसे लोगों पर छह माह, एक साल और दो साल तक अध्ययन किया गया। कोविड संक्रमण से ठीक होने के छह माह बाद 68 फीसद लोगों ने बताया कि उन्हें लॉंग्स कोविड के एक लक्षण से जूझना पड़ रहा है। ठीक होने के दो साल बाद 55 फीसद लोगों में थकान, मांसपेशियों में कमजोरी की सबसे अधिक रिपोर्ट की गई। रिकवर होने के छह माह बाद 52 फीसद ने बताया कि उन्हें दो लक्षणों का सामना करना पड़ा। 30 फीसद लोग ऐसे थे, जिन्हें ये दो साल तक झेलना पड़ा। संक्रमण की गंभीरता के बावजूद 89 फीसद लोग अपने सामान्य जीवन में लौट आए।





