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June 27, 2025

गुजरात तो है बहाना, योगी हो सकते हैं निशाना, पिक्चर अभी है बाकी, अन्य कई राज्यों में भी बदले जा सकते हैं सीएम

करीब छह माह के भीतर उत्तराखंड, कर्नाटक और अब गुजरात बीजेपी के मुख्यमंत्री बदलने के बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि अब दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी नंबर आ सकता है।

करीब छह माह के भीतर उत्तराखंड, कर्नाटक और अब गुजरात बीजेपी के मुख्यमंत्री बदलने के बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि अब दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी नंबर आ सकता है। वहीं, राजनीतिक जानकार तो यहां तक दावे कर रहे हैं कि गुजरात तो बहाना है। असली मकसद को योगी आदित्यनाथ को हटाना है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ बड़ी तेजी से हिंदूवादी चेहरा बनकर उभर रहे हैं। ऐसे में कुछ बड़े नेताओं की वे आंख की किरकिरी बने हुए हैं। उन्हें हटाने के कुछ समय पहले प्रयास किए गए, लेकिन वे सब पर भारी पड़े।
विधानसभा चुनाव की पाइपलाइन में देश का सबसे अहम राज्य उ.प्र. है। कोरोना की दूसरी लहर के उ.प्र. में राजनीति का पारा बहुत गरमाया। इस दौरान भाजपा की जितनी छिछालेदारी हुई, उसे अपनी चतुराई, पकड़, सूझबूझ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बच गए। पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री को लेकर उठ रही नाराजगी पर भी भाजपा ने करीब-करीब पर्दा डाल दिया है। भाजपा में संगठन और सरकार के स्तर पर अब उ.प्र. में मुख्यमंत्री बदलने, वहां मंत्रिमंडल विस्तार करने आदि जैसी कोई बड़ी चर्चा नहीं है। पार्टी के नेताओं को भी लग रहा है कि राज्य सरकार से जनता की नाराजगी को काबू करने में मदद मिली है। वहीं, जानकारों का ये मानना है कि यूपी को निशाना बनाने से पहले कर्नाटक और गुजरात का खेल खेला गया। ताकी आसानी से योगी आदित्यनाथ को दवाब में लिया जा सके।
अगले कई सालों का खींचा जा रहा है खाका
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अगले कई सालों का चुनावी रणनीतिक खाका खींच लिया है। गुजरात के सीएम विजय रूपाणी का इस्तीफा इसकी एक कड़ी मात्र है। इसके पहले बीजेपी आलाकमान ने महज तीन महीनों में तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदलकर आने वाले समय की राजनीतिक तैयारियों को लेकर बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आने वाले समय में कुछ और राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है। इसकी एक बड़ी वजह पार्टी नेतृत्व को मिला फीडबैक है, जो अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। ऐसे में कमजोर विपक्ष के बावजूद बीजेपी नेतृत्व समय रहते सारे ढीले पेंच कस लेना चाहता है। गुजरात में नेतृत्व बदलाव इसी बात का संकेत है।
तीन राज्यों के बदले सीएम
गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड, कर्नाटक और अब गुजरात के मुख्यमंत्री को बदला है। मार्च महीने में अचानक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कुर्सी चली गई थी। त्रिवेन्द्र की कुर्सी तब गई, जब उन्हें हटाने की मांग करने में जुटे भाजपा के नेता दिल्ली दौड़-दौड़कर पस्त हो चुके थे। त्रिवेन्द्र के उत्तराधिकारी तीरथ सिंह रावत बने। रावत भी पद पर बहुत दिन नहीं रह पाए। उन्हें कोरोना की दूसरी लहर, अटपटे बयान और परिस्थितियों ने अपना शिकार बना लिया। तीन महीने के भीतर उत्तराखंड को तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मिले और धामी के कामकाज से फिलहाल भाजपा मुख्यालय संतुष्ट है। उत्तराखंड भाजपा के नेताओ की भी शिकायत न के बराबर है। वहां भी विधानसभा चुनाव होना है।
कर्नाटक में भी पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता बीएस येद्दुरप्पा को बदल दिया। ताकि भविष्य की राजनीति के लिहाज से मजबूत जमीन तैयार की जा सके। अब गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि वह ढील देने या कमजोर नेतृत्व को नजरअंदाज करने के पक्ष में कतई नहीं है।
इन राज्यों में भी बदल सकता है नेतृत्व
अगर अंदरूनी सूत्रों की मानें तो अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर फेरबदल देखने को मिल सकता है। इसकी वजह इन राज्यों में फीडबैक अच्छा नहीं आया है। इन सभी राज्यों में बीजेपी की ही सरकार है। मध्यप्रदेश में तो 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी को विधानसभा चुनाव में उतरना है। त्रिपुरा में भी प्रदेश नेतृत्व पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं और पार्टी के लिए दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। हरियाणा में भी यही हाल है। यूपी में भी अक्सर सीएम बदलने की चर्चाओं को हवा मिलती रहती है। ऐसे में स्थानीय सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा ने गैर जाट राजनीति को आगे बढ़ाया है, लेकिन नेतृत्व को लेकर समस्या कम नहीं हो रही है।
2024 के लिए मजबूत बुनियाद की तैयारियां
सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व की असल चिंता 2024 लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी इन चुनावों में अपना प्रदर्शन मजबूत रखना चाहती है, ताकि 2024 के लिए एक मजबूत बुनियाद मिल सके। यही वजह है कि चुनाव से पहले फीडबैक लेने की रणनीति बनाई गई और अब उसी के अनुरूप गोटियां बिछाई जा रही हैं। कोरोना संक्रमण ने बीजेपी के लिए खासी दिक्कतें बढ़ाई हैं। लोगों में नाराजगी है, जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी नए नेताओं के साथ नई तैयारियों के साथ जनता का विश्वास नए सिरे से पाना चाहती है।
उत्तराखंड की राज्यपाल ने भी दिया था इस्तीफा
गौरतलब है कि बेबी रानी मौर्य ने 8 सितंबर को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया था। इसके बाद से ही नए राज्यपाल के नाम को लेकर चर्चाएं हो रही थीं। 28 अगस्त 2018 को बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी। 3 साल से अधिक का वक्त गुजारने के बाद राज्यपाल बेबी रानी मौर्य अपने पद से इस्तीफा दिया।
चार राज्यों में की गई थी राज्यपालों की नियुक्ति
इसके बाद कई प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति कर दी गई थी। बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद बृहस्पतिवार को लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह उत्तराखंड का नया राज्यपाल बनाया गया। वह उत्तराखंड के आठवें राज्यपाल हैं। इसके साथ ही वहीं तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया है। नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया है। उधर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी को नागालैंड का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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