पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं चार बार के सांसद रहे बची सिंह रावत का निधन, जानिए उनके जीवन के बारे में

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद बची सिंह रावत का आज एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया। शनिवार को उन्हें तबीयत बिगड़ने पर एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। उन्होंने हेली एंबुलेंस के जरिये हल्द्वानी से एम्स लाया था। यहां उन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया गया है। भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत को सांस लेने में तकलीफ और उनके फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत थी।
एम्स में उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि वह फेफड़ों में संक्रमण से ग्रसित थे। एम्स आईपीडी में संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन व जनरल मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों द्वारा उनका उपचार किया जा रहा था। जहां इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा । चिकित्सको ने उन्हें सीपीआर दिया, किन्तु रात 8.47 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। मृत्यु के बाद उनका कोविड सैंपल लिया है, जिसकी सुबह तक रिपोर्ट प्राप्त हो जाएगी ।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वरिष्ठ राजनेता और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री श्री बच्ची सिंह रावत जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, और शोकाकुल परिजनों को दुख सहने की शक्ति और धैर्य प्रदान करे।
पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने कहा कि पूर्व सांसद व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत (बची दा) के निधन से उत्तराखंड में आयी रिक्तता भरना कठिन होगा। सहज, सरल , विनयी बची दा सादगी और सचाई की प्रतिमूर्ति थे। प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिजनों को दुख सहने की शक्ति और धैर्य प्रदान करे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत के निधन पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बची सिंह रावत को एक सरल मृदुभाषी व जनता के बीच लोकप्रिय नेता बताया। धस्माना ने कहा कि श्री बची सिंह रावत एक जमीनी कार्यकर्ता थे, जो चमक दमक व राजनीतिक दाव पेच से दूर रहते थे। उन्होंने कहा कि उनके निधन से राज्य ने एक मेहनती व सरल नेता खो दिया है।
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने बची सिंह रावत को धरती का नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिश्रम से एक ग्राम प्रधान से उठकर केंद्रीय मंत्री तक के पदों को सुशोभित किए जाने का महान कार्य किया। उन्होंने कहा वह राज्य के इतिहास के सबसे ईमानदार नेता में से एक थे।
बच्ची सिंह रावत का निधन अपूरणीय क्षति : कौशिक
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया। उन्होंने स्व. रावत को जनता के प्रति समर्पित जननेता बताया। स्व रावत उत्तराखंड में भाजपा अध्यक्ष भी रहे और केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के विकास में अहम योगदान दिया। कौशिक ने उनके परिजनों को दुःख की घड़ी में दुःख सहने की शक्ति देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
जीवन परिचय
बच्ची सिंह रावत, भारतीय जनता पार्टी के एक भारतीय राजनीतिज्ञ रहे। वे भारत की 14 वीं लोकसभा के सदस्य और 4 बार सांसद रहे। उन्होंने उत्तराखंड के अल्मोड़ा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। बची सिंह का जन्म 1 अगस्त 1949 को रानीखेत के पास के पली गाँव, जिला अल्मोड़ा में हुआ था। इसकी स्कूली शिक्षा सल्मोड़ा में ही हुई। इनका मूल गृहस्थान हल्द्वानी, उत्तरखड है। अपनी परास्नातक की पढ़ाई उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से की। जहां से उन्हें विधि की उपाधि मिली और एम.ए. अर्थशास्त्र उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पूरा किया। इनकी शादी चंपा रावत से हुई और इनके एक पुत्र है जिसका नाम शशांक रावत है।
राजनैतिक जीवन
-1992 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए ओर 1993 मे दोबारा विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए।
-अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाये गए। 1996 में लोक सभा चुनाव जीतकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1996-1997 तक संसद की कई कमिटी के सदस्य रहे । 1998 में दोबारा लोकसभा में चुनकर पहुंचे। 1998-99 तक फिर महत्वपूर्ण कमेटियों जैसे सूचना मंत्रालय के सलाहकार बने। 1999 में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए और तीसरी बार रिकॉर्ड मार्जिन से सांसद चुनकर आए। 1999 में पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्यमंत्री का पद संभाला और फिर 1999-2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। 2004 2005 में फिर से लोक सभा सांसद बने। इस बार विपक्ष में बैठना पड़ा। 2007 के चुनाव में पार्टी अध्यक्ष बने और पार्टी को विधान सभा चुनावों में बहुमत दिलवाया। वह 2009 तक इस पद पर बने रहे।
खास बातें
उत्तर प्रदेश से दो बार विधायक लेकिन उत्तराखंड से विधायक का चुनाव नहीं लड़ा।
-उत्तरखंड से एक सी सीट से लगातार चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड।
-2012 उत्तराखंड चुनावमा भाजपा प्लानिंग कमिटी के चेयरमैन रहे और मैनिफेस्टो बनाने में अहम भूमिका निभाई।
-15 वें लोक सभा चुनाव में नैनीताल को सीट बनाना पड़ा, क्योंकि अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो गई।
-2014 में पार्टी से नाराज होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। फिर वापस आ गए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
दुखद, ओम शांति.