उत्तराखंड में मूल निवास को लेकर 16 साल बाद दोहराया गया शासनादेश, जानिए ऐसा करने की क्यों पड़ी जरूरत
उत्तराखंड में मूल निवास और स्थायी निवास को लेकर 16 साल पहले जारी शासनादेश को एक बार फिर से दोहराया गया। साथ ही इस बात को साफ करने की कोशिश की गई कि यदि किसी के पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, तो उसे स्थायी निवास के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में उत्तराखंड में धामी सरकार ने मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर फिर से शासनादेश जारी किया है। इस फैसले के मुताबिक, राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को अब स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए सरकारी विभाग और शिक्षण संस्थाएं अब बाध्य नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सचिव विनोद सुमन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। हालांकि, इस संबंध में वर्ष 2007 में ही शासनादेश जारी हो चुके हैं, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आदेश में कहा गया है कि शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया था कि राज्य में सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं, प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों के लिए उत्तराखंड के मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को सम्बन्धित विभागों, संस्थाओं व संस्थानों द्वारा स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जबकि इस सम्बन्ध में सामान्य प्रशासन विभाग के शासनादेश संख्या 60/CM/xxxi (13)G/07-87(3)/2007 दिनांक 28 सितम्बर 2007 के द्वारा मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों के लिये स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता न होने के सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश पूर्व में ही दिये गये हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए बताया कि जिन प्रयोजनों के लिये स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उन प्रयोजनों के लिये मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने के लिए बाध्य न किया जाए। उन्होंने कहा कि उक्त आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देखें शासनादेश
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राज्य मे मूल निवास को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्णय को स्वागतयोग्य कदम बताते हुए कहा कि यह प्रदेश के मूल निवासियों के हित मे लिया गया अच्छा फैसला है। भट्ट ने कहा कि मूल निवास प्रमाण पत्र के संबंध मे स्पष्ट निर्देश दिये गए हैं कि अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को अब स्थायी प्रमाण पत्र की जरूरत नही है। हालांकि पूर्व मे भी इसके लिए वर्ष 2007 मे निर्देश जारी किये गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मे मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र के लिए विवश किया जा रहा था। विभाग भी बाध्य नही कर पाएंगे। भट्ट ने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी आम जन की समस्याओं को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि सीएम युवा बेरोजगारों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के हितों को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि मूल निवास को लेकर फैलाये जा रहे भ्रम को लेकर पार्टी सतर्क है और किसी भी परस्थिति मे आम जन को कठिनाइयों का सामना नही करना पड़ेगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।