बीजेपी के हुए आप के पूर्व अध्यक्ष दीपक बाली, बीजेपी के खिलाफ ट्विट नहीं किए अभी तक खाली
उत्तराखंड में सोमवार को आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को दीपक बाली बीजेपी में शामिल हो गए। हालांकि सोमवार की दोपहर तक वह ट्विटर पर आप के पक्ष में ट्विट करते रहे। बताया जा रहा है कि वह बगैर किसी शर्त के बीजेपी में कार्यकर्ता की हैसियत से शामिल हुए हैं। हालांकि अभी तक (यानि मंगलवार 14 जून की शाम चार बजे तक) उन्होंने अन्य नेताओं की तरह बीजेपी के खिलाफ किए गए ट्विट और रिट्विट डिलिट नहीं किए हैं। हो सकता है बगैर शर्त में ये शर्त भी शामिल हो। इससे पहले विधानसभा चुनावों में आप पार्टी के मुख्यमंत्री दावेदार रहे कर्नल अजय कोठियाल ने भी 18 मई को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। मंगलवार की दोपहर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की उपस्थिति में दीपक बाली भाजपा में शामिल हुए।इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड से आम आदमी पार्टी साफ हो गई है। सीएम ने कहा कि पहले कर्नल (रिटा.) अजय कोठियाल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और अब दीपक बाली भाजपा में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश, गुजरात एवं अन्य राज्यों से भी आम आदमी पार्टी का सफाया हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ वर्षों के कार्यकाल में देश में एक नई कार्य संस्कृति आई है। उनकी कार्यशैली से दुनिया में भारत का मान-सम्मान बढ़ा है। देश में भारतीय जनता पार्टी सशक्त होकर उभरी है। अन्य राजनीतिक दलों के लोग भाजपा की अच्छी नीतियों के कारण पार्टी में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीपक बाली की विचारधारा में हमेशा से राष्ट्रवाद था।
इस मौके पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने दीपक बाली का पार्टी में स्वागत करते हुए पार्टी के ओंर अधिक मजबूत होने का भरोसा जताया। मदन कौशिक ने कहा कि बाली विजनरी व संघर्षील नेता हैं, उनके अनुभव व क्षमता का लाभ पार्टी को मिलेगा।
इस मौके पर दीपक बाली ने बताया कि उन्होने आम आदमी पार्टी को उनकी कार्यप्रणाली व राष्ट्रविरोधी सोच के चलते निराश होकर छोड़ा है। उन्होने कहा कि वह युवा मुख्यमंत्री धामी के सूबे के विकास को लेकर किए कार्य व भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा से पहले ही प्रभावित थे। उसपर चंपावत चुनावों में धामी के नाम पर जनता के रिकॉर्ड मतदान ने मेरे भाजपा में आने के निर्णय पर पूर्णतया मुहर लगा दी। इस मौके पर भाजपा प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट, कुलदीप कुमार, डॉ देवेंद्र भासींन प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान, कौस्तबा नंद जोशी प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल, शादाब शम्स, संजीव वर्मा, समेत अनेक पार्टी पदाधिकारी उपस्थित थे।
दीपक बाली ने अपने बीजेपी में शामिल होने की जानकारी भी ट्विटर पर शेयर की। इसमें उन्होंने लिखा कि उत्तराखंड की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक जी के संयुक्त नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर मां भारती की सेवा का संकल्प लिया। जय श्री राम ! भारत माता की जय !
उत्तराखंड की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन कौशिक जी के संयुक्त नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर मां भारती की सेवा का संकल्प लिया।
जय श्री राम !
