दोस्त दोस्त ना रहाः रूस का भारत को झटका, पाकिस्तान के साथ किया अरबों का आर्थिक समझौता

कुछ समय पहले तक रूस भारत का परम मित्र राष्ट्र माना जाता रहा है। वैसे तो आज भी माना जाता है। सिर्फ बदलाव ये हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान भारत के साथ इजराइल या एक आध देश को छोड़कर कोई खड़ा नहीं हुआ। एशिया में भारत का पहले नंबर का दुश्मन चीन है और दूसरे नंबर का पाकिस्तान है। ऐसा अमेरिका की कई एजेंसियां दावा कर चुकी हैं। रूस हमेश भारत के साथ रहा है। साथ ही रूस के साथ भारत का ये समझौता भी है कि यदि किसी देश ने भारत पर हमला किया तो रूस भारत का साथ देगा। इस बार परिस्थितियां विश्व गुरु भारत के अनुकूल बनती नजर नहीं आ रही हैं। ऐसे में दुनिया भर के 151 देशों के चक्कर लगाने वाले और खुद को विश्वगुरु के रूप में प्रचारित करने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद ही अपने पक्ष में दुनिया को करने के लिए मोर्चा संभालना होगा। वैसे जब मोर्चा संभालना था तो वह रोड शो में बिजी हो गए। या फिर ऑपरेशन सिंदूर को भुनाने के लिए घर घर लोगों के यहां सिंदूर पहुंचाने का कार्यक्रम तय करने की खबर हो। हालांकि, बीजेपी ने ऐसे किसी कार्यक्रम से मुंह मोड़ लिया और ऐसी खबरों को फेक न्यूज बताया है। अब खबर ये है कि भारत का परम मित्र रूस भी पाकिस्तान की मदद को आगे आ गया है। ये खबर अधिकांश मीडिया में है। हालांकि, बाद में कुछ मीडिया इसे फेक न्यूज बता रहे हैं। फिर भी यदि ये सच है तो भारत के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि चीन पहले से ही पाकिस्तान की मदद कर रहा है। इसके बावजूद खबर में जो सवाल हमने खड़े किए हैं, वे हर परिस्थितियों में जिंदा रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है नई खबर
भारत और पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच रूस ने पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण आर्थिक समझौता किया है। इस अरबों की डील के तहत कराची में एक आधुनिक स्टील प्लांट का निर्माण होगा। यह समझौता 2015 से बंद पड़े सोवियत-निर्मित पाकिस्तान स्टील मिल्स को दोबरा खड़ा करने के लिए है। इस डील की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दुनिया की बदलती कूटनीतिक तस्वीर के बीच रूस और पाकिस्तान के बीच हुआ 2.6 अरब डॉलर का मेगा करार भारत के लिए एक नई चिंता का विषय बन गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच हुई इस रणनीतिक साझेदारी को विशेषज्ञ दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में संभावित बदलाव के रूप में देख रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है समझौता
रूस और पाकिस्तान के बीच यह समझौता कराची में बंद पड़े स्टील प्लांट को दोबरा खड़ा करने के लिए किया गया है। इस प्लांट को 1970 के दशक में सोवियत संघ की सहायता से स्थापित किया गया था। यह प्लांट 1992 तक चालू रहा, लेकिन आर्थिक और तकनीकी कारणों से आखिरकार 2015 में इसे बंद कर दिया गया। नए समझौते के तहत, रूस उन्नत इस्पात निर्माण प्रौद्योगिकी यानी स्टील बनाने की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी वाली मशीनें प्रदान करेगा, जिससे पाकिस्तान की स्टील आयात पर निर्भरता में 30% तक की कमी आने की उम्मीद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करार की प्रमुख बातें
-पाकिस्तान को रियायती दरों पर तेल और गैस की आपूर्ति होगी। रूसी कंपनियाँ पाकिस्तान में ऊर्जा संयंत्र और पाइपलाइन विकसित करेंगी।
-रक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग भी प्रस्तावित है।
-इस समझौते की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत और रूस के पारंपरिक रिश्ते नई चुनौतियों से गुजर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाकिस्तान को ऐसे होगा फायदा
यह डील पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी। स्टील आयात में 30% की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा, जो वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है। स्टील प्लांट के दोबारा खड़े होने से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे कराची और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। रूस की उन्नत इस्पात निर्माण प्रौद्योगिकी के उपयोग से पाकिस्तान का स्टील उद्योग आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनेगा। इससे स्थानीय उत्पादन की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार होगा। आयातित स्क्रैप और अर्ध-तैयार उत्पादों पर निर्भरता कम होने से पाकिस्तान की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के लिए चिंता
यह समझौता भारत-पाक तनाव के बीच हुआ है, जिसके कारण भारत में इस डील को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 28 लोग मारे गए थे। भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रूस ने हमेशा भारत को अपना रणनीतिक साझेदार माना है, लेकिन इस बार उसकी प्रतिक्रिया संतुलित और तटस्थ रही। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले की निंदा की, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने की अपील की और मध्यस्थता की पेशकश भी की। यह रुख भारत के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि रूस ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेश नीति पर झटका
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इस डील को लेकर चर्चा तेज है। कुछ यूजर्स का मानना है कि यह भारत की विदेश नीति के लिए एक झटका है। लोगों काै कहना है कि विश्वगुरु का नारा जुमला साबित हो रहा है। विदेशों में डंकापति का डंका भी फट रहा है। वहीं, कुछ अन्य का कहना है कि यह केवल एक आर्थिक समझौता है, जो भारत-रूस संबंधों पर असर नहीं डालेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत की रणनीतिक दुविधा
भारत और रूस दशकों से घनिष्ठ सहयोगी रहे हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। लेकिन हाल के वर्षों में भारत के अमेरिका, फ्रांस और इज़रायल जैसे देशों के साथ बढ़ते सहयोग और रूस के चीन-पाकिस्तान के प्रति रुझान ने रिश्तों में नई जटिलता पैदा कर दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि रूस-पाक गठबंधन मजबूत होता है, तो भारत की उत्तरी सीमा सुरक्षा और ऊर्जा नीति दोनों पर असर पड़ सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाकिस्तान को समर्थन का कारण
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते वह नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश में है। पाकिस्तानआर्थिक संकट से जूझ रहा है। यह देश रूस के लिए एक उभरता हुआ बाजार बन सकता है। इसके अलावा, रूस चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में पाकिस्तान की भूमिका को रणनीतिक रूप से अहम मानता है। रूस और पाकिस्तान के बीच हुआ यह 2.6 अरब डॉलर का करार भारत के लिए राजनयिक चेतावनी है। आने वाले समय में भारत को अपनी विदेश नीति में लचीलापन और संतुलन दोनों बनाए रखना होगा ताकि वह अपनी सामरिक स्थिति को कमजोर न होने दे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के साथ पड़ोसी देश
भले ही हम भारत को विश्वगुरु के रूप में प्रचारित करें, लेकिन इस बार इजराइल और एक दो देशों को छोड़कर कोई भी भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में भारत को अब विदेशों में सांसदों और अन्य अधिकारियों के के प्रतिनिधिमंडल को भेजकर अपना पक्ष रखने की नौबत आ गई है। भारत के दो पड़ोसी देश रूस और चीन तो पहले से ही दुश्मन थे। वहां, अब बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, मालद्वीव भी भारत का साथ नहीं दे रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देश भी इस दौरान में चीन के साथ खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। रूस भी पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सबसे बड़े सवाल
हालांकि, इजराइल और एक आध देश ने भारत का समर्थन किया। वहीं, कनाडा से भी भारत की तनातनी एक बार हो चुकी है। कैन्या भी भारत के पक्ष में नहीं है। भारत का साथ ना देने वाले देशों में कई देश ऐसे हैं, जिनकी भारत ने समय समय पर मदद की। तुर्किए ने भी तनाव में पाकिस्तान का साथ देकर उसे हथियार उपलब्ध कराए। अब सवाल ये है कि 11 साल में 151 देशों की यात्रा करने पर भी प्रधानमंत्री ने क्या हासिल किया। क्या कारण है कि हम अपने पक्ष में दुनिया को एकजुट नहीं कर पाए। इस समय सभी दलों के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल सात समूहों में दुनिया के अलग-अलग 33 देश की यात्राओं पर है। इनमें सांसदों सहित 59 हस्तियां शामिल हैं। सवाल ये है कि ये दल क्या किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष या फिर विदेश मंत्री से बात कर रहा है। क्या अपना पक्ष इन लोगों के समक्ष रख रहा है। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कहा जाए तो दल के लोग निचले स्तर के संगठनों से ही मुलाकात कर पा रहे हैं। सवाल ये है कि ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद विदेशों में जाकर अपना पक्ष रखना था। वह आसानी से सबको अपनी बात समझा सकते थे। इसके उलट वह बिहार में चुनाव प्रचार के साथ अन्य राज्यों में रोड शो में क्यों बिजी हैं। सवाल ये भी है कि सेना के शौर्य का राजनीतिकरण क्यों किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घर घर सिंदूर का कार्यक्रम कैंसिल, या फेक न्यूज
पिछले कुछ दिनों से ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान की ख़बरें भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई थीं। दावा किया गया था कि बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक अभियान शुरू करेगी। इसके तहत देश भर में घर-घर सिंदूर पहुँचाया जाएगा। इस पर विपक्षी नेता जमकर बरसते रहे। सोशल मीडिया में भी इसके खिलाफ खूब मीम बनाने और वीडियो जारी किए गए। ऐसे में बीजेपी की ख़ूब किरकिरी होती रही। इसी बीच अब बीजेपी ने ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान की ख़बर को फ़ेक बता दिया है। बीजेपी ने शुक्रवार शाम को आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने घर-घर सिंदूर बांटने का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।