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December 22, 2024

आज से पांच साल पहले पीएम कर गए थे ऐसी गलती, सिर्फ ममता दीदी ने पकड़ा था क्या होगा नुकसान, पुराने ट्विट पर टीएमसी का वार

आज का दिन शायद ही कोई देशवासी भूल पाए हों। बात बात पर बार बार इतिहास बनाने वाली सरकार ने इस दिन को भी इतिहास में दर्ज कर दिया। या कहें कि किसी को इसका फायदा तो नहीं मिला, लेकिन एक तरह से लोगों की फजीहत हुई।

आज का दिन शायद ही कोई देशवासी भूल पाए हों। बार बार इतिहास बनाने वाली सरकार ने इस दिन को भी इतिहास में दर्ज कर दिया। या कहें कि किसी को इसका फायदा तो नहीं मिला, लेकिन एक तरह से लोगों की फजीहत हुई। साथ ही देश को आर्थिक मंदी के रूप में नुकसान भी उठाना पड़ा। अब दावा किया गया है कि पीएम मोदी ने जो गलती कि उसे कुछ ही देर बाद ममता बनर्जी ने पकड़ा था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक पांच ट्विट किए। आज उन्हें ट्विट पर टीएमसी केंद्र सरकार को घेर रही है।
आठ नवंबर का दिन देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक खास दिन के तौर पर दर्ज है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2016 में इसी दिन रात देश को संबोधित करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया था। विपक्ष नोटबंदी की तबसे आलोचना करता आ रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सोमवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नोटबंदी के ऐलान के बाद किए गए ट्वीट को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की।
ब्रायन ने नोटबंदी को अर्थव्यवस्था के लिए ‘काला दिन’ करार देते हुए ट्वीट में लिखा कि 8 नवंबर 2016 की रात नोटबंदी की घोषणा के कुछ घंटों बाद सिर्फ ममता बनर्जी ही पकड़ पाई थीं, इससे क्या नुकसान होगा। इसे बेरहम फैसला करार देते हुए पांच ट्वीट किए। नोटबंदी के ऐलान के बाद किए अपने ट्वीट में ममता बनर्जी ने कहा था कि सरकार इस कठोर फैसले को वापस ले। प्रधानमंत्री ने विदेशों से काला धन लाने का जो वादा किया था उसे पूरा नहीं कर पाए हैं। इसलिए अपनी नाकामी को छिपाने के लिए यह एक ड्रामा है। यह एक वित्तीय अराजकता है और भारत के आम लोगों पर एक आपदा है।

गौरतलब है कि नोटबंदी के ऐलान के बाद देशभर में अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोगों को नोट बदलने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा। बाद में सरकार ने 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए। सरकार ने तर्क दिया कि देश में मौजूद काले धन और नकली मुद्रा की समस्या को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया गया। अब तो बाजार से दो हजार के नोट भी गायब होने लगे हैं। ऐसे में इन नोटों की छपाई पर भी सवाल उठने लाजमी हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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