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September 25, 2024

नई खोजः 1700 साल पुरानी गरूड़ अश्वमेध यज्ञ स्थली में मिली ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख की ईंट

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देहरादून के विकासनगर विकासखंड के अंतर्गत बाड़वाला ग्रामसभा में जगतग्राम स्थित अश्वमेध स्थल पर ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख की ईंट मिली। इसे बड़ी खोज के रूप में माना जा रहा है।

देहरादून के विकासनगर विकासखंड के अंतर्गत बाड़वाला ग्रामसभा में जगतग्राम स्थित अश्वमेध स्थल पर ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख की ईंट मिली। इसे बड़ी खोज के रूप में माना जा रहा है। आज इस स्थल पर पूर्व सांसद तरुण विजय ने ग्रामीणों से जुटने का आह्वान किया था। ताकी उन्हें इस स्थल की महत्ता से अवगत कराया जा सके। इसमें ज्यादा ग्रामीण को नहीं जुटे, लेकिन पुरातत्व विभाग और मौजूद अन्य लोगों ने वहां ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख की ईंट खोज डाली।


इससे राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के राष्ट्रीय अध्यक्ष व जगतग्राम अश्वमेध गौरव अभियान के प्रमुख पूर्व सांसद तरुण विजय काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा यह खोज नवीन उत्खनन की ओर ले जायेगी । ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख की खोज को इंगित करते हुए तरुण विजय ने कहा आज वे बेहद प्रसन्न हैं। उनके प्रयास सफल हो रहे हैं। साथ ही यहां और कई रहस्य दबे पड़े हैं। यह स्थान अन्तरराष्ट्रीय पुरा पर्यटन का केन्द्र बनेगा। वह चाहते हैं मुख्यमंत्री यहां तक पहुंचने का शीघ्र मार्ग बनवाएं।


आज उन्होंने 1700 वर्ष पुरानी गरुड अश्वमेध स्थल जगतग्राम में पुनरुद्धार कार्य का निरीक्षण किया। उनके साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के स्थानीय अधिकारी थे। तरुण विजय की पहल पर इस विश्वस्तरोय हिन्दू सभ्यता के प्राचीन स्थल का पुनरुद्धार कार्य केन्द्र सरकार की ओर से किया जा रहा है। विजय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की महानिदेशक श्रीमती विद्यावती का इस स्थल के पुनरुद्धार के लिए आभार व्यक्त किया।


उन्होंने बताया कि यहां आने के लिये अभी तक न मार्ग है, न ही मार्गदर्शक साईनबोर्ड। विजय ने कहा हम किसी कीमत पर हिन्दू गौरव की प्राचीन स्थली नष्ट व उपेक्षित नहीं रहने देंगे। मोदी शासन व त्रिवेन्द्र रावत इस विषय में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
अभी दुनिया की नजर में ओझल है ये स्थान
ये स्थान अभी दुनिया की नजर से लगभग ओझल है। इस स्थान की ऐतिहासिकता व महत्ता का पता वर्ष 1952 से 54 के बीच की गई खुदाई में पता चल गया, लेकिन सरकारों की उदासीनता के चलते यह स्थल अभी भी उपेक्षित है। संरक्षण के नाम पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस स्थल पर चाहरदीवारी को बनाई है, लेकिन यहां तक कैसे पहुंचे ये भी सरकारों ने अभी तक तय नहीं किया है। इस स्थान के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। निजी व्यक्ति के बगीचे से होकर इस स्थल तक पहुंचा जाता है।


उद्धार के हो रहे प्रयास
जगतग्राम स्थित ऐतिहासिक विरासत गरूड़ हिन्दू विश्व सम्पदा अश्वमेध यज्ञ स्थली है। यहां तीसरी शती (आज से 1700 वर्ष पूर्व) शीलवर्मन ने इस क्षेत्र गरूड़ के आकार की यज्ञ वेदिका (श्येन चिति) बनाकर अश्वमेध किया। जो सम्पूर्ण भारत में दुर्लभ है। यह स्थान निर्जन बिना पहुँच मार्ग तथा उपेक्षा का शिकार था।
इस स्थान के पुनरूद्धार के लिए पूर्व सांसद तरूण विजय ने भारतीय पुरातत्तव सर्वेक्षण से अनुरोध कर किया। तब यहां कुछ काम किया गया। वहीं, उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया। इसे उन्होंने स्वीकृति दे दी है।


यहां हैं प्राचीन अवशेष
यह प्राचीन साइट थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यहां वर्ष 1952 से 54 के बीच खुदाई की थी। तब यहां चार यज्ञ के अवशेष मिले थे। यहां मिली उत्कीर्ण ईंटे यहां यज्ञ की अग्नि को प्रमाणित करती है। साथ यज्ञ स्थली के अवशेष प्रमाणित करते हैं कि यहां गरूड़ अश्वमेध यज्ञ किए गए थे। जो तीसरी शताब्दी के हैं। राजा शील वर्मन युगशैल पौन जो वृषगण गोत्र के थे, उन्होंने यहां चार अश्वमेध यज्ञ किए।
यह क्षेत्र स्पष्ट रूप से तीसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान मध्य हिमालय का कम से कम पश्चिमी भाग था, जिसे यूगसियाला के नाम से जाना जाता है। भारतीय संदर्भ में ऐसी वेदी अत्यंत दुर्लभ हैं। यह विश्व सम्पदा अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए गौरव का विषय है।
पढ़ें: 1700 साल पहले देहरादून के इस स्थान पर किया गया था गरूड़ अश्वमेध यज्ञ, अब फिर जुटेंगे ग्रामीण

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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