ग्राफिक एरा के वैज्ञानिक ने दिया दुनिया को नायाब तोहफा, गन्ने के रस से सेंसर में इस्तेमाल होना वाला मेम्बरेन बनाया, जानिए इसके फायदे
उन्होंने बताया कि मेम्बरेन का उपयोग पानी के शुद्धिकरण, बायो फ्यूल सैल के जरिये औद्योगिक कचरे से बिजली बनाने, इलेक्ट्रिक कारों, विभिन्न प्रकार के सेंसर बनाने जैसे तमाम कार्यों में किया जाता है। इसके लिए अभी तक आयोनिक लिक्विड जैसे कॉमर्शियल लिक्विड इस्तेमाल किए जा रहे थे, जो बहुत महंगे हैं। डॉ वारिज ने बताया कि बहुत सस्ती दरों पर उपलब्ध गन्ने के रस से एक विशेष विधि से यह मेम्बरेन तैयार किया गया है। करीब 2 पैसे प्रति वर्ग सेंटीमीटर की लागत पर यह मेम्बरेन तैयार हो जाता है। औद्योगिक उत्पादन की स्थिति में यह लागत और घट जाएगी। हालांकि अभी इससे आठ गुने से अधिक लागत पर मेम्बरेन बनाये जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने गन्ने के रस से मेम्बरेन बनाने की इस नई तकनीक का पेटेंट ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम से दर्ज कर लिया है। यह पेटेंट अगले 20 वर्षों के लिए ग्राफिक एरा को दिया गया है। इससे पहले डॉ वारिज पंवार गन्ने के रस से ही एक पॉलिमर सेंसर तैयार कर चुके हैं, उसका पेटेंट मार्च, 2021 में आस्ट्रेलिया की सरकार ने में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम दर्ज हो चुका है।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने इस कामयाबी पर डॉ वारिज पंवार को बधाई देते हुए कहा कि दुनिया की आधुनिकतम तकनीकों से सुसज्जित ग्राफिक एरा की प्रयोगशालाएं आगे बढ़ने की नई संभावनाएं खोलती हैं और नई खोजों के जरिये यहां की फैकल्टी दुनिया में अपनी प्रतिभा की धाक जमा रही है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
उत्कृष्ट खोज ।