नीरज के ओलंपिक में स्वर्ण जीतने पर दून में आतिशबाजी, सीएम ने दी बधाई, अच्छी डाइट न मिलने से हो जाते थे बेहोश, जैवलिन के नहीं थे पैसे
टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास दर्ज करने वाले भारत के नीरज चोपड़ा को उत्तराखंड के सीएम ने बधाई दी। खेल प्रेमियों में उत्साह का संचार हुआ। दून में खेल प्रेमियों ने आतिशबाजी की। वहीं, हम आपको इस खिलाड़ी की संघर्ष गाथा को भी बताने जा रहे हैं। क्योंकि नीरज ने जो काम किया, उनसे पहले किसी भी एथलीट ने ट्रैक एंड फील्ड में ऐसा कारनामा नहीं किया। यानी ट्रैक एंड फील्ड में भारत को ओलिंपिक के इतिहास में पहला पदक उन्होंने ही दिलाया। इसके मायने इसलिए भी बढ़ जाते हैं कि यह स्वर्ण पदक है। नीरज चोपड़ा के टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की खबर के बाद से देहरादून में आतिशबाजी और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर स्वर्ण पदक जीतने की खुशी मनाई गई।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा द्वारा जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने तथा रेसलर बजरंग पूनिया को कांस्य पदक अर्जित करने पर बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं। मुख्यमंत्री ने इन दोनों खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि उनकी इस सफलता से पूरा देश गौरवान्वित हुआ है।
देहरादून के घंटाघर पर युवाओं ने स्वर्ण पदक की खुशी में आतिशबाजी की वही ऐतिहासिक पवेलियन मैदान में खेल प्रेमियों में एकत्र होकर खुशियां मनाई। उत्तराखंड एथलेटिक एसोसिएशन के सचिव कमलजीत सिंह कलसी ने बताया कि नीरज चोपड़ा ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पदक दशकों तक भारत का परचम विदेशों में लहराएगया। पदक की जीत से ना सिर्फ एथलेटिक्स बल्कि खेल प्रेमियों में उत्साह है। इस दौरान उन्होंने उड़न सिख मिल्खा सिंह को याद करते हुए कहा कि अगर मिल्खा सिंह जिंदा होते तो वह नीरज चोपड़ा को गले लगा लेते हैं।
खिलाड़ियों ने मनाया जश्न
भारत को ट्रैक एंड फील्ड में पहली बार ओलंपिक में पहला मेडल वो भी गोल्ड मिलने पर खिलाड़ियों खेल संघों एवं खेल प्रेमियों ने आज जश्न मना कर उत्सव मनाया। पवेलियन ग्राउंड में आयोजित इस समारोह में खिलाड़ियों ने एक दूसरे को मिठाई खिला कर व डांस करके ऐतिहासिक विजय उत्सव मनाया।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक खेल डॉ धर्मेंद्र भट्ट, सचिव एथलेटिकस केजे एस कलसी, नवनीत सेठी, संदीप कुमार, मनीष भट्ट, एससी चौहान, विनोद सकलानी, मोहसिन, कुमार थापा, मोइन खान, जितेंद्र गुप्ता, रविंद्र मेहता, धामी, वीएस रावत, रमेश राणा, सतीश कुलाश्री, जीवन बिष्ठ मौजूद रहे। विजय उत्सव, आयोजक डीएम लखेड़ा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
भारत को कुल सात पदक, इसका भी बना रिकॉर्ड
टोक्यो ओलंपिक 2020 में जैवलिन थ्रो के स्वर्ण पदक के साथ भारत का सात पदक मिल चुके हैं। जो कि भारत के किसी ओलंपिक में सर्वाधिक पदक हैं। इससे पहले वर्ष 2012 में भारत ने छह पदक हासिल किए थे। भारतीय महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने खेलों के दूसरे दिन ही भारत को पहला रजक पदक दिलाया था। वहीं दूसरा कांस्य पदक भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने भारत की झोली में डाला था। इसके बाद लवलीना बोरगोहेन ने मुक्केबाजी में व्यक्तिगत ब्रॉन्ज मेडल जीता था। यह भारत के लिए तीसरा पदक था। गुरुवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में चौथा पदक डाल दिया। वहीं, रवि कुमार दहिया ने सिल्वर जीता और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीत लिया। इसके बाद नीरज चौपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक दिलाकर भारत को सातवां पदक दिलाया। साथ ही भारत की झोली में एक गोल्ड, दो सिल्वर, चार कांस्य पदक के साथ कुल सात पदक आ चुके हैं। साथ ही व्यक्तिगत स्पर्धा में 13 साल बाद भारत को गोल्ड मैडल मिला। इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था।
नीरज चोपड़ा का परिचय
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा, भारत में हुआ था। उनके पिता सतीश कुमार एक किसान हैं और उनकी मां सरोज देवी एक गृहिणी हैं। 13 साल के लड़के के रूप में वह मोटे थे और उनके परिवार ने उन्हें पानीपत के एक जिम में दाखिला दिलाया। वह वजन कम करने के लिए दौड़ते थे, लेकिन हिट का आनंद नहीं लेता था। पेशेवर भाला फेंकने वाले बिंझोल के जयवीर को देखने के बाद उन्हें भाला में दिलचस्पी हो गई। उन्होंने जयवीर के साथ प्रशिक्षण शुरू किया। जब वे 14 साल के थे तब वे पंचकुला में एक स्पोर्ट्स नर्सरी में शिफ्ट हो गए और राष्ट्रीय स्तर के एथलीटों के साथ प्रशिक्षण लिया। 2012 में उन्होंने लखनऊ में अपना पहला जूनियर राष्ट्रीय स्वर्ण जीता।
टोक्यो ओलंपिक में किया कमाल
