Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 16, 2024

वर्तमान में भूमि की खरीद फरोख्त के लिए हो रही रजिस्ट्रियों पर रोक लगाए सरकारः करन माहरा

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि यदि सरकार राज्य में सख्त भू-कानून के प्रति ईमानदार है, तो वर्तमान में भूमि खरीद-फरोख्त के लिए हो रही रजिस्ट्रियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही राज्य में सशक्त भू-कानून अविलंब लागू किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में करन माहरा ने कहा है कि विगत लंबे समय से उत्तराखंड के लोग राज्य में सशक्त भू कानून लागू करने की मांग को लेकर आंदोलित हैं। उत्तराखंड एकमात्र ऐसा हिमालयी राज्य है, जहां पर राज्य के बाहर के लोग पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि भूमि, गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद सकते हैं। राज्य में सशक्त भू कानून नहीं होने की वजह से राज्य की जमीन को राज्य से बाहर के लोग बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राज्य के संसाधनों पर बाहरी लोग काबिज हो रहे हैं। इसके चलते स्थानीय मूल निवासी और भूमिधर अब भूमिहीन होते जा रहे हैं। इसका पर्वतीय राज्य की संस्कृति, परंपरा, अस्मिता और पहचान पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश के अन्य कई राज्यों में कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त से जुड़े सख्त नियम हैं। उत्तराखंड के ही पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी कृषि भूमि के गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद-फरोख्त पर पूर्ण रोक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक राज्य में एकमात्र भूमि बंदोबस्त 1960 से 1964 के बीच हुआ है। इन 50-60 सालों में कितनी कृषि योग्य भूमि का इस्तेमाल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया गया है, इसके आंकड़े भी सरकार के पास नहीं हैं। साथ ही उत्तराखंड राज्य निर्माण के उपरान्त राज्य में विकास से जुड़े कार्यों, सड़क, रेल, हैलीपैड समेत बुनियादी ढांचे का विस्तार, पर्यटन का विस्तार, उद्योग का विस्तार, भूस्खलन जैसी आपदाओं में जमीन का नुकसान, इस सब में कितनी कृषि योग्य भूमि चली गई। इसका ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करन माहरा ने कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण के उपरान्त वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद से अब तक भूमि से जुड़े कानून में कई बदलाव किए गए हैं। उद्योगों का हवाला देकर भू-खरीद प्रक्रिया को आसान बनाया गया। राज्य की सीमित कृषि योग्य भूमि का इस्तेमाल ही बुनियादी ढांचे के विकास के लिए हुआ है। खेती योग्य भूमि पर ही उद्योग लगाये गये तथा शहरीकरण हुआ। यहां तक कि पहाड़ों में जिला मुख्यालय, शिक्षण संस्थान एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठान सब श्रेष्ठ कृषि भूमि पर बने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में बाहरी लोगों की ओर से भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश भू-कानून में संशोधन किया गया। राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोधन में बाहरी लोगों को कृषि भूमि की खरीद 500 वर्ग मीटर तक सीमित की गई। वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा भू-कानून में संशोधन कर भूमि खरीद की सीमा घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वर्ष 2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा भू-कानून में बड़ा बदलाव कर उद्योग स्थापित करने के नाम पर पर्वतीय क्षेत्र में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा और किसान होने की बाध्यता समाप्त कर दी। साथ ही राज्य में कृषि भूमि का भू उपयोग बदलना आसान कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि कई हिमालयी राज्यों में सख्त भू-कानूनों के चलते उनकी अपनी जमीनें सुरक्षित हैं तथा उत्तराखंड ही एकमात्र ऐसा हिमालयी राज्य है जहां कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीनों की खरीद-फरोख्त कर सकता है। जहां एक ओर राज्य सरकार द्वारा सडकों के चौडीकरण के नाम पर बरसों से बसे लोगों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है, वहीं विगत 23 वर्षों में उत्तराखंड राज्य में हुई जमीनों की बेतहाशा खरीद-फरोख्त के चलते मैदानी क्षेत्रों के साथ ही पर्वतीय क्षेत्र की अधिकतर उपयोगी जमीनें बिक चुकी हैं। इसके कारण पर्वतीय क्षेत्रों से बडी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करन माहरा ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा भू-सुधार के लिए एक समिति गठित की गई थी। समिति ने राज्य में सख्त भू-कानून लागू करने के सुझाव के साथ वर्ष 2022 में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। राज्य सरकार द्वारा भू-कानून समिति द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा अपने एक वक्तव्य में राज्य में सख्त भू-कानून लागू किये जाने का जनता से वादा किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करन माहरा ने मांग की है कि यदि राज्य सरकार राज्य में सख्त भू-कानून के प्रति ईमानदार है तो वर्तमान में भूमि खरीद-फरोख्त के लिए हो रही रजिस्ट्रियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही भू-कानून समिति द्वारा दिये गये सुझावों पर तत्काल अमल करते हुए राज्य में सशक्त भू-कानून अविलंब लागू किया जाए। ताकि राज्य की बची हुई बेस कीमती भूमि को खुर्द-बुर्द होने से बचाया जा सके।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page