Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

January 10, 2025

ग्राफिक एरा ने प्रेस क्लब में लगाया फेफड़ों की जांच का शिविर, अस्थमा पीड़ितों में 25 फीसदी बच्चे और किशोर: डॉ. त्यागी

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर मंगलवार को ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, धूलकोट व उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से देहरादून के परेड मैदान स्थित क्लब सभागार में पत्रकारों के लिए नि:शुल्क मेडिकल चेकअप कैंप आयोजित किया गया।

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर मंगलवार को ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, धूलकोट व उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से देहरादून के परेड मैदान स्थित क्लब सभागार में पत्रकारों के लिए नि:शुल्क मेडिकल चेकअप कैंप आयोजित किया गया। इसमें खासतौर से फेफड़ों की जांच की गई। साथ ही पीएफटी, शुगर व बीपी की जांच भी की गई। 57 पत्रकारों ने मेडिकल कैंप में अपनी स्वास्थ्य जांच कराई। ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूरट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मेडिकल डायरेक्टर व प्रसिद्ध छाती एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत त्यागी व डॉ. अंकित अग्रवाल ने जांच की। सुबह आरंभ हुआ मेडिकल मेडिकल कैंप दोपहर तक चला।
दोपहर आयोजित स्वास्थ्य गोष्ठी में डॉ. पुनीत त्यागी व डॉ. अंकित अग्रवाल ने विश्व अस्थमा दिवस के संबंध में जानकारी दी और इससे बचाव के प्रति जागरूक किया। डॉ. पुनीत त्यागी ने कहा कि विश्व भर में 20 करोड़ से भी ज़्यादा लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। अस्थमा बच्चों में होने वाली एक आम बीमारी है। 20 से 25 प्रतिशत अस्थमा से पीड़ित लोगों की उम्र 0 से 17 वर्ष के बीच में होती है। उन्होंने कहा कि अस्थमा वायुमार्ग में सूजन की बीमारी है। इसकी वजह से सांस नली में सूजन व संकुचन होने से फेफड़ों से हवा को बाहर लाना मुश्किल हो जाता है। इससे रोगी को सांस फूलना, खांसी, घरघराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसका एक प्रमुख कारण धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति भी है।

डॉ. त्यागी ने कहा कि एलर्जी पैदा करने वाले कारक अस्थमा के रोगी के लिए दिक्कत पैदा करते हैं। मसलन, घर में बिछी कालीन इसे बढ़ाने का काम करती है, क्योंकि उसमें बड़ी मात्रा में धूल कण होते हैं। इसी तरह, धूपबत्ती, बौर व वायु प्रदूषण भी इस तरह की दिक्कत पैदा करते हैं। इसलिए, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि अस्थमा प्रभावित व्यक्ति के आसपास यह स्थितियां न हों।
डॉ. त्यागी ने कहा कि मौजूदा अनियमित जीवन शैली व बढ़ता प्रदूषण अस्थमा जैसी बीमारी को बढ़ा रहे हैं। अस्थमा पीड़ित को इन्हेलर के इस्तेमाल से परहेज नहीं करना चाहिए। पत्रकारों के सवालों के जवाब में डॉ. त्यागी ने कहा कि कोविड ने लोगों के फेफड़ों पर असर जरूर डाला, लेकिन अच्छी बात यह रही कि समय के साथ अधिसंख्य लोगों के फेफड़े इससे रिकवर होकर पूरी तरह स्वस्थ हो गए।

इस मौके पर डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि विश्व अस्थमा दिवस प्रतिवर्ष मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इसे मनाए जाने का मुख्य कारण लोगों को अस्थमा से होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूक करना है। अस्थमा पीड़ित मरीज गुड मैनेजमेंट एंड मेडिकेशन से सामान्य व स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं।
ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के के हेड (मार्केटिंग) विशाल अरोड़ा ने जानकारी दी कि धूलकोट में अत्याधुनिक मशीनों और अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ ग्राफिक एरा मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शुरू किया गया है। इसमें बहुत ही कम मूल्य पर मेडिकल सुविधा मुहैया कराई जा रही है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने ग्राफिक एरा अस्पताल के डॉक्टर्स का पुष्प भेंटकर स्वागत व संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन महामंत्री ओपी बेंजवाल ने किया। क्लब कोषाध्यक्ष नवीन कुमार, कार्यकारिणी सदस्य राजेश बड़थ्वाल, महेश पांडे, सोबन सिंह गुसाईं, राजकिशोर तिवारी आदि ने मेडिकल स्टाफ का पुष्प देकर स्वागत किया। काफी संख्या में पत्रकार इस मौके पर मौजूद रहे।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page