टोक्यो ओलंपिक 2020 इवेंट के अंतिम दौर में नीरज चोपड़ा पहले प्रयास में 87.03, फिर दूसरे प्रयास में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर का स्कोर किया। इसी स्कोर के साथ उन्होंने भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक 2020 का पहला गोल्ड मेडल जीता। नीरज टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाला फेंक स्पर्धा में ट्रैक और फील्ड में ओलंपिक पदक जीतने वाले 100 वर्षों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले एथलीट बन गए।
कबड्डी का था शौक
बचपन में जैवलिन के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं थी। नीरज को उस वक्त कबड्डी का शौक था और उसी की प्रैक्टिस करता था। नीरज के गांव में स्टेडियम नहीं था। गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने की वजह से नीरज को प्रैक्टिस करने के लिए गांव से 16-17 किलोमीटर दूर पानीपत के शिवाजी नगर स्टेडियम में में जाना पड़ता था।
नीरज ने ऐसे की जेवलिन थ्रो की शुरुआत
नीरज जिस स्टेडियम में प्रैक्टिस करने जाते थे, उसी स्टेडियम में जयवीर नाम का एक सीनियर खिलाड़ी जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करता था। जयवीर और नीरज में अच्छी दोस्ती भी थी। जो उसको काफी मोटिवेट करता था। एक दिन उसने नीरज को अपने साथ जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करने को कहा। जब नीरज ने भाला फेंका तो जयवीर उस से काफी प्रभावित हुआ और उन्होंने नीरज को सलाह दी कि तुम्हें जेवलिन की प्रैक्टिस करनी चाहिए। इस खेल में तुम बहुत आगे जा सकते हो। क्योंकि तुम्हारी हाइट भी अच्छी खासी हैं। नीरज ने जयवीर की यह सलाह मान ली और उसके साथ जेवलिन की प्रैक्टिस करने लगे।
बीस किलो कम किया वजन
दिक्कत यह थी कि नीरज का वजन उस वजन 80 किलो था जिसको उसे को कम करना था। उस वक्त नीरज ने ठान लिया कि अब उसे इसी गेम में आगे जाना है और वह जयवीर के साथ जी-तोड़ मेहनत करने लगा। इसी मेहनत की बदौलत केवल दो महीनों में ही नीरज ने अपना 20 किलो वजन कम कर लिया।
अच्छी जेवलिन खरीदने के नहीं थे पैसे
बता दें कि एक बढ़िया क्वालिटी की जेवलिन की कीमत एक लाख रुपये से भी ज्यादा होती हैं। चूंकि नीरज एक किसान परिवार से थे। इसलिए उनके लिए इतनी महंगी जेवलिन खरीद पाना संभव नहीं था। इसलिए शुरुआत में सिर्फ 6-7 हजार रुपए की जेवलिन से ही प्रैक्टिस करते थे।
सपने में भी करते थे पैक्टिस
वह फोन में जेवलिन थ्रो के वीडियो देखकर कुछ नया सीखने की कोशिश करता रहता था। एक इंटरव्यू में नीरज ने बताया था कि उस समय मैं सपने में भी जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करता दिखता था। देखने वाले को सिर्फ यही लगता है कि जेवलिन थ्रो के खेल में सिर्फ कुछ दूरी से भागकर भाला ही फेंकना होता है, लेकिन दोस्तों यह खेल इतना भी आसान नहीं है जितना दिखता हैं।
अच्छी खुराक नहीं मिलने पर हो जाते थे बेहोश
इस स्तर तक पहुंचने के लिए नीरज ने दिन में 7-7 घंटों तक अभ्यास करके पसीना बहाया है। एक समय ऐसा भी था जब अच्छी डाइट ना मिल पाने की वजह से नीरज मैदान पर ही बेहोश हो जाते थे। जब नीरज ने 2016 की जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता तो उनको भारतीय सेना में नायब सूबेदार नियुक्त किया गया था। 2018 के जकार्ता एशियन गेम्स में उनको भारतीय दल की सेंड ऑफ सेरेमनी के समय ध्वजवाहक भी बनाया गया जो कि इस युवा खिलाड़ी के लिए बहुत गर्व की बात है।
नीरज चोपड़ा के कुछ शानदार रिकॉर्ड
2012 में लखनऊ में अंडर-16 नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में 68.46 मीटर भाला फेंककर रिकॉर्ड बनाया था और स्वर्ण पदक जीता था।
2013 में नेशनल यूथ चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया और यूक्रेन में होने वाली IAAF वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में जगह बनाई।
2015 में इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में 81.04 मीटर की थ्रो फेंककर एज ग्रुप का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
2016 में तो नीरज ने कमाल ही कर दिया जब उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंककर नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए विश्व रिकॉर्ड बना डाला और गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया।
2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में पहले राउंड में ही 82.23 मीटर की थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीता।
2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने 86.47 मीटर भाला फेंककर एक और गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।
2018 में ही जकार्ता एशियन गेम्स में 88.06 मीटर भाला फेंका और गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम एक बार फिर रोशन किया।
एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय जेवलिन थ्रोअर हैं। इसके अलावा एक ही साल में कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। इससे पहले 1958 में मिल्खा सिंह ने यह रिकॉर्ड बनाया था।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत गौरव की बात, जय हिंद