ग्राफिक एरा में इंटरनेशल वेबीनार में बेकार पदार्थों के बेहतरीन उपयोग पर चर्चा, हरिद्वार कुंभ से लिए सौंपे एक हजार थैले
देहरादून स्थित ग्राफिक एरा में इंटरनेशल वेबीनार के जरिये आज बेकार की चीजों के बेहतरीन उपयोग पर चर्चा हुई।
देहरादून स्थित ग्राफिक एरा में इंटरनेशल वेबीनार के जरिये आज बेकार की चीजों के बेहतरीन उपयोग पर चर्चा हुई। वेस्ट टू एनर्जी वेबीनार में बात करते हुए रूस साईंस आकादमी के मुख्य वैज्ञानिक प्रो. मिखाइल ब्लास्किन ने हाइड्रो थर्मल लिकुएफेक्सन तकनीक से अपषिष्ट पदार्थो को वेल्यू एडेड प्रोडक्ड्स में बदलने की तकनीक से बदलने की विधियों के बारे में बताया। मास्कों के ही रूदन युनिवर्सिटी की प्रो. एना इगोरेवना ने हाइड्रों थर्मल पावर प्लांट और घरों से निकलने वाले वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट की उपयोगिता और विषेषताओं पर चर्चा की।
माइक्रोबयोलाजी सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष अरविंद देशमुख ने कहा कि सूरज और हवा जैसे ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोतों का हम सीमित मात्रा में ही बिजली के लिए दोहन कर पर रहे हैं। समुचित मात्रा में उपयोग ना होने के कारण ऊर्जा के यह शोध व्यर्थ जा रहे हैं। इस दिशा में और अनुसंधान की आवश्यकता है जिससे हम इस ऊर्जा का सही उपयोग कर सकें।
विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस विभाग बायोटेक्नोलॉजी विभाग और माइक्रोबायोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के संयुक्त वेबीनार में ग्राफिक के डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. आरसी जोशी ने कहा कि कचरा व अपशिष्ट पदार्थों से उत्पन्न उपयोगी वस्तुओं का देश के सतत् विकास में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से इस दिशा में नई तकनीक विकसित करने का आह्वान करते हुए शोध करने की आवश्यकता पर जोर डाला।
वेबीनार को संबोधित करते हुए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (सीआईएई) के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर एनके त्रिपाठी ने कहा कि खाद्य पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि होने के के बावजूद खाद्यान्न की कमी एक समस्या बनी हुई है। जिसका कारण उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा वेस्ट के रूप में अनुपयोगी हो जाता है। यदि हम इस को अपशिष्ट को वैज्ञानिक तरीके से उपयोगी बना कर बायप्रोडक्ट में परिवर्तित कर सके तो इस देश की खाद्यान्न की कमी से निपटने और अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। साथ ही डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा खाद्य प्रसंस्करण से उत्पन्न वेस्ट को वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट में बदलने की विभिन्न विधियों पर प्रकाश डाला।
बायोटैक्नोलाजी विभाग के एचओडी ने वेबीनार में उपस्थित प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अंतर्रराष्ट्रीय वेबिनार में डा. नवीन कुमार वाजपेई, लाइव साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज गौतम, डॉ विनोद कुमार, संजय कुमार, डॉ स्मिता सिंह, डॉ जिगिषा आनंद, डॉक्टर इवान के साथ-साथ देश-विदेश के सैकड़ों छात्र-छात्राएं एवं विशेषज्ञों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।
कुंभ के लिए पर्यावरण गतिविधि को सौंपे 1000 सूती कपड़े के थैले
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण गतिविधि उत्तराखंड की ओर से हरिद्वार कुंभ को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए पॉलीथिन थैली के बजाय जूट या कपड़े से बने थैले को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी दिशा में कार्य करते हुए ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय ने पर्यावरण गतिविधि उत्तराखंड के पदाधिकारियों को कपड़े से बनें 1000 थैले भेंट किए। इनका उपयोग हरिद्वार महाकुंभ में भाग लेने आए श्रद्धालुओं द्वारा किया जाएगा। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर कमल घनशाला के जन्म दिवस 15 अप्रैल के मौके पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया गया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ संजय जसोला, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के कुलसचिव ओंकार नाथ पंडित, निदेशक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोफेसर डॉक्टर सुभाष गुप्ता ने विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों तथा शिक्षकों की उपस्थिति में पर्यावरण गतिविधि उत्तराखंड के पदाधिकारियों डॉक्टर भवतोष शर्मा, जगदंबा नौटियाल, विनोद पुंडीर तथा रमेश रावत जी को कपड़े से बने 1000 थैले भेंट किए।
डॉक्टर भवतोष शर्मा जोकि पर्यावरण गतिविधि महानगर देहरादून (उत्तर) के संयोजक हैं ने बताया कि अब तक महानगर देहरादून की ओर से लगभग 4000 कपड़ों से बने थैले महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के उपयोग हेतु हरिद्वार कुंभ भेजे जा चुके हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई शिक्षक उपस्थित रहे कार्यक्रम के दौरान कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया गया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।