मछलियों सहित अन्य जीव जंतु भी होते हैं समलैंगिक, रिसर्च में हो चुका है खुलासा
एक सवाल- क्या इंसान की तरह जीव जंतु भी समलैंगिक होते हैं। अब इस सवाल का जवाब मिल चुका है। इसका जवाब हां में है। इसे लेकर जितने भी रिसर्च हुए, इनकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। दावा तो ये भी किया गया कि मछलियों में भी गे होते हैं। दरअसल जर्नल मरीन मैमल साइंस में दो समलैंगिक व्हेल के बारे में बताया गया है। व्हेल के इस तरह के मूवमेंट्स कैमरे में बहुत मुश्किल से ही कैद होते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैमरे में जो व्हेल कैद हुए, वो दोनों नर थे। साथ ही दोनों को एक दूसरे के साथ संभोग करते हुए भी पाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी है एक शोध
एक शोध में पाया गया है कि मादा मछलियां उन नर मछलियों की ओर ज्यादा आकर्षित होती हैं जो कि समलैंगिक होती हैं। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने गर्म प्रदेशों में पाई जाने वाली अटलांटिक मॉलीज़ नामक मछलियों के व्यवहार का अध्ययन करने के बाद ये संभावना जताई है। ऐसा देखा गया कि मादा मछलियां उन नर मछलियों की नकल करने की कोशिश करती हैं, जिन्हें वो नर मछलियों के साथ संबंध बनाते हुए देखती हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि ये मछलियां उन नर मछलियों में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती हैं जो कि अन्य नर मछलियों के साथ ‘फ़्लर्ट’ करती हैं। जर्मनी के फ्रैंकफर्ट विश्वविद्यालय के डॉक्टर डेविड बायरबैक के नेतृत्व में हुआ ये शोध रॉयल सोसायटी के जर्नल बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नर समलैंगिक मादा साथियों से भी बनाते हैं संबंध
इस शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने जंतु जगत में समलैंगिक व्यवहारों को एक पहेली के तौर पर रेखांकित किया है। इसमें लिखा गया है कि नर समलैंगिक व्यवहार जंतु जगत की ज्यादातर मौजूदा प्रजातियों में देखा जा सकता है, लेकिन यदि डार्विन के सिद्धांत पर गौर किया जाए तो नर की प्रजनन क्षमता कमजोर पड़ने लगती है। हालांकि जंतु जगत की ऐसी प्रजातियां जिनमें नर समलैंगिक होते हैं, अक्सर उन्हें मादा साथियों के साथ भी संबंध बनाते देखा गया है। इस तरह के उदाहरण पेंगुइन और बोनोबोस में आमतौर पर देखा जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आनुवांशिक है कारण
जीव वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के क्रियाकलापों का आनुवांशिक संबंध भी हो सकता है। अटलांटिक मॉली मछलियों में जननांगों के पास के छिद्र पर हल्की सी चुभन देना अपने साथी को सेक्स के लिए तैयार करने का संकेत होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह का व्यवहार साथियों की क्षमता को दिखाता है, क्योंकि उनके परिश्रम का स्तर ही वास्तव में उनके स्वास्थ्य और उनकी क्षमता का सूचक होता है। हालांकि इस प्रजाति की मछलियों की नर प्रजातियों की विशेषता ये है कि ये नर और मादा दोनों के ही जननांगों पर जोर-आजमाइश करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
व्यापक है इस तरह की प्रवृत्ति
डॉक्टर डेविड बायरबैक कहते हैं कि हम लोग ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए जब समलैंगिक नर साथी भी मादा को उसी तरह प्रभावित करते हैं जैसे कि विषमलिंगी। डॉक्टर बायरबैक कहते हैं कि हम ये नहीं जानते कि मछलियों की ये प्रवृत्ति कितनी व्यापक है, लेकिन अभी तक ये प्रवृत्ति कई प्रजातियों में देखी जा चुकी है। इन प्रजातियों में मधु मक्खियां, कुछ अन्य मछलियां, पक्षी और मनुष्य समेत कई स्तनधारी भी शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
450 प्रजातियों के जीव होते हैं समलैंगिक
