पूर्व सीएम हरीश रावत ने कार्यकर्ताओं की खिलाया जलेबी और भुट्टा, पेट भरने पर महंगाई पर सरकार को कोसा, दिया नारा-भुट्टा खायेंगे, कांग्रेस लायेंगे
इस मौके पर उन्होंने कहा कि मंहगाई और बेरोजगारी भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकार के कुशासन की देन है। भुट्टा खायेंगे-कांग्रेस को लायेंगे, नारा इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ऊर्जा व स्पूर्ति प्रदान करेगा। क्योंकि देश और प्रदेश की बेरोजगारी ने तमाम कीर्तिमानों को तोड़ दिया है। मंहगाई ने भी आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। उसका जीवन दूभर कर दिया है। इसीलिए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने तय किया है कि बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी व भाजपा के कुशासन के खिलाफ हल्ला बोला जायेगा। राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश व जिला स्तर तक कांग्रेस लामबन्द होकर जनहित के लिए संघर्ष करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि देश के सामने जो चुनौतियां हैं उन चुनौतियों के समाधन ढूंढने के लिए व भाजपा सरकार पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस कोई भी कसर नहीं छोडेगी। कांग्रेस ने जैसे देश की आजादी में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर देश को आजाद कराया है, वैसे ही बेरोजगारी, मंहगाई व कुशासन के विरूद्ध निरंतर संघर्ष किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्डियत का मेरा जो ऐजेंडा है, उसके लिए भाजपा की राज्य सरकार पर निरंतर दबाव बनाता रहूंगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बेशक लोकल-फार वोकल का नारा देते हों, परन्तु मैं तो इस लोकल फार वोकल व उत्तराखण्डियत की लडाई को अपनी सरकार में रहते हुए तथा सरकार से बाहर रहते हुए भी लडता रहा हूं। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में हरीश रावत ने ईडी द्वारा सोनिया गांधी जी से 156 घण्टे की पूछताछ व राहुल गांधी जी से पूछताछ तथा संजय राउत की गिरफ्तारी के सवाल पर कहा कि जब-जब भाजपा की केन्द्र सरकार पर सवाल उठाये जायेंगे तो भाजपा ईडी, सीबीआई को आगे कर विपक्ष की आवाज दबाती रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड देश की आजादी का मुखपत्र था, जो अंग्रेजों के विरूद्ध आजादी की लड़ाई में जनता की भावनाओं को निरंतर प्रतिबिम्बित करता रहा है। उस नेशनल हेराल्ड अखबार की विरासत को बचाने के लिए उनके कर्मचारियों की सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए कांग्रेस ने एक पहल की थी। उसमें एक रूपये का भी लेनदेन नहीं हुआ और न किसी को कोई लाभ हुआ है। मात्र नेहरू गांधी परिवार तथा आजादी की लड़ाई के मुख पत्र की लड़ाई को तहस-नहस करने के लिए ही केन्द्र सरकार यह हथकण्डे अपना रही है। उन्होंने कहा कि नेहरू गांधी परिवार जब अंग्रजों से नहीं डरा तब भाजपा की सरकार से डरने वाला नहीं है। हम जनता की आवाज को उठाते रहेंगे तथा अब समय आ गया है कि इस लड़ाई को हम सडक से संसद तक लेकर जायेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अपनी विफलताओं, मंहगाई, बेरोजगारी तथा देश की चौपट होती अर्थ व्यवस्था से जनता का ध्यान हटाने के लिए ईडी, सीबीआई जैसी केन्द्रीय संस्थाओं का इस्तेमाल कर रही है। हम इन सभी संस्थाओं का सम्मान करते हैं, परन्तु यदि संस्थाओं का दुरूपयोग होगा तो संविधान की भावनाओं के अनुरूप लोकतंत्र को बचाने के लिए हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर भी हरीश रावत टिप्पणी करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन हो यह बेशक उनका आंतरिक मामला हो, परन्तु जिस प्रकार मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष हटाने के बाद भाजपा के अंदर ही मिठाइयां बांटी गई है, वह कष्ट दायक है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा युवा प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भाजपा के नये अध्यक्ष पर 21 ही नहीं 22 बैठेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह भी घोषणा कर डाली कि 6 अगस्त को उनका मुख्यमंत्री आवास पर होने वाला उपवास होना था। हरिद्वार में पंचायत चुनावों में मनमाना आरक्षण व मनमाना परिसीमन कर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओ की धज्जियां उडाई गई हैं, उस लोकतंत्र के बचाव में मेरा उपवास अब मुख्यमंत्री आवास पर 7 अगस्त को होगा। क्योंकि 5 अगस्त को कांग्रेस के सांसद एवं एआईसीसी सदस्यों का जो प्रधानमंत्री आवास घेरने का कार्यक्रम है, उसके चलते दिल्ली में रहना पड़ेगा। इसी लिए 5 को होने वाला उपवास 7 को मुख्यमंत्री आवास पर होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भुट्टा-जलीबी पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन प्रशान मथुरादत्त जोशी, महेन्द्र सिंह नेगी, राजीव मेहर्षि, सुशील राठी, मनीष नागपाल, विरेन्द्र पोखरियाल, डा इकबाल, प्रणीता डोभाल, आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा, साधना, गुल मोहम्मद, शरीफ बेग, ओम प्रकाश सती, देवेन्द्र सती, जितेन्द्र चौहान, सत्येन्द्र पंवार, प्रियांक, संग्राम सिंह पुण्डीर, लेखराज अग्रवाल, श्याम सिंह चैहान, अनुराधा तिवारी, सुनील जायसवाल, मदन लाल, अमरजीत सिंह, प्रशान्त खण्डूरी, रितेश क्षेत्री, अंकित नेगी, नेमचंद सूर्यवंशी, रघुवीर राणा, शीषपाल बिष्ट आदि अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।