अतिक्रमण के नाम पर लोगों को उजाड़ने के खिलाफ पूर्व सीएम हरीश रावत ने रखा मौन उपवास
कांग्रेस नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार की अतिक्रमण विरोधी नीति के नाम पर आतंक फैलाने के विरोध स्वरूप आज देहरादून स्थित गांधी पार्क में मौन उपवास रखा। मौन उपवास के उपरान्त उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर किया जा रहा अंधाधुंध चिह्नीकरण, राज्य के हजारों लोगों के आवास और आजीविका दोनों पर हमला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि दोनों को बचाने में सरकार असफल साबित हुई है। मकैंजी ग्लोबल की ट्विन, सिटी, इंटीग्रेटेड सिटीज के नाम डोईवाला और गौलापार, हल्द्वानी में किसानों की बहुमूल्य भूमि जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी हैं, उसके अधिग्रहण का कुप्रयास विकास प्राधिकरणों और रेरा के नाम पर किया जा रहा है। साथ ही आतंक फैलाया जा रहा है। बेलड़ा में पीड़ित दोनों दलित परिवार जिन्होंने अपने कमाने वाले खोये हैं, उनको मुआवजा और न्याय प्रदान करने के लिए आज ये मैं मौन उपवास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की मूर्ति के सामने कर रहा हूँ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए प्रदेश सरकार द्वारा राज्य भर में आतंक के नाम पर छोटे व्यवसाय, रोजगार पे लगे हुए युवा को उजाड़ने के लिए चलाया जा रहा अतिक्रमण अभियान को सरकारी आतंकवाद बताया है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश भर में सरकार जिस तरह से अतिक्रमण के नाम पर आतंक फैला कर लोगो के रोजगार, व्यवसाय, घर दुकान की छतें छीन रही है, वो सब राज्य सरकार का अमानवीय चेहरा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हरीश रावत ने यह भी कहा कि पर्वतीय क्षेत्रो में आज भी बेनाप भूमि है। 80 प्रतिशत आबादी गौशाला (छानी), खर्क, गोट आदि बेनाप भूमि माना गया है। यहां पर अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग भी पुस्तों से रहते चले आ रहे हैं। इसी प्रकार से वन पंचायते वर्षो से अपना काम कर रही हैं। यदि कोई न्यायलय का आदेश भी है तो सरकार को राज्य की जनता का पक्ष भी न्यायलय में रखना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वो कोई व्यवहारिक हल ढूंढ कर इसका कोई समाधान निकले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वर्ष 1962 के उपरान्त प्रदेश में भूमि की बंदोबस्ती नहीं हुई है। इसके कारण राज्य के अनेक क्षेत्रों विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि एवं आवासीय भूमि आज भी बेनाप है। तथा पर्वतीय क्षेत्र की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी के आवासीय मकान, गौशाला (छानी), खर्क, गोठ इसी जमीन जिसे सरकारी दस्तावेजों में बेनाप माना गया है। इसके साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति की 80 प्रतिशत परिवारों की कृषि योग्य भूमि भी कई पुस्तों से बेनाप भूमि में शामिल है। तथा वहां के निवासियों के पनघट, गोचर, देवस्थान भी इसी बेनाप (कैसरीन) भूमि पर स्थापित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में दलित महिलाओं को अभी तक भी न्याय नहीं मिला, यह सरकार दलित विरोधी है ।अतिक्रमण हटाने के नाम पर इस बेनाप भूमि से वर्षों पूर्व बसे लोगों को उजाड़ने के आदेश जारी किये गये हैं, जो कि न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ही वर्ष 2018 में शराब की दुकानों को छूट देने की नीयत से राष्ट्रीय राजमार्गों को बदलकर राजमार्ग एवं राजमार्ग को जिला मार्ग में बदलने के लिए अध्यादेश जारी किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर धरने पर बैठने वालों में पूर्व मंत्री नवप्रभात, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार, उपाध्यक्ष प्रशाशन मथुरा दत्त जोशी, महानगर अध्यक्ष डॉक्टर जसविंदर सिंह गोगी, कामरेड एस एस रजवार, प्रवक्ता गरिमा दसौनी, शीशपाल बिष्ट, जगदीश रावत, ओम प्रकाश सती बब्बन, पूरण रावत, विकास नेगी, रितेश छेत्री, मोहन काला, महेंद्र नेगी गुरु जी, सुनील जायसवाल, विनोद चौहान, राजकुमार जायसवाल, लष्मी अग्रवाल, मनीष नागपाल, वीरेंद्र पोखरियाल, संजय थापा, मानवेन्द्र सिंह, लखपत बुटोला, महावीर सिंह रावत, टीटू त्यागी, कैलाश ठाकुर, अशोक वर्मा, अनिल नेगी, राजेश चमोली, हेमा पुरोहित, बाबू बेग, नवीन जोशी, कैप्टेन बलबीर रावत, मनीष गर्ग, नूर हसन मोहम्मद, नजमा खान, उर्मिला थापा, सुशील राठी, सुमित्रा ध्यानी, शांति रावत, शिवानी मिश्रा थपलियाल, पूनम सिंह, कमल रावत, कामेश्वर सेमवाल, अनुराधा तिवारी, आदि शामिल रहे।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