भारत माता की जय ! pic.twitter.com/JqoD3PQ0h5— Deepak Bali (@TheDeepakBali) June 14, 2022
बता दें कि दीपक बाली छात्र राजनीति करते हुए अलग उत्तराखंड राज्य बनाने के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। वह आप पार्टी से काशीपुर से विधायक प्रत्याशी के रूप में मैदान में चुनाव लड़े थे। यही नहीं, कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने अपने खुद के खर्चे से काशीपुर के एक अस्पताल में वंटीलेटर, अन्य उपकरणों के साथ ही चिकित्सकों की व्यवस्था करने का दावा किया था। समाज सेवा के क्षेत्र में भी वह जाना माना नाम हैं। आम आदमी पार्टी ने काशीपुर निवासी दीपक बाली को विधानसभा चुनावों में बेहतर परिणाम न आने के बाद पार्टी की कमान सौंपी गई थी ताकि निकाय चुनाव में वह बेहतर प्रदर्शन कर सके।
मंगलवार की देर रात दीपक बाली ने पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष पद व पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। दीपक बाली ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे त्यागपत्र में कहा कि पार्टी की कार्यप्रणाली के साथ चलने में वह खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। इसी कारण आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी की सदस्यता से वह त्यागपत्र दे रहे हैं।
एक आता है तो दूसरा चला जाता है
करीब दो साल से आम आदमी पार्टी पूरे जोर शोर से उत्तराखंड में बहुत ज्यादा सक्रिय है। पहले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर ने पार्टी संगठन को खड़ा करने में मेहनत की। फिर उन्होंने भी पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, छात्र नेता एवं आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान को पार्टी में शामिल कराया गया। इससे पहले वह बीजेपी में थे। इसके बाद कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल भी पिछले साल पार्टी में शामिल हुए और उन्हें अरविंद केजरीवाल ने सीएम का चेहरा घोषित कर दिया। कर्नल कोठियाल भी पूरी ताकत से प्रचार में जुट गए, लेकिन वह वन मैन शो पर ज्यादा विश्वास करते रहे। पार्टी के पोस्टरों में उनके और अरविंद केजरीवाल के अलावा किसी के भी चेहरे चस्पा नहीं किए गए। इससे कई कार्यकर्ता बिदक गए। पहले से सीएम के सपने देख रहे कई लोग या तो चुप बैठ गए या फिर पार्टी छोड़ने लगे। रविंद्र जुगरान भी इसका उदाहरण हैं। वह दोबारा बीजेपी में चले गए।
कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पार्टी से जुड़ने वाले कई सैन्य अधिकारी भी एक एक कर किनारा करने लगे। एक साल तक पार्टी से जुड़ने के बाद कर्नल कोठियाल ने भी चुनाव के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह बीजेपी मे चले गए। हालांकि उन्होंने पहले उपेक्षा का आरोप लगाया, जो किसी से हजम नहीं हुआ। क्योंकि वह तो पार्टी में सर्वेसर्वा घोषित थे। फिर उन्होंने कहा कि आप में जानकर उन्होंने सही फैसला नहीं किया था। यहां ये बात भी गौर करने वाली है कि आप और बीजेपी की विचारधार में जमीन आसमान का फर्क है। ऐसे में कर्नल कोठियाल ने दल बदलने के साथ ही अपनी निष्ठाएं और विचारधारा भी बदल दी।
ऐसे में उन्हें बीजेपी में शामिल होने से पहले के वे सारे ट्विट डिलिट करने पड़े, जो बीजेपी के खिलाफ थे। एक ट्विट में उन्होंने बीजेपी को गुंडो की पार्टी तक कह दिया था। इस ट्विट के एक माह बाद उन्होने 18 मई को आप पार्टी ही छोड़ दी थी। खैर कर्नल बीजेपी में आए और जनरलों की भीड़ में कहीं खो गए। जहां आप में हर दिन उनके नाम से कई प्रेस नोट आते थे, वहीं बीजेपी के किसी कार्यक्रम में उनका नाम तक नहीं रहता। देखें ट्विट-
चुनाव में करारी हार के बाद भी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए दीपक बाली को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। दीपक बाली ने बदलाव करना शुरू किया और वह सक्रिय नजर आने लगे। तभी कांग्रेसी नेता जोत सिंह बिष्ट आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और उन्हें प्रदेश संगठन समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई। अब पार्टी में बाली से ज्यादा बिष्ट सक्रिय नजर आने लगे और दीपक बाली ने पार्टी छोड़ दी। ऐसे में साफ है कि पार्टी में जब भी कोई नया नेता आता है, या फिर नए को कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो पुराने नेता को साइडलाइन कर दिया जाता है। ऐसे में पार्टी को छोड़ने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर ही दीपक बाली को अध्यक्ष पद दिए जाने को लेकर एक खेमा नाराज चल रहा था।