1960 के दशक में ऑस्ट्रिया के नोबेल पुरस्कार विजेता जूलॉजिस्ट कोनराड लॉरेंज (Zoologist Konrad Lorenz) ने करीब 1,500 प्रजातियों के जानवरों पर कई तहर के शोध किए थे। अपनी रिसर्च के आधार पर उन्होंने बताया था कि करीब 450 प्रजातियों के जीव समलैंगिक होते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डॉ नाथन बैली ने साल 2004-05 में प्रकाशित अपनी एक रिसर्च पेपर में भी कुछ ऐसी ही जानकारी दी है। इस तरह के शोध बताते हैं कि हर प्रजाति में समलैंगिक व्यवहार अलग-अलग तरीकों से देखने को मिलता है। इन प्रजातियों में कीड़े, मकड़ियां, सांप, पक्षियों और स्तनधारी जीव शामिल थे। ये समलैंगिता नर और मादा दोनों में देखी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पालतू जानवरों में समलैंगिकता
पालतू जानवरों में समलैंगिकता की बात करें तो यह हार्मोन रिलेटेड प्रॉब्लम्स हैं। रिटायर्ड प्रोफेसर और सीनियर वेटरनरी गायनाकोलॉजिस्ट डॉ जीएन पुरोहित बताते हैं कि हार्मोन में चेंजेस के कारण पशुओं के बिहेवियर में बदलाव आते हैं। गाय और कुत्ते जैसे पालतू जानवरों में ये हार्मोन रिलेटेड मीडिएटेड डिसऑर्डर होते हैं। जब इनके अंदर एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ता है तो इनमें होमोसेक्शुअलिटी देखी जाती है। कुत्तों के अंदर एज रिलेटेड, थायरॉयड रिलेटेड हार्मोन मीडिएटेड प्रॉब्लम्स भी होते हैं। यह निर्भर करता है कि पशुओं में कौन-सा हार्मोन असंतुलित हो रहा है। मेल और फीमेल पशुओं में स्थितियां अलग भी होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कीट-पतंगों में भी ऐसी प्रवृत्ति
जंगली जानवरों की बात करें तो शेर, हाथी, लकड़बग्घा जैसी प्रजातियों में समलैंगिकता पाई जाती है। जिराफ के 10 में से 9 जोड़े समलैंगिक (Gay) होते हैं। वहीं, चिम्पैंजी की बोनोबो प्रजाति में करीब 60 फीसदी सदस्य समलैंगिक (Lesbian) होते हैं। इनमें दो मादाओं के बीच संबंध होते हैं। पशुओं के अलावा कई पक्षी जैसे पेंग्विन, ब्लैक स्वान, अबाबील, सारस आदि भी समलैंगिक व्यवहार करते देखे जाते हैं। इतना ही नहीं कीट-पतंगों की बात करें तो मक्खी, ततैया, छिपकली जैसे कीट भी समलैंगिक व्यवहार करते हैं। भेड़ों में भी ऐसा देखा जाता है कि समलैंगिक होने पर विपरीत लिंग के साथी में रुचि नहीं लेते, जबकि बाकी के पशु बाइसेक्शुअल व्यवहार करते दिखते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अलग अलग होती हैं वजहें
दुनियाभर में जानवरों पर रिसर्च कर चुके उत्तर प्रदेश के पूर्व वन संरक्षक डॉ राम लखन सिंह के मुताबिक, जानवरों में भी गे और लेस्बियन होते हैं। यौन सुख के अलावा कई और भी कारणों से ये समलैंगिक संबंध बनाते हैं। रिसर्च के मुताबिक, नर डॉल्फिन अपनी इच्छा से दूसरे नर डॉल्फिन को पार्टनर बनाते हैं और केवल संतान पैदा करने के लिए ही मादा डॉल्फिन के संपर्क में आते हैं। बच्चों को पालने की जिम्मेदारी आमतौर पर उनकी नहीं होती। हंस की कुछ प्रजातियों जैसे कनाडियन गीज में भी ऐसा ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जेंडर ना पहचान पाने के चलते कीट बनाते हैं समलैंगिक संबंध
नर गीज बच्चा पैदा करने के लिए मादा के संपर्क में आते हैं और फिर मादा गीज बच्चों को लेकर अलग हो जाती हैं। नर गीज अपने समलैंगिक पार्टनर के साथ समय बिताते हैं। अब मक्खी जैसे कीटों की बात करें तो कई बार ये कन्फ्यूजन का शिकार हो जाती हैं। नर मक्खी सामने वाली मक्खी का जेंडर न पहचान पाने के कारण भी समलैंगिक संबंध बना बैठते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी है शोध
ओस्लो विश्वविद्यालय के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में एक प्रदर्शनी में समलैंगिक व्यवहार प्रदर्शित करने वाले जानवरों के 51 उदाहरण दिखाए गए थे। मादा बोनोबोस से जो अपने जननांगों को एक साथ रगड़ते हैं। नर हत्यारे व्हेल तक जो अन्य नर के पृष्ठीय पंखों की सवारी करते हैं। पक्षी जगत में, लगभग एक चौथाई काले हंस परिवारों का पालन-पोषण समलैंगिक जोड़ों द्वारा किया जाता है, नर कभी-कभी केवल चूजे पैदा करने के लिए मादा के साथ संभोग करते हैं। एक बार अंडा देने के बाद मादा को भगा दिया जाता है और नर उसे सेते हैं। राजहंस में समलैंगिकता भी अपेक्षाकृत आम है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।