पीएम की दून रैली से पहले सरकार ले सकती है देवस्थानम बोर्ड पर फैसला, समिति ने दूसरी रिपोर्ट भी सीएम को सौंपी
उत्तराखंड में चारधामों की व्यवस्था को लेकर बनाए गए देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार दिसंबर को दून में रैली से पहले कोई फैसला ले सकती है।
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में भाजपा भी अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसी के मद्देनजर भाजपा के बड़े नेता उत्तराखंड की ओर रुख कर रहे हैं। इसी माह में पांच नवंबर को पीएम मोदी केदारनाथ आए। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उत्तराखंड दौरा कर चुके हैं। अब एक बार फिर से पीएम नरेंद्र मोदी के देहरादून में चार दिसंबर को आने का कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री का दो माह के भीतर यह तीसरा दौरा होगा। प्रधानमंत्री सात अक्टूबर को ऋषिकेश एम्स में आए थे, तब उन्होंने देशभर में बने आक्सीजन प्लांट का लोकार्पण किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री पांच नवंबर को वह केदारनाथ आए थे। पीएम के केदारनाथ दौरे से एक दिन पहले सीएम ने तीर्थ पुरोहितों को किसी तरह विरोध न करने के लिए मना लिया था। ऐसे में पीएम मोदी की जनसभा हो पाई। अब देहरादून में होने वाली जनसभा से पहले भाजपा सरकार इस मामले का निस्तारण चाह रही है।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका। गंगोत्री में तो कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के दो बार पुतले भी जलाए गए। देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने 23 नवंबर को देहरादून में यमुना कालोनी स्थित कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया था। इस मौके पर धरना दिया गया था। आंदोलन के तहत 27 नवंबर को बोर्ड गठन के दो साल पूरे होने पर काला दिवस मनाया गया। इससे तहत देहरादून में सचिवालय कूच किया गया। अब आंदोलन को तेज करते हुए एक दिसंबर से चारों धामों के पूजा स्थल के साथ ही देहरादून में क्रमिक अनशन की चेतावनी दी गई है।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरे से ऐन पहले नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है। वहीं, समिति ने अपनी दूसरी रिपोर्ट भी सीएम को सौंप दी। अब सीएम को ही इस संबंध में फैसला लेना है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।