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September 18, 2025

कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार ने पकड़ी रफ्तार, बुधवार को कैबिनेट में होगा मंजूर

पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद अब इसे लेकर सरकार ने तेजी दिखानी शुरू कर दी है। अब 24 नवंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल को मंजूरी दी जाएगी।

पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद अब इसे लेकर सरकार ने तेजी दिखानी शुरू कर दी है। अब 24 नवंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल को मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार इसे पेश करेगी। जहां लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में इस पर मुहर लगाकर राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। यानी कि जिस तेजी से साथ ये कानून लागू किया गया, उसी तेजी के साथ इसे वापस लिया जा रहा है।
तीनों कानूनों की वापसी के ऐलान के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि हम तीन नए कानून लाए गए थे। मकसद था छोटे किसानों को और ताकत मिले। वर्षों से इसकी मांग हो रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इन पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश के कोने कोने में कोटि-कोटि किसानों ने अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया समर्थन किया। मैं आज उन सभी का उन सभी का बहुत आभारी हूं, धन्यवाद करना चाहता हूं।
इन कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करने से ठीक पहले पीएम ने कुछ यूं अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोशिशों के बावजूद हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए, भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था। हम उन्हें अनेकों माध्यमों से समझाते रहे। बातचीत होती रही। हमने किसानों की बातों को तर्क को समझने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। हमने 2 साल तक इन नए कानूनों को सस्पेंड करने की भी बात की। आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। हमने इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। पीएम ने कहा कि संसद के इसी शीतकालीन सत्र में सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरा कर देगी। यानी कि इस शीतकालीन सत्र में ये कानून आधिकारिक तौर पर हटा लिए जाएंगे।
बता दें कि मोदी सरकार ने इन कानूनों को जून, 2020 में सबसे पहले अध्यादेश के तौर पर लागू किया था। इस अध्यादेश का पंजाब में तभी विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद सितंबर के मॉनसून सत्र में इस पर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया। किसानों का विरोध और तेज हो गया। हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे राष्ट्रपति के पास ले गई और उनके हस्ताक्षर के साथ ही ये बिल कानून बन गए। तब से पंजाब-हरियाणा से शुरू हुआ किसान आंदोलन 26 नवंबर तक दिल्ली की सीमा पर पहुंच गया और आज तक यहां कई जगहों पर किसान मौजूद हैं और आंदोलन बड़ा रूप ले चुका है।
दोबारा बना सकती है कृषि कानूनों को सरकार
इसी बीच राजस्थान के राज्यपाल और बीजेपी के नेता रहे कलराज मिश्र ने कहा है कि भविष्य में सरकार दोबारा कृषि कानून ला सकती है। उत्तर प्रदेश के भदोही में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों पर किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। इसलिए सरकार ने कानूनों का वापस लेने का फैसला किया है। आगे इसकी जरूरत पड़ी तो सरकार फिर से उन्हें दोबारा बना सकती है।
इसलिए है सरकार को जल्दी
गौरतलब है कि यूपी, उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा सरकार ने इन तीनों कानूनों को वापस लेने में ही अपनी भलाई समझी। अब सारे दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में जल्द कानून को वापस लेकर भाजपा भी विपक्ष के सवालों के जवाब में खड़ा होना चाहती है। वहीं, माना जा रहा है कि यदि चुनावों में भाजपा को सफलता मिलती है तो इन तीनों कृषि कानूनों में कुछ सुधार कर दोबारा लाया जा सकता है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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