गोवर्धन पूजा के दिन गोशाला में जलाए दीप, गोमाता को खिलाया गया ग्रास
दीपावली के दूसरे दिन आज गोवर्धन पूजा का दिन है। इस दिन गाय माता की सेवा का भी प्रावधान है। इसके तहत गाय को फल व ग्रास खिलाया जाता है। गोमाता की पूजा की जाती है। देहरादून में गो मंदिर द्रोण आश्रम में भी गोवर्धन पूजा में बच्चों के साथ बड़ों ने भाग लिया। इस मौके पर गो माता के पैर धोकर तिलक किया गया।
आचार्य पंडित विपिन जोशी ने गोमाता की विशेष पूजा की। साथ ही बच्चों को गाय के महत्व के साथ ही परंपराओं और रीति रिवाजों से अवगत कराया। इस दौरान गोमाता के गले में घंटियां भी बांधी गई। गोशाला में दीपक जलाए गए। पंडित जोशी ने कहा कि गोपालन से ही भारत विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने कहा यदि उत्तराखंड में गोपालन के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जाए, पलायन रोकने के साथ-साथ उत्तराखंड आत्मनिर्भर बन जाएगा। इस अवसर पर गीता जोशी, रेखा सोनकर, लावण्या, रजत, अलायना, आरव, गीतिका, दर्श, सहज, आन्या, सिमरन, सेजल आदि उपस्थित रहे।
गोवर्धन पूजा का महत्व
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस त्योहार के दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा जहां एक तरफ भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाने का पर्व है वहीं यह प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने का त्योहार भी है। गोवर्धन पूजा के दौरान इस दिन गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल और फूल आदि चढ़ाएं जाते हैं। इसके अलावा गोवर्धन पूजा पर गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।