Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

July 10, 2025

ग्राफिक एरा में ग्लोबल विलेज, विदेशी छात्र-छात्राओं ने भी छोड़ी छाप

उत्तराखंड के देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने आईसेक के साथ मिलकर ग्लोबल विलेज का आयोजन किया। इसमें विभिन्न देशों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। उमंग और उत्साह से भरे इस रंगारंग कार्यक्रम में वासुधैव कुटुंबकम का असल अर्थ देखने को मिला। अलग-अलग जगहों से आए छात्र-छात्राओं ने सांस्कृति व पारम्परिक धरोहर का आदान-प्रदान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम की शुरूआत भारत समेत विदेशी प्रतिनिधियों ने अपने देशों का झण्डा फहरा कर किया। इसमें इजिप्ट, आस्ट्रेलिया, तुर्की, युगाण्डा, म्यमार, वियतनाम, जिम्बाव्वे आदि देश शामिल थे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लेसोथो साम्राज्य के उच्चायोग की प्रथम सचिव बोहलोकी मोरोजेले ने कहा कि ग्राफिक एरा सबसे बेहतरीन शिक्षा प्रदान करता है और उन्हें खुशी है कि वह इसका हिस्सा बनीं। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह भी इसमें शामिल हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्लोबल विलेज की खासियत यह रही कि इसमें विदेशी बच्चों ने हिन्दी में भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए। ऐसे ही एक छात्र फिलिप ने हिन्दी में गाना गाकर खूब वाहवाही लूटी। समारोह में उत्तराखण्ड के साथ-साथ देश के विभिन्न संस्कृतियों पर आधारित कार्यक्रम बहुत पसंद किए गए।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Tajemství křehkého prosa proti lepivé hmotě, o které Obiloviny ve stravě koček: proč mohou Přišlo k