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March 10, 2025

हल्द्वानी की घटना को बताया समुदाय विशेष के खिलाफ षडयंत्र, विपक्षी दलों और सिविल सोसायटी ने निकाला मार्च

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई घटना को षडयंत्र बताते हुए विपक्षी दलों और सिविल सोसायटी ने उत्तराखंड के कई स्थानों पर धरने, प्रदर्शन के साथ ही मार्च किया। इन विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से उत्तराखंड सरकार पर हिंसक घटनाओं और साम्प्रदायिक अभियानों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सभी विपक्षी दलों और जन संगठनों की ओर से एक मार्च निकाला गया। यह मार्च राजपुर रोड स्थित गांधी पार्क से शुरू होकर घंटाघर होते हुए वापस गांधी पार्क पहुंचा। मार्च से पहले गांधी पार्क के गेट पर एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने राज्य सरकार पर समुदाय विशेष को निशाना बनाने का आरोप लगाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं का कहना था कि आठ फरवरी को जो टकराव की स्थिति पैदा की गई, उसे टाला जा सकता था। इस घटना को साम्प्रदायिक रूप देने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि यह वास्तव में प्रशासन द्वारा आम नागरिकों के खिलाफ की गई सीधी कार्रवाई थी। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि बनभूलपुरा में जो कुछ हुआ, वह शर्मनाक है और पूरी तरह से प्रशासन की विफलता है। उन्होंने निर्दोष लोगों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई को बंद करने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीपीआई के समर भंडारी ने कहा कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई और लगता है कि ऐसा समुदाय विशेष को भड़काने के इरादे से किया गया। उन्होंने कहा कि पुरोला से शुरू किया गया माहौल खराब करने का प्रयास बनभूलपुरा तक पहुंचाया गया है। सीपीएम के राजेन्द्र नेगी ने बनभूलपुरा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बताया। कहा कि यह सब सरकार की इशारे पर किया गया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार पर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लगातार प्रयास करने का आरोप लगाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाकपा माले के इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जब 14 फरवरी को कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी, फिर इतनी जल्दबाजी क्यों की गई। उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार बनभूलपुरा में दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। घरों में घुसकर लोगों को पीटा जा रहा है। महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है। उन्होंने हल्द्वानी नगर निगम के कमिश्नर पंकज उपाध्याय को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और सवाल किया कि वे किसकी शह पर पिछले कई सालों से हल्द्वानी में ही अलग-अलग पदों पर नियुक्त होते रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

सिविल सोसायटी की ओर से डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि उत्तराखंड में इस तरह की घटना इससे पहले कभी नहीं हुई थी, जैसी बनभूलपुरा में हुई। उनका कहना था कि बिना सरकारी संरक्षण के इतनी बड़ी घटना होना संभव नहीं है। डॉ. चोपड़ा ने इस मामले में सामान्य नियमों की भी अनदेखी किये जाने का आरोप लगाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत ने सभा का संचालन करते हुए आशंका जताई कि बनभूलपुरा में अब भी दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है। बस्ती में क्या हो रहा है, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है। क्योंकि अंदर किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा है। बस्ती में केवल पुलिस है, वह लोगों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है, यह कोई नहीं जानता। कई मुस्लिम परिवारों के अपने घर छोड़कर चले जाने की सूचनाएं मिल रही हैं, जो इस बात का संकेत है कि पुलिस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बनभूलपुरा की घटना के विरोध में विपक्षी दलों और सिविल सोसायटी की ओर से देहरादून के अलावा हल्द्वानी, मुनस्यारी और गरुड़ में भी प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया गया। काशीपुर, हरिद्वार और कई अन्य जगहों पर गुरुवार को प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम के अन्त में 16 फरवरी 2024 को होने वाली मजदूर हड़ताल को समर्थन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सभा में कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी, पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, शीशपाल सिंह बिष्ट, याकूब सिद्धिकी, जसविन्दर सिंह गोगी, सीपीआई (एम)के अनन्त आकाश, अखिल भारतीय किसान सभा के सुरेन्द्र सिंह सजवान, गंगाधर नौटियाल, सीटू के लेखराज, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, आयूपी के नवनीत गुंसाई, कर्मचारी नेता एस एस नेगी, सीआईटीयू के महेन्द्र जखमोला, उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, रजिया बेगम, मल्लिका विर्दी, पद्मा गुप्ता, सतीश धौलाखंडी, बीजू नेगी, दीपा कौशलम, शिवानी पांडेय, तान्या गौरी, हेमलता नेगी, त्रिलोचन भट्ट, लताफत हुसैन, नितिन मलेठा, आकाश, कैलाश सहित बड़ी संख्या में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक एवं जन संगठनों के लोग मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हल्द्वानी की घटना
गौरतलब है कि आठ फरवरी की शाम को बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण करार दिए गए मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने की कार्रवाई के दौरान पुलिस, प्रशासन की टीम पर पथराव हो गया था। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। फायरिंग करनी पड़ी। पथराव के दौरान छह लोगों की मौत की खबर है। वहीं, 60 पुलिस कर्मियों के साथ ही तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। भीड़ ने कई वाहनों को जला डाला। साथ ही थाने में भी आग लगा दी। हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही दंगाइयों को देखते गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मामले लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से ये घटना हुई। ना तो स्थानीय लोगों को विश्वास लिया। साथ ही धार्मिक नेताओं और क्षेत्रीय शांति कमेटी का भी सहयोग भी नहीं लिया गया। ऐसे में माहौल खराब हो गया। पथराव की घटना की हर एक ने निंदा की, लेकिन प्रशासन की लापरवाही को भी माना। लोगों का कहना था कि जब मामला कोर्ट में पहुंच गया था, तो कुछ इंतजार किया जाना साथ ही लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मस्जिद में बुलडोजर चलाने को राजनीतिक लाभ लेने की दृष्टि से भी देख रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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