पहला वादा निभाओ सरकार, विधानसभा अध्यक्ष के पाले में डाली गेंद, ‘धामी धाकड़ हैं’ तभी मानेंगे जब कराएंगे सीबीआइ जांच
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल में भी कहा गया-भाजपा जो कहती है, वो करती है। पर इस बार उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग में नकल, पेपर लीक भर्ती घोटाला सामने आया और एसआइटी की जांच में ये नियुक्तियां भी उलझ गई। इसके बाद विभिन्न विभागों में नौकरी घोटाले को लेकर सरकार पर अंगुली उठाने का क्रम सिलसिलेवार शुरू हो गया। अब विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल पर अपने लोगों को विधानसभा सचिवालय में नियुक्ति देने का प्रकरण सामने आया तो वहीं, बीजेपी ने ऐसा ही आरोप पूर्व में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल पर भी लगाया। इसके बाद पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी अपने परिवार के लोगों और रिश्तेदारों में आठ लोगों को नियुक्ति देने का मामला भी सामने आया। इसी तरह अन्य कई विभागों में जेसे ऊर्जा निगम में जेई भर्ती, पुलिस दरोगा भर्ती सहित अन्य सारी विवादित भर्तियों की सीबीआइ जांच की मांग उठने लगी। कांग्रेस इस मांग को लेकर लगातार सरकार पर प्रहार कर रही है। वहीं, यूकेडी युवा कार्यकर्ता देहरादून में धरना दे रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक के बाद एक घोटाले आ रहे सामने
उत्तराखंड में अधिनस्थ चयन सेवा आयोग में पेपर लीक और नकल कराकर परीक्षा पास कराने के मामले का पर्दाफाश होने और इस मामले में 30 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब तो हर दिन विभिन्न विभागों में नौकरी के घोटाले सामने आ रहे हैं। ऐसे मामले में पब्लिक ही मीडिया की भूमिका निभा रही है और सोशल मीडिया में इससे संबंधित जानकारी दे रही है। इन घोटालों में कितनी सच्चाई है, ये उच्च स्तरीय जांच से ही पता चलेगा, लेकिन ये भी सच है कि फिलहाल उत्तराखंड में मीडिया में इन दिनों सरकारी नौकरी के प्रकरण ही सुर्खियों में बने हैं। इसमें बीजेपी के नेता, मंत्रियों पर आरोप लग रहे हैं, वहीं, बीजेपी भी कांग्रेस शासनकाल में ऐसे प्रकरणों को सामने लाकर अपना पल्ला झाड़ने और ध्यान बंटाने की कोशिश में है। बहरहाल, एक के बाद एक बड़े भर्ती व अन्य घोटालों के सामने आने और कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के दिग्गजों समेत कई मंत्रियों के नाम उछलने से केंद्रीय खुफिया एजेंसीज की रिपोर्ट लगातार केंद्र और पीएमओ को एचएम को पहुंच रही हैं। लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और कुंजवाल पर भी लगे आरोप
विधानसभा में बैकडोर से नौकरी देने के आरोप बीजेपी नेता एवं कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर लगने से उत्तराखंड भाजपा असहज हो गई है। प्रेमचंद अग्रवाल वर्तमान में वित्त और शहरी विकास-आवास मंत्री हैं। उन पर आरोप है कि पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने विधानसभा में अपने चहेतों को नौकरी बांट दी। इस पर उनका तर्क है कि पहले वालों ने भी ऐसा ही किया, जो मैंने किया। इसमें अलग क्या कर दिया। वह सभी नियुक्तियों को जायज बता रहे हैं। वहीं, कांग्रेस शासनकाल में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने कहा कि मैंने डेढ़ सौ लोगों को विधानसभा में नौकरी दी। अपने बेटे-बहु को नहीं दे सकता क्या? वहीं, कुंजवाल अब अपने इस कृत्य की माफी मांगते फिर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंत्रिमंडल में हो सकता है फेरबदल
नौकरी मामलों में किरकिरी होने पर अब संभावना है कि कुछ विवादित मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। हालत ये है कि कल तक मंत्रिमंडल विस्तार को ले के चर्चा होती थी, आज मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो रही है। उत्तराखंड विधानसभा में मिली नियुक्तियों के रूप में आरएसएस की एंट्री भी देखी गई है। आरोप है कि ऐसे कई नाम हैं जो संघ से जुड़े हैं और उन्हें बिना प्रतियोगी परीक्षा के विधानसभा में नौकरी दे दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब पूर्व शिक्षा मंत्री पर भी लगे अपने रिश्तेदारों को नौकरी देने के आरोप
उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में धांधली और बंदरबांट को लेकर हर रोज नये खुलासे हो रहे हैं। जिससे बीजेपी सरकार जहां बैकफुट पर है। वहीं, इसको लेकर प्रदेश की सियासत जोरों पर है। ताजा मामला पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के रिश्तेदारों को नौकरी देने के आरोप से जुड़ा है। इस संबंध में सोशल मीडिया में एक लिस्ट जारी की जा रही है। इसमें आठ नाम हैं और इन लोगों के पूर्व मंत्री से संबंध का खुलासा किया गया है। साथ ही बताया गया है कि किस व्यक्ति को कहां नियुक्ति दी गई है। दावा किया जा रहा है कि शित्रा मंत्री रहते हुए अरविंद पांडे ने विभाग में कई रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी ने विधानसभा अध्यक्ष के पाले में डाली गेंद
विधानसभा में नौकरी प्रकरण को लेकर अब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडू़ड़ी के पाले में गेंद डाल दी है। उन्होंने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा। इसमें कहा कि राज्य सरकार अधिनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की गई नियुक्तियों में अनियमितताओं के आरोपियों की गहनता से जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के संबंध में कदम उठा रही हैं। विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों को लेकर चल रहे विवाद के दृष्टिगत विचार करने का कष्ट करें। उन्होंने लिखा कि सचिवालय में नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच करना और अनियमितता की स्थिति में ऐसी सभी नियुक्तियों को निरस्त करना उचित होगा। साथ ही उन्होंने विधानसभा सचिवालय में भविष्य में निष्पक्ष एवं पारदर्शी नियुक्ति के लिए प्रावधान करने का भी सुझाव दिया। हालांकि, राज्य के राजनीतिक दलों के साथ ही आमजन इन नियुक्तियों की सीबीआइ से जांच की मांग कर रहे हैं। सबका कहना है कि राज्य स्तर से की गई किसी भी जांच में उन्हें कोई विश्वास नही है। अब सीएम धामी के इस पत्र को मीडिया की ओर से धामी के धाकड़ रूप में प्रचारित किया जा रहा है। वहीं, कई लोगों का मानना है कि इस प्रकरण को उलझाया जा रहा है और सीएम ने अपने पाले से गेंद विधानसभा अध्यश्र के पाले में डाल दी। ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी यदि सचमुच धाकड़ धामी हैं तो उन्हें पूरे प्रकरणों की सीबीआइ जांच कराने का साहसिक फैसला लेना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 32 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।