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December 15, 2024

धूमधाम से मनाया गुरु हरि कृष्ण साहेब का प्रकाश पर्व, कोरोना के लिहाज से गुरु की शिक्षा का जीवन में महत्वः धस्माना

सिख धर्म के आठवें गुरु श्री हरिकृष्ण साहेब का प्रकाश पर्व आज धूमधाम से देहरादून के पटेलनगर गुरुद्वारे में अखंडपाठ, गुरु शब्द कीर्तन व प्रवचन के साथ संपन्न हुआ।

सिख धर्म के आठवें गुरु श्री हरिकृष्ण साहेब का प्रकाश पर्व आज धूमधाम से देहरादून के पटेलनगर गुरुद्वारे में अखंडपाठ, गुरु शब्द कीर्तन व प्रवचन के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना को स्मृति चिन्ह भेंट कर समानित किया गया। श्रद्धालु संगतों को गुरुपर्व की बधाई देते हुए धस्माना ने कहा कि गुरु श्री हरि कृष्ण साहेब का पूरा जीवन प्रेरणादायक है। आज के कोरोना काल में उनकी शिक्षा का बहुत ज्यादा महत्व है। आज पूरा देश व दुनिया जिस तरह वैश्विक महामारी कोरोना से ग्रस्त है और लोगों ने एक दूसरे से जिस प्रकार दूरी बनाई है ऐसे ही गुरु हरिकृष्ण जी के समय दिल्ली में चेचक महामारी फैली थी। जो कोरोना से भी ज्यादा घातक थी, लेकिन गुरु हरिकृष्ण साहेब ने दिल्ली में चेचक मरीजों की अपने हाथों से सेवा की और लोगों को स्वस्थ किया। वह खुद संक्रमित हो गए और उसके बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
धस्माना ने कहा कि आज जब कोरोना संक्रमण से देश की जनता त्राहीमाम त्राहीमाम कर रहा है तब सरकार ने प्रोटोकॉल में सबसे पहले नारा सामाजिक दूरी का दिया। नारा शारीरिक दूरी का होना चाहिए था। लोगों ने एक दूसरे से दूरी बना ली और नौबत यहां तक आ गयी कि संक्रमित होने पर बेटे ने बाप को छोड़ दिया और पति ने पत्नी को छोड़ दिया। भाई भाई ने एक दूसरे से दूरी बना ली। धस्माना ने कहा कि ऐसी संकट की घड़ी में हमें गुरु श्री हरिकृष्ण साहेब के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर संत अमरजीत सिंह सींगरा करनाल ने अपने प्रवचन में गुरु हरि कृष्ण साहेब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके चमत्कारिक व्यक्तित्व पर कहा कि 7 वर्ष की अल्प आयु में गुरु गद्दी पर विराजमान हुए। दो वर्षों में जो कार्य गुरु हरि कृष्ण ने किए, उसका उदाहरण कहीं नहीं मिलता।
कीर्तन दरबार साहिब अमृतसर सरदार भूपेंद्र सिंह ने शब्द कीर्तन से श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम में गुरुद्वारा हरिकिशन साहेब पटेलनगरप्रधान हरमंदर सिंह, सचिव जगजीत सिंह, स्टेज सेकेट्री सरदार करतार सिंह, जसविंदर सिंह मोठी,सरदार बीएम सिंह आदि उपस्थित रहे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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