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December 12, 2024

दुनिया को ग्राफिक एरा का तोहफा, टाइफाइड जांच की डीएनए आधारित नई विश्वसनीय तकनीकी का आविष्कार, किया पेटेंट

फोटोः टाइफाइड की जांच की नई टेक्नोलॉजी का आविष्कार करने वाली टीम के साथ डॉ. कमल घनशाला।

शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय ग्राफिक एरा ने दुनिया के चिकित्सा जगत को एक बड़े तोहफे से नवाजा है। ये तोहफा है – टाइफाइड की जांच के लिए एक नई और विश्वसनीय तकनीकी का आविष्कार। भारत सरकार ने ग्राफिक एरा के नाम इसका पेटेंट दर्ज करके इस बड़ी कामयाबी पर अपनी मुहर लगा दी। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बायोटेक डिपार्टमेंट के शिक्षकों ने यह शानदार आविष्कार किया है।
दुनिया भर में टाइफाइड की जांच के लिए अभी विडाल टेस्ट किया जाता है। विडाल टेस्ट में कई कमियां होने के कारण इसके परिणाम पूरी तरह विश्वसनीय नहीं होते। आमतौर पर विडाल टेस्ट के बाद करीब 14 प्रतिशत फाल्स पोजेटिव रिपोर्ट आती है। यानि टाइफाइड न होते हुए भी रिपोर्ट पोजेटिव मिलती है। यही वजह है कि डॉक्टर प्राय: विडाल टेस्ट पोजेटिव आने के बाद उसके रिजल्ट की पुष्टि के लिए कल्चर कराने की सलाह देते हैं। कल्चर कराने के बाद उसकी रिपोर्ट आने में एक हफ्ते से ज्यादा लग जाता है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बायोटेक डिपार्टमेंट की टीम ने लाईफ साईंस के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज गौतम के नेतृत्व में टाइफाइड की जांच की नई तकनीक का आविष्कार किया है। इस टीम में बायोटेक के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन कुमार, डॉ. निशांत राय और डॉ. आशीष थपलियाल शामिल हैं।
डॉ. पंकज गौतम ने बताया कि यह नई टेक्नोलॉजी डीएनए पर आधारित है। इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। विडाल टेस्ट कोरोना की एंटीजन जांच की तरह है, जिसमें त्रुटि हो सकती है। जिस तरह कोरोना का आरटी-पीसीआर टेस्ट बिल्कुल सही रिपोर्ट देता है, उसी तरह टाइफाइड जांच की यह नई तकनीक भी शत प्रतिशत सही परिणाम देती है।
डॉ. गौतम ने कहा कि टाइफाइड के बैक्टीरिया का संक्रमण जिस दिन हुआ हो, इस नई तकनीक से जांच करने पर पहले दिन सही स्थिति की जानकारी मिल जाती है। यानि शरीर में बहुत कम बैक्टीरिया होने पर भी वे छिपे नहीं रहे सकते।
आविष्कार करने वाली टीम के सदस्य बायोटेक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ नवीन कुमार ने बताया कि कई साल के लगातार प्रयासों के बाद इस आविष्कार में कामयाबी मिली है। इस टेक्नोलॉजी से टेस्ट की लागत करीब विडाल टेस्ट के बराबर ही है। इस नई टेक्नोलॉजी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पीसीटी में बहुत सराहा गया है।
कुलपति डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस महत्वपूर्ण आविष्कार को पेटेंट कराने के लिए वर्ष 2014 में आवेदन किया गया है। व्यापक स्तर पर जांच और परीक्षण के बाद भारत सरकार ने ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के नाम से इसे पेटेंट कर लिए जाने का प्रमाण पत्र जारी किया है।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने टाइफाइड की जांच की नई तकनीक के आविष्कार और इसका पेटेंट मिलने पर आविष्कारक टीम के साथ ही समूचे ग्राफिक एरा परिवार और उत्तराखंड को पूरी दुनिया को एक उपहार के रूप में नई और प्रमाणिक टेक्नोलॉजी का तोहफा देने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया में उत्तराखंड और देश का गौरव बढ़ा है।
कोरोना समेत सभी जांच एक सैंपल से करने की तैयारी
टाइफाइड की जांच की नई टेक्नोलॉजी का ईजाद करने वाली वैज्ञानिकों की टीम आजकल कोरोना समेत सभी वायरस और बैक्टीरिया की जांच एक ही टेस्ट के जरिये करने पर शोध कर रही है। टीम के सदस्यों डॉ पंकज गौतम और डॉ. नवीन कुमार बाजपेयी ने बताया कि ब्लड के एक सैम्पल से सभी जांच करने की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। करीब एक साल के लगातार प्रयासों के बाद अब जल्द ही इसका नतीजा आने की संभावना है। सभी वायरस और बैक्टीरिया की एक सैम्पल से जांच की ये टेक्नोलॉजी भी डीएनए/आरएनए पर आधारित होगी और बहुत सस्ती होगी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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