यूपी विधानसभा चुनाव में चार अखिलेश यादव मैदान में, जानिए इनके बारे में
उत्तर प्रदेश विधानसभा की चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत इस नाम के चार उम्मीदवार मैदान में हैं। चार उम्मीदवारों में सपा प्रमुख समेत दो उम्मीदवार सपा के हैं, जबकि एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के तौर पर अपनी तकदीर आजमा रहे हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चुनाव क्षेत्र मैनपुरी जिले के करहल में मतदान हो चुका है और मतदाताओं ने उनकी किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में बंद कर दी है। अखिलेश यादव नाम के दूसरे उम्मीदवार आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से हैं। इसके अलावा अयोध्या जिले की बीकापुर विधानसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार का भी नाम अखिलेश यादव है। संभल के गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी अखिलेश हैं।
सपा प्रमुख के तीनों हमनामों का कहना है कि उसके लिए यह नाम होना एक लाभ है। सात फरवरी को समाजवादी पार्टी ने मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार अखिलेश यादव की घोषणा की तो कुछ लोगों को लगा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव दो सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। चूंकि इसके पहले ही सपा प्रमुख के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा हो चुकी थी। आजमगढ़ उनका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है तो लोगों ने अनुमान लगाया कि संभवत: वह दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। बाद में पार्टी नेताओं ने स्थिति साफ कर दी और बताया कि मुबारकपुर से घोषित सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव 2017 में भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और बसपा के शाह आलम से मात्र 688 मतों से पराजित हुए थे। मुबारकपुर से सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव ने का कहना है कि उन्हें लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है। मुबारकपुर सपा प्रत्याशी के भाग्य का फैसला सातवें और अंतिम चरण में सात मार्च को होगा।
अयोध्या जिले के बीकापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश यादव ने कहा कि मैं 2016 में कांग्रेस में शामिल हुआ था और इससे पहले, मैं समाजवादी पार्टी के साथ था। पार्टी (सपा) को छोड़ने के कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि- मुझे उचित सम्मान नहीं दिया गया।
इसके अलावा गुन्नौर में निर्दलीय उम्मीदवार लखवेंद्र उर्फ अखिलेश यादव के क्षेत्र में मतदान हो चुका है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका जन्म के बाद नाम लखवेंद्र सिंह रखा गया, लेकिन उनकी दादी उन्हें ‘अखिलेश’ कहकर पुकारा करती थीं और धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उन्हें ‘अखिलेश’ कहने लगे। लखवेंद्र ने बताया कि मेरे चाचा ने मेरा नाम लखवेंद्र सिंह रखा था, लेकिन मेरी दादी और मेरी मां ने मुझे अखिलेश कहना शुरू कर दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।