Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 25, 2025

गढ़वाली लघु कथाः हुणत्यळि मवसि-लेखिका सरिता मैन्दोला

गढ़वाली लघु कथाः हुणत्यळि मवसि-लेखिका सरिता मैन्दोला।


हुणत्यळि मवसि

हे शिब्बू की ब्वै ! हे वीं बुढड़ी……. पर कख? क्वी जवाब ना, तब सुबदार साब। जगतराम जी नौ छौ तौंकु, पर सब्या जगती सुबदार बुल्दा छा। तब ऊन खट्वला मां देखि त बुढड़िकि खटुलि खाली! तब ऊ बड़ बड़ करदा भैर जंगल्या मां ऐनि त द्याखि कि बुढड़ी चौकमा,घुस,घुस दाथि छै पळ्योणि। ऊन बोलि कि आज इतगा फजल लेकि किलै उठि तू ? बुढडि़न ब्वाल कि रगड़क सारी ग्यूं पक गेनि, सुगरुन सैरि पुंगडि रंदै यालि ह्वैली। बगतल जांदू अर सुंगरौंक लंदण्यां बलड़ा टीपिकी ल्हैयांदु। बुढ्याजिन बोलि कि सदनि त ब्वारी जांदी त तु क्यांकु रपर्याणि छे।
बुढड़ी-स्या सौणुकि ब्वै बिच जाणि त दगडुं बि छैंच। अर यीं ब्वारिन जाण बि कनकै लग्या वुथका दूर। पैलि घार फुण्ड सैंटु समाळ कारलि, दुफरा ह्वै जालि घारीमा। अर रस्वै बणाण त म्यार बसत निच तैचिले इकछुणा ई रौलू, रस्वै खाण तक त मि ऐ बि जौलु। यीं रूड़ि भूडी़म स्या ब्वारी ई दुख्यरि ह्वै। जालि त धवासन कैरिकत स्यू शिब्बू मादेब मा घैड़ि चढै तब ह्वै। तब जरा अब अयां छा मानै मा तब्बी यीं ब्वारि अर नाति नतणौ वळा हुयां छां, यीं ब्वारिकु ख्याल त रखणीच हमन स्याच कुरबरिम उठिकी हमथैं खवांणि पिवाणि, जरा मीबि हत्त सरै द्यूलु त वींथैबि अराम मिल जालु।
तब्बी सौणूकि ब्वैकु धवड़ि लगण बैजंदिन-हे! दिदि शिब्बूकि ब्वै चल औ अबेर हूणी चा, दुफरामात मि बि नि कै सकुद काम। द्विया लग जंदिन बाटु ग्यूं लैणा कुणी। इने शिब्बु की ब्वारी अपणी द्विइ बेट्यूं तैं ददि क कट्यां ग्यूं ल्हाणाकुणि पठै दींद। द्वि बैणि ददि कुण बल्दिन कि चल ददि लगौ बिठकि हम अयां छां ग्यूंकि बिठगि लिजाणा कुणि त जनि ददि वूं कु बुल्यूं यनु सुणदि त चट वूं कि भुक्की पेंदी अर बुल्दी कि बबा यूंयी दिनुक बाना त हम बुढ्या गांठा गंठ्याणा रंदा कि हमरा खूब ह्वाला,अर हमथैं सारु। द्याला, हमरि अदरि आला।


लेखिका का परिचय
नाम- सरिता मैन्दोला
सहायक अध्यापक, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय, गूमखाल, ब्लॉक द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “गढ़वाली लघु कथाः हुणत्यळि मवसि-लेखिका सरिता मैन्दोला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page