गणेश चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, इस बार है ये संयोग ना करें ऐसा काम, इस दिन है विसर्जन

आज हिंदूओं का त्योहार गणेश चतुर्थी है। आज के दिन 19 सितंबर मंगलवार को रवि योग और स्वाती नक्षत्र भी है। ऐसे में गणेश चतुर्थी इनके साथ मनाई जा रही है। इसके साथ ही आज से 10 दिनों के गणेश उत्सव भी आरंभ हो जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को दोपहर में भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इस वजह से हर साल इस तिथि को गणेश चतुर्थी यानि गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चतुर्थी आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ काम को करने से पहले उनकी पूजा की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की मूर्ति को घर में स्थापित करते हैं। व्रत रखकर विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं। गणपति बप्पा के आशीर्वाद से दुख और संकट दूर होते हैं। जीवन में आने वाली विघ्न और बाधाओं का अंत होता है और कार्य सफल होते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा मुहूर्त, मंत्र, गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, चंद्रोदय समय और गणेश विसर्जन दिन के बारे में हम यहां आपको विस्तार से बता रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार बन रहा है ये संयोग
इस साल गणेश चतुर्थी के दिन रवि योग और स्वाती नक्षत्र का शुभ संयोग बना है। रवि योग और स्वाती नक्षत्र में पूजा पाठ या अन्य मांगलिक कार्यों के शुभ फल प्राप्त होते हैं। रवि योग आज 19 सितंबर की सुबह 06:08 बजे शुरू हो गया। जो दोपहर 01:48 बजे तक है। वहीं, स्वाती नक्षत्र आज, प्रात:काल से लेकर दोपहर 01:48 बजे तक है। उसके बाद से विशाखा नक्षत्र होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश चतुर्थी 2023 की पूजा का मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का शुभारंभ: 18 सितंबर, दोपहर 12:39 बजे से हुआ है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: आज, दोपहर 01:43 बजे होगा।
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
आज, सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक है। गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के समय में की जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए आपको 02 घण्टे 27 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त हुआ है। जो लोग किसी कारणवश शुभ मुहूर्त में गणेश चतुर्थी की पूजा नहीं कर सकते हैं, वे अन्य पूजा मुहूर्त में गणेश चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुबह, दोपहर और शाम की पूजा के मुहूर्त
सुबह पूजा का मुहूर्त: 09:11 ए एम से 10:43 ए एम तक
सुबह-दोपहर पूजा का मुहूर्त: 10:43 ए एम से 12:15 पी एम, 12:15 पी एम से 01:47 पी एम तक। इसमें पहला लाभ-उन्नति मुहूर्त और दूसरा अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है.
गणेश चतुर्थी का अभिजित मुहूर्त: 11:50 ए एम से 12:39 पी एम तक
शाम पूजा का मुहूर्त: 03:18 पी एम से 04:50 पी एम, 07:50 पी एम से 09:18 पी एम (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद गणेश चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें, फिर शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर गणेश जी की बाईं ओर मुड़ी सूंड़ वाली मूर्ति की स्थापना करें। स्थापना के समय अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।। मंत्र पढ़ें। अब गणपति बप्पा का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें. फूल, माला, वस्त्र, चंदन, जनेऊ आदि से उनका श्रृंगार करें। उसके बाद गणेश जी का पूजन अक्षत्, फूल, दूर्वा, कुमकुम, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, धूप, दीप, गंध आदि से करें. इस दौरान ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का जाप करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लगाएं ये भोग
गणेश जी को केला, मोदक, नारियल आदि का भोग लगाएं। गणेश चालीसा और गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। फिर घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें। पूजन के बाद बप्पा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। रात्रि जागरण करें और कल सुबह सूर्योदय होने पर पूजा में अर्पित वस्तुओं का दान करके पारण करें और व्रत के पूरा करें।
नोटः यह लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। लोकसाक्ष्य इसकी पुष्टि नहीं करता है।
गणेश चतुर्थी 2023 पर न देखें चंद्रमा
आज गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रोदय सुबह 09:45 ए एम पर होगा और चंद्रास्त 08:44 पी एम पर होगा। आज के दिन चंद्रमा का दर्शन वर्जित है। जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखता है, उस पर झूठा कलंक लगता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश विसर्जन 2023 का दिन
गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक चलता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। उस दिन गणेश विसर्जन करते हैं। इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को है। 28 सितंबर को गणपति बप्पा को विदा किया जाएगा और उस दिन गणेश मूर्तियों का विसर्जन होगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।