शिक्षक दिवस पर अपने गुरु को समर्पित साहित्यकार दीन दयाल बन्दूणी की गढ़वाली कविता

कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ने शिक्षक दिवस के दिन अपनी रचना को अपने गुरु को समर्पित किया है। उन्होंने अपने गुरु उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित जोगीमढ़ी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य स्व. रामानंद मंडवाल की याद में कविता लिखी। प्रस्तुत है गुरु को समर्पित कविता।
गुरुजी
कत्गा मयऴदु-कऴखेर, आप-छायि गुरुजी.
आपा भोर, द्वी आखरा- ज्ञान पायि गुरुजी..
पांच्वी तलक, पाटि- बोऴख्या हि- बोकि पै,
कलम-किताब कु, सै-ज्ञान सिखायि गुरुजी..
हैंसदि मुखड़ि दगड़ि, मयऴि आवाज तुमरि,
हमरि छोटि- खुट्युं , भिंडि- कौपायि गुरुजी..
तुमरि पीठ पिछनयां स्वटगि, ऑख्यूंम रिटद,
मारि त जरा-जरा तुमन, भिंडि-डरायी गुरुजी..
चाऴीस बर्ष से भिंडि ह्वी, जोगीमढ़ी छोड्यां,
पर ! आजा नौनु बि , नि- भूलि पायि गुरुजी..
बीस साल पैलि, पंचतत्व म – बिलैगे सरैल,
रामानंद मण्डवाल जनु, क्वीनि आयि गुरुजी..
‘दीन’ जीवन म, कतगा आला-कतगा जाला,
आप जनु-न क्वी छौ-न हो, नि ह्वायि गुरुजी..
कवि का परिचय
नाम-दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’
गाँव-माला भैंसोड़ा, पट्टी सावली, जोगीमढ़ी, पौड़ी गढ़वाल।
वर्तमान निवास-शशिगार्डन, मयूर बिहार, दिल्ली।
दिल्ली सरकार की नौकरी से वर्ष 2016 में हुए सेवानिवृत।
साहित्य-सन् 1973 से कविता लेखन। कई कविता संग्रह प्रकाशित।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।