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December 15, 2024

पहले संस्कृति का चयन, फिर तकनीकी को लेकर बनाएंगे आने वाला भारत: डा सुनील अंबेकर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डा सुनील अंबेकर ने कहा कि भारत में अध्यात्म की सुंदरता लुप्त हो रही है, जिसे संजोने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की विशेषता जोड़कर रखना है। भारत की हजारों वर्ष की यात्रा में कई प्रतीकों का जन्म हुआ। प्रतीक भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्‍सा हैं। प्रतीक गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं। पहले संस्कृति का चयन फिर तकनीकी को लेकर आने वाला भारत बनाया जाएगा। अध्यात्म और भारतीय संस्कृति में बहुत क्षमताएं है। डा अंबेकर देहरादून में विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप संबोधित कर रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डा अंबेकर ने कहा कि भारत को जानने की जरूरत है जिसे आध्यात्म के जरिए ही जाना जा सकता है चिंता की बात ये है कि अध्यात्म की सुंदरता लुप्त हो रही है जिसे संजोने की संरक्षित करने की जरूरत है और इसके लिए अध्यात्म के लिए पुस्तके बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की अपनी जीवन पद्धति है, लेकिन भारत की जीवन पद्धति भारत की जीवन शैली को अपनी संस्कृति परंपरागत तौर तरीके से रहने की है। यही हमारा व्यवहार है। उन्होंने कहा कि हमे आधुनिक होना चाहिए। अनुसंधान पर भी जाना चाहिए लेकिन नारो में बहना नही चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि हम तकनीक से आगे बढ़ते हैं। हम चांद पर भी पहुंचे हैं, वो भी संघर्ष की यात्रा है, लेकिन हमने उतना ही संघर्ष श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए भी किया है। हमने अपनी संस्कृति अपने सनातन को नही छोड़ना है। डा अंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व यात्रा का वर्णन हमारे ग्रंथों में है हम सभी को साथ लेकर चलते हैं। हमे सभ्यता हम संस्कृति की यात्रा हिंदुत्व में ही ढूंढते है, वही सही मार्ग ,समानता का मार्ग है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि हमारे त्योहार समानता का व्यवहार है, जो हमे जोड़ते चले जाते हैं। कोई जादू नहीं था कि दुनियां ने योग को अपना लिया। योग शुद्धता का भाव लिए हुए था। सब के लिए उपयोगी सबके लिए कल्याणकारी भी था। ऐसे कई अनुसंधान ऐसे कई विषय है जो विश्व के कल्याणकारी होंगे और अब इसे विश्व स्वीकार कर रहा है। हमारे देश में हजारों लोगों ने राष्ट्र अराधना की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उन्होंने कहा कि देश में कुछ लोगो को भूलने की आदत है, जिन्हे जगाना जरूरी है। जो कल तक ये भूल गए थे कि श्री राम कहां पैदा हुए, हुए भी कि नहीं ? आज वही स्मृतियां वापिस आ रही हैं। कुछ लोग भारत 1947 के बाद के भारत को मानते है, लेकिन भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है। उन्होंने कहा नया भारत नई पीढ़ी का जरूर है, लेकिन इस पीढ़ी को पुराने भारत के विषय में भी बताना जरूरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र की पत्रिका हिमालय हुंकार के दीपावली विशेषांक का भी विमोचन किया गया। साथ ही पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती की पुस्तक साक्षात आदि शक्ति : उग्रावतारा नंदा का भी विमोचन किया गई। श्री रावत ने नंदा देवी के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मेजर जनरल शम्मी सब्बरवाल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरेंद्र मित्तल ने सभी का आभार प्रकट किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंच पर विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय, पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती, रंजीत सिंह ज्याला भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रांत मीडिया संवाद प्रमुख बलदेव पाराशर ने किया। कार्यक्रम में प्रांत प्रचारक डा शैलेंद्र, क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम, सह प्रचार प्रमुख संजय, पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय आदि उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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