गढ़वाली गीतः पियारी हे स्याली-लेखिका हेमलता बहुगुणा
पियारी हे स्याली
हे स्याली पियारी हे स्याली
त्यै डांडी घुमी औंला
बुरांश किंगगोडी की कछमोली
बणै के खैई के औंला।
चल स्याली………..
भमोरा काफल लग्या छ
तैं तैई भी खई औंला
कुछ तेरी झोली म भरीक
घर तैं भी लीईक औंला।
चल स्याली …
हिसर की गोंदीं लगीं छ
गोंदी भी खैंई औंला
डाली-ड़ाली घूमी फिरीक
झूला भी झूली औला।
चल स्याली ……..
चखल्यूं कूं चौचाहट सुणीक
हिरणों कूं झूण्ड़ देखी औंला
शेर बाघ कू घघराट भी
घणा वणौं सुणी औंला।
चल स्याली………………
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।