चार साल का राज- काम कम, ज्यादा रूसवाइयां, टोल प्लाजा अब हमेशा रहेगा कोढ़ में खाज: भूपत सिंह बिष्ट
उत्तराखंड में प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पर्व महाकुंभ के दौरान देहरादून से जुड़े देवभूमि के प्रमुख धार्मिक स्थल हरिद्वार और ऋषिकेश आने -जाने के लिए टोल वसूली का अजब गजब अवसर प्रदान कर दिया है।
उत्तराखंड में प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पर्व महाकुंभ के दौरान देहरादून से जुड़े देवभूमि के प्रमुख धार्मिक स्थल हरिद्वार और ऋषिकेश आने -जाने के लिए टोल वसूली का अजब गजब अवसर प्रदान कर दिया है। हैरानी की बात यह भी है कि देहरादून से सटे लच्छीवाला पर्यटक केंद्र पर मंहगे टोल प्लाजा का निर्माण होने से डोइवाला, भानियावाला, लाल तप्पड़, रायवाला आदि के आम नागरिकों को अपने दुःख सुख में इस सड़क का प्रयोग करने पर लंबे जाम के साथ भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
देहरादून के लच्छीवाला में सरकार ने टोल प्लॉजा बनाया है। दून विश्वविद्यालय की रिसर्च स्कोलर रही इना बहुगुणा बताती हैं कि पिछले दिनों टिहरी से लौटते हुए शाम हो गई तो लच्छीवाला टोल प्लाजा पर उस से 85- पिचासी रूपये वसूल लिए गए। यह रकम बहुत ज्यादा है। कोरोनाकाल में सावधानी वश हम अपनी गाड़ी का प्रयोग कर रहे हैं और पब्लिक वाहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। वहीं, सरकार तो अब हर कदम पर अनाप शनाप वसूली के लिए तैयार बैठी है।
हिमाचल में तीस रुपये, यहां अंधेरगर्दी
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश की यात्रा करने पर देहरादून से सटे पौंटा साहिब में टोल मात्र तीस रूपये लिया जाता है। वहीं, यहां तो अंधेर गर्दी क्यूं मच रही है ? उत्तराखंड में नेता और अधिकारी अपने नागरिकों के प्रति बिलकुल जबावदेह नहीं लगते हैं। लच्छीवाला से गुजरने पर पिचासी रूपये एक बार का शुल्क यानि आना-जाना एक सौ सत्तर रुपये। कैसे सरकारी अधिकारियों ने जायज ठहराया है।
सरकार संवेदनशून्य
टोल प्लाजा के विरोध में सक्रिय उत्तराखंड क्रांति दल के एक नेता बताते हैं कि भाजपा सरकार एकदम संवेदनाशून्य हो चुकी है। पहले राजमार्ग निर्माण को अपनी विकास की उपलब्धि बताती है, और फिर इन मार्गों पर गुजरने का शुल्क आम आदमी की जेब में जैसे डाका डालकर वसूला जा रहा है। यह प्रदेश का विकास नहीं, अपितु अपने चेहते ठेकेदारों के साथ चांदी काटने के उद्यम बन रहे हैं।
90 दिन के लिए दिया गया ठेगा
देहरादून हरिद्वार मार्ग पर लच्छीवाला टोल प्लाजा का ठेका आगे किसी और को दिया जा सकता है। फिलहाल मुख्यमंत्री की डोइवाला विधानसभा में नागरिकों के आक्रोश को कम करने के लिए आरसी व आधारकार्ड सहित फास्ट टैग बनाने का हुक्म है। अपनी सड़क पर चलने के लिए ऐसी बंदिशें लाइसेंसी राज को पुनः स्थापित करती जा रही हैं।
डोईवाला के वोटरों को राहत, दूसरों ने क्या बिगाड़ा
मुख्यमंत्री की विधानसभा में वोटरों को इस टोल प्लाजा से राहत दी गई है। वहीं, देहरादून और राज्य के दूसरे हिस्से के वोटरों के साथ हो रहे अन्याय को सरकार कैसे परिभाषित करेगी। ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने माह में दो बार अमावस्या और पूर्णिमा में हिंदु परिवारों की प्राचीन परम्परा है। अब महाकुंभ पर्व के दौरान तो गंगानगरी का आवागमन और ज्यादा बढ़ जाता है।
पहले किए आंदोलन, अब खुद लगा दिया टोल
ऋषिकेश विधान सभा के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी नहीं चाहेंगे कि उनकी विधानसभा के नागरिकों को देहरादून आने जानें के लिए एक तरफा टोल के नाम पर पिचासी रूपये की भारी रकम चुकाना पड़े।
केंद्रीय मंत्री और हरिद्वार के लोकप्रिय सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के संसदीय क्षेत्र में लगाये इस अनुचित टोल प्लाजा का अनुमोदन जनाक्रोश के बाद संभव नहीं है। ऐसा लगता है कि सरकार के अधिकारी जनता के साथ जनप्रतिनिधियों के टकराव के लिए मंहगे टोल प्लाजा जैसे विषय गढ़ते जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशक से यह राज मार्ग पूरा बनने में नहीं आ रहा था। पूर्व में त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रेमचंद अग्रवाल डोइवाला में नेशनल हाई वे राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से स्थापित टोल को हटाने में बढ़ चढ़कर आंदोलन चला चुके हैं। साथ ही ऐसे टोल के घोर विरोधी रहे हैं।
प्रदेश और देहरादून की अन्य विधानसभाओं के दमदार विधायक और सांसद भी हर बार पिचासी रूपये के टोल भुगतान से अपनी जनता और रिश्तेदारों की जेब हल्की कराने का अपयश नहीं लेंगे। भले ही उन्हें इस टोल प्लाजा से गुजरने पर कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है।
जनता को राहत की सोचो, लूट की नहीं
राज्य बनने के बाद से देहरादून – हरिद्वार – ऋषिकेश – मसूरी – विकासनगर तक के क्षेत्र अब एक दूसरे से सीधे जुड़ चुके हैं। आम जनता के हित में इन नगरों के बीच यातायात सुचारु चलाने के लिए सरकुलर ट्रेन या मेट्रो की व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता हो। ना कि जनता का रोड़ टैक्स चुकाने के बाद अब टोल प्लाजा के नाम पर रोजाना असहनीय वसूली का शिकार बनाया जाए।
इन नेताओं को भी अपना पक्ष रखना जरूरी
युकेडी के बाद अब भाजपा विधायकों में मुन्ना सिंह चैहान, गणेश जोशी, उमेश शर्मा काउ, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना और आप पार्टी के रवींद्र जुगरान जैसे बड़े और महत्वकांक्षी नेताओं को अपना पक्ष रखना जरूरी हो गया है कि उत्तराखंड जैसे पिछड़े राज्य में राजमार्ग के नाम पर टोल की दर और नीति क्या हो ? देहरादून के नागरिक अपने जिले में आने जाने के लिए टोल क्यूं चुकाये या फिर गाड़ियों से भारी भरकम रोड़ टैक्स वसूलना बंद हो।
लेखक का परिचय
भूपत सिंह बिष्ट,
स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड।