पूर्व सीएम हरीश रावत को सता रहा ये डर, चुनाव न लड़ने के संकेत, हाईकोर्ट का किया धन्यवाद, भाजपा पर बोला हमला
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को जहां उनके समर्थक कांग्रेस की फिर से सरकार बनने पर सीएम के पद पर देखना चाहते हैं, वहीं हरीश रावत को चुनाव लड़ने की स्थिति में एक डर सता रहा है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 2022 में उनके चुनाव लड़ने की स्थिति में हालात फिर 2017 जैसे हो जाएंगे। वह अभिमन्यु की तरह विपक्षियों के चक्रव्यूह में फंस सकते हैं। वह नहीं चाहते कि उनकी दावेदारी से विवाद हो। वह केवल तब ही चुनाव लड़ेंगे, जब हाईकमान आदेश देगा। उनकी वजह से पार्टी में कहीं विवाद दिखाई दे, वह ऐसा नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि उनका नाम राज्य में सबसे चर्चित है। 2002, 2007 और 2012 में भी वह चुनाव नहीं लड़े थे। इस बार वह 2002 वाले मूड में हैं। तब भी इतिहास बना था और इस बार भी इतिहास रचने का मौका है।
हाईकोर्ट का जताया आभार
चारधाम यात्रा पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने हाईकोर्ट का आभार जताया। उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट डालकर लिखा कि- माननीय हाईकोर्ट को Heartiest thanks (हार्दिक धन्यवाद)। चारधाम यात्रा फिर से शुरू होगी। भाजपा सरकार ने अनावश्यक यात्रा में व्यवधान डाल दिया। यदि माननीय हाईकोर्ट के सम्मुख यात्रा की सुरक्षा का रोड मैप रखते, तो यात्रा पर रोक लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। जानबूझकर के भ्रम पैदा किया। बधाई के पात्र पर्यटन व्यवसायी, तीर्थ स्थानों से जुड़े हुए लोग और मौनी बाबा जैसे हठयोगी भी हैं, जो आमरण अनशन पर बैठ गये। इसके लिए मैं थोड़ी पीठ अपनी पार्टी की भी थपकाना चाहूंगा कि कांग्रेस दबाव पैदा करने में सफल रही।
उन्होंने लिखा कि-सरकार को सद्बुद्धि आई और उन्होंने एसएलपी का टेढ़ा रास्ता अपनाने के बजाय सीधे माननीय हाईकोर्ट की शरण में जाकर अनुमति लेने का प्रयास किया। मगर यात्रा प्रारंभ होने की खुशी का अर्थ यह नहीं है कि यात्रियों की कोरोना से सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी कम हो गई है। अभी कोरोना की दूसरी लहर भी चल रही है और तीसरी लहर की आशंका है! इसलिए व्यवस्थाएं पूरी तरीके से दूरस्थ रहें, इसका ध्यान रखा जाए।
रोजगार के सवाल पर भाजपा सरकार पर किया हमला
हरीश रावत ने रोजगार के सवाल पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा कि-भाजपा सरकार का ऐतिहासिक झूठ। उत्तराखंड के युवकों के लिए खोले रोजगार के रास्ते। दोस्तो आपको ऐसा कोई रास्ता दिखाई दे, उसका पता हमको भी बता दीजिएगा। 2017 ब्रांड के पहले मुख्यमंत्री जी ने दावा किया कि हमने साढे़ 7 लाख रोजगार दे दिये हैं। दूसरे मुख्यमंत्री जी ने थोड़ा सा झेंपते हुये कहा हम 24 हजार भर्तियां कर रहे हैं। अब तीसरे मुख्यमंत्री जी ने 22 हजार सरकारी भर्तियों का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने आगे कहा कि-लक्ष्य पूर्ति का कोई वर्ष नहीं, कोई तिथि नहीं? कहां ये 22,000 सरकारी नौकरियां मिलेंगी, वो रास्ते भी विज्ञापन में नहीं बताए गए हैं। केंद्र एक करोड़ से ज्यादा सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों पर पालथी मारकर बैठा है और उत्तराखंड सरकार 22 हजार से ज्यादा रिक्त पड़े हुये पदों पर पालथी मारकर के बैठी हुई है और एक पेज का पूरे देश भर में विज्ञापन देकर शिक्षित बेरोजगार नौजवानों का मजाक उड़ा रहे हैं। विज्ञापनबाज और जुमलेबाजों से सावधान।
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को लिया कठघरे में
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने भाजापा नेताओं की ओर से प्रदेश में कांग्रेस में दलबदल व तोड़ फोड़ किए जने पर भाजापा और विशेष कर राज्य सभा सांसद अनिल बलुनी को कठघरे मे खड़ा करते हुए इसे एक गलत परिपाटी डालने का प्रतिवाद कर इसे लोकतंत्र का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक चढ़ती हुई उम्र का व्यक्ति एक इच्छा रखता है कि उसके राज्य में कुछ ऐसे नौजवान उभरें जो राज्य को एक स्वच्छ और स्वस्थ लोकतांत्रिक स्वरूप दे सकें। ऐसे ही एक दिल्ली स्थित नौजवान जब कुछ अच्छी बातें कहते थे तो मैं दलीय सीमा लांग करके भी उनकी प्रशंसा में जुट जाता था। मगर हाल में मैंने कुछ दल-बदल के चित्र और दल-बदल को लेकर ट्वीट देखे। इनमें उस नौजवान का चेहरा देखकर मुझे बहुत धक्का लगा।
हरीश रावत यहां और आक्रमक हुए और उन्होंने लिखा कि-लगता है यह नौजवान भाजपा रूपी माँ के गर्भ से ही दल-बदल जैसी खुरापातें सीख करके आया है। खैर कोई बात नहीं। मगर इतना तो याद रखिए गुस्सा कांग्रेस पर निकालते। यूकेडी पर गुस्सा काहे के लिए निकाल रहे हो। हम तुम्हारी प्रमुख प्रतिद्वंदी पार्टी हैं। मगर यूकेडी उत्तराखंड में दलीय बहुलता का प्रतीक है। राज्य आंदोलन की पार्टी है। तुमने उनका विधानसभा में वंश ही मिटा दिया। अपनी पार्टी में मचे घमासान के बाद भी अभी तक यह नहीं समझ पाए हो। तुम्हारा तृणमूल कार्यकर्ता क्या चाहता है? जमीन का भाजपाई क्या चाहता है? लोकतंत्र एक-दूसरे की भावनाओं का आदर और सम्मान का नाम है।
हरीश रावत ने कहा कि- खैर मैं जानता हूं कि मैंने इस पर ट्वीट से कुछ लोग बहुत तिलमिलाएंगे। मगर रोकना चाहते, चाहते-चाहते, चाहते भी मैंने यह सोचा कि हरीश रावत कुछ भी क्यों न भुगतना पड़े, समय के साथ न्याय करो और इस समय का यह कालखंड तुमसे अपेक्षा कर रहा है कि निर्भीकता के साथ गलत को गलत कहो। इसलिये मैं इस ट्वीट को राज्य की जनता की सेवा में समर्पित कर रहा हूं